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Wednesday 4 June 2025 03:26:51 PM
नई दिल्ली। तथागत भगवान गौतम बुद्ध के पवित्र अवशेषों की वियतनाम के 9 शहरों में 30 दिवसीय प्रदर्शनी कार्यक्रम के पश्चात स्वदेश वापसी पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ ने राष्ट्रीय संग्रहालय में एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें बड़ी संख्या में बौद्ध अनुयायियों और श्रद्धालुओं ने भगवान बुद्ध को श्रद्धासुमन अर्पित किए। भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को कल सारनाथ ले जाकर एकबार फिर मूलगंध कुटी विहार मंदिर में विधिविधान से स्थापित कर दिया जाएगा। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में वक्ताओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए बतायाकि वियतनाम के निवासियों ने पूर्ण भक्ति, धैर्य और आत्मानुशासन का परिचय देते हुए अवशेष वेदी पर दर्शन केलिए अपनी बारी आने तक पूर्ण तन्मयता केसाथ घंटों प्रतीक्षा की। भगवान बुद्ध की बस एक झलक पाने केलिए कहीं बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता को कंधों पर उठाकर ले जा रहे थे, तो दिव्यांगजनों को अपने परिजनों का सहारा मिल रहा था।
वियतनाम में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष के संरक्षक सीवाली भंते भी कार्यक्रम में मौजूद थे। उन्होंने कहाकि हम भावुक हो गए थे, होठों पर मुस्कान थी, हम प्रार्थना कर रहे थे, यह एक भावनात्मक रूपसे परिपूर्ण वातावरण था। सीवाली भंते कहाकि भारत एक महान देश है, वियतनाम के लोग आभारी हैं और हम भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी से अर्जित सभी पुण्य सभी केसाथ साझा करते हैं। मंगोलिया के राजदूत गनबोल्ड डंबजाव ने कुछवर्ष पहले अपने देशमें भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की यात्रा का स्मरण किया और कहाकि वे प्रदर्शनी केलिए बड़ी संख्या में युवा मंगोलों को आते देखकर आश्चर्यचकित थे। उन्होंने कहाकि कतार में पुरानी पीढ़ी को देखना सामान्य बात थी, क्योंकि वे अपने माता-पिता केसाथ बौद्धधर्म का पालन करते थे, लेकिन पूजा केलिए आनेवाले युवाओं ने सभीको आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने बतायाकि मंगोलिया में पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी के दौरान आकाश में हाथी के आकार में बादलों की आकृति का बनना एक और शुभ संकेत था, इसका दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को इससे बहुत प्रसन्नता हुई थी।
वियतनाम मिशन के उपप्रमुख त्रान थान तुंग ने वियतनाम के लोगों केलिए भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को साझा करने केलिए अमूल्य समर्थन और उदारता केलिए भारत केप्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहाकि लोगों की प्रबल इच्छा को देखते हुए प्रदर्शनी को 10 दिन केलिए बढ़ा दिया गया था। नेपाल के राजदूत डॉ शंकर प्रसाद शर्मा ने कहाकि भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों से आशीर्वाद प्राप्त करने का यह एक महान अवसर है, इससे लोगों केबीच संबंधों मेंभी दृढ़ता आएगी और बुद्ध की शिक्षाएं राजनयिक संबंधों को मजबूत बनाने का आधार बन सकती हैं। वेन प्रोफेसर धम्मज्योति ने कहाकि वियतनाम एक ऐसा देश है, जिसने बहुत संघर्ष और बाधाओं का सामना किया है, फिरभी उसने शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूपसे बौद्ध धर्म को संरक्षित रखा हुआ है। आईबीसी के महासचिव शार्त्से खेंसुर जंगचुप चोएडेन रिनपोछे ने कहाकि यह वैश्विक बौद्ध समुदाय को एकसाथ लाने का अनुकरणीय अवसर है, बौद्ध मूल्य हम सभीको एक करते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहाकि बौद्धधर्म ही बिखरे हुए समाज को एकजुट करते हुए उनकी पीड़ाओं को हर सकता है और सभीको अपने अंतर्मन में बौद्धधर्म के इस संदेश को पुनर्जीवित करना चाहिए।
आईबीसी के अधिकारी भी वियतनाम बौद्ध संघ और अवशेषों केसाथ आए भारतीय भिक्षुओं केसाथ समन्वय करने केलिए उपस्थित थे। एक शहर से दूसरे शहर में जानेकी हर गतिविधि को आईबीसी और हनोई में भारतीय दूतावास ने वीबीएस केसाथ मिलकर लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सुचारू रूपसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पवित्र अवशेषों को कल राष्ट्रपति के सुरक्षा दस्ते की पूर्ण निगरानी में राज्य प्रमुख के पूर्ण प्रोटोकॉल केसाथ वाराणसी हवाईअड्डे पर ले जाया जाएगा, जहां से उन्हें सारनाथ ले जानेके पश्चात वहां से मूलगंध कुटी विहार ले जाया जाएगा। गौरतलब हैकि वियतनाम में रिकॉर्ड 17.80 मिलियन लोगों ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन किए। यह एक भावपूर्ण आध्यात्मिक अवसर था, जहांभी भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का आगमन हुआ, वहां प्रसन्नता और आशा का संचार हुआ। बौद्ध अवशेषों की सामूहिक प्रार्थनाओं से लाखों लोग एकसाथ एकत्रित हुए और इससे देश-विदेश में सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक रूपसे प्राचीन संबंधों के अव्यक्त संबंधों की भी पुष्टि हुई।