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ईद-उज़-जुहा रस्म आदयगी से मनाया गया

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं

ईद-उज़-ज़ुहा त्याग आस्था नि:स्वार्थता व मानवीय मूल्यों का त्यौहार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 7 June 2025 07:27:15 PM

eid-uz-zuha

नई दिल्ली। मुसलमानों ने आज कुर्बानी का पर्व ईद-उज़-जुहा देश और दुनिया में मनाया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और राज्यों के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्रियों ने ईद-उज़-जुहा पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति ने शुभकामना संदेश में कहा हैकि वे ईद-उज़-ज़ुहा पर देशवासियों और विदेशों में रहने वाले भारतीयों, विशेषकर मुसलमान भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि ईद-उज़-ज़ुहा त्याग, आस्था और मानवीय मूल्यों का त्यौहार है, जो समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। उन्होंने कहाकि हम अपने जीवन में नि:स्वार्थता और समर्पण के मूल्यों को अपनाकर एक बेहतर समाज के निर्माण केलिए मिलकर काम करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईद-उज़-जुहा पर देशवासियों खासतौर से मुसलमानों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट पर ईद-उज़-जुहा की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और कहाकि यह अवसर सद्भाव को प्रेरित और समाज में शांति के ताने-बाने को मजबूत करे, मैं सभीके अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करता हूं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ईद-उज़-जुहा की पूर्वसंध्या पर देशवासियों को बधाई दी है। अपने संदेश में ओम बिरला ने कहाकि ईद-उज़-जुहा पर मैं सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं, मेरी कामना हैकि यह पावन अवसर हर्षोल्लास, समृद्धि और सद्भाव लेकर आए। इस अवसर पर आज देशभर में नमाज़ अता की गई और मुसलमानों ने एकदूसरे को गले मिलकर बधाई दी और कुर्बानी की रस्म अदा की।
गौरतलब हैकि मुसलमान त्याग और कुर्बानी यानि ईद उल अजहा हिजरी के आखिरी महीने ज़ु अल हज्जा के दसवें दिन मनाते हैं। पूरी दुनिया से मुसलमान इस महीने में मक्का सऊदी अरब में एकत्र होकर हज मनाते है। इसे बक़रीद, बक़रईद, क़ुरबानी की ईद, इदे-क़ुरबां कहा जाता है, अरबी में ईद-उल-अज़हा अथवा ईद-उज़-जुहा कहा जाता है, जिसका मतलब क़ुरबानी की ईद। यह इस्लाम में विश्वास करने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है, जो रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग सत्तर दिन बाद मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार कहते हैंकि हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इस दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तभी अल्लाह ने मेहरबान होकर उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया, जिनकी याद में मुसलमान यह त्यौहार मनाते हैं।

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