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Saturday 7 June 2025 06:17:52 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेसिंग के जरिए अंतर्राष्ट्रीय आपदारोधी अवसंरचना सम्मेलन 2025 को संबोधित किया, जिसका आयोजन यूरोप में पहलीबार किया गया था। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आपदारोधी अवसंरचना सम्मेलन में शामिल प्रतिभागियों का स्वागत किया और इस आयोजन में सहयोग केलिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और फ्रांस सरकार का आभार व्यक्त किया। सम्मेलन के विषय ‘तटीय क्षेत्रों केलिए एक सुदृढ़ भविष्य को आकार देना’ पर प्रकाश डालते हुए नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक आपदाओं एवं जलवायु परिवर्तन केप्रति तटीय क्षेत्रों एवं द्वीपों की संवेदनशील स्थिति को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और बांग्लादेश में चक्रवात रेमल, कैरिबियन में तूफान बेरिल, दक्षिण-पूर्व एशिया में तूफान यागी, संयुक्त राज्य अमेरिका में तूफान हेलेन, फिलीपींस में तूफान उसागी और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में चक्रवात चिडो सहित हालकी विभिन्न आपदाओं का हवाला दिया। प्रधानमंत्री ने आगामी संयुक्तराष्ट्र महासागर सम्मेलन केलिए भी अपनी शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्राकृतिक आपदाओं ने जानमाल को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिससे प्रतिरोधी अवसंरचना और सक्रिय आपदा प्रबंधन की आवश्यकता को बल मिलता है। वर्ष 1999 के भीषण चक्रवात और 2004 की सुनामी सहित विभिन्न विनाशकारी आपदाओं से जुड़े भारत के पिछले अनुभवों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत ने सुदृढ़ता केसाथ अनुकूलन एवं पुनर्निर्माण किया, संवेदनशील क्षेत्रोंमें चक्रवात संबंधी आश्रयों का निर्माण किया और 29 देशों को लाभांवित करने वाली सुनामी चेतावनी प्रणाली की स्थापना की है।
आपदारोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) द्वारा 25 छोटे द्वीपीय विकासशील देशों केसाथ मिलकर आपदारोधी घरों, अस्पतालों, स्कूलों, ऊर्जा प्रणालियों, जल सुरक्षा के उपायों और पूर्व चेतावनी प्रणालियों के निर्माण कार्यों का उल्लेख करते उन्होंने प्रशांत, हिंद महासागर एवं कैरीबियाई क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति की सराहना की और गठबंधन में अफ्रीकी संघ की भागीदारी का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने 5 प्रमुख विषयों को रेखांकित किया, पहला-भविष्य की चुनौतियों से निपटने हेतु कुशल कार्यबल तैयार करने के उद्देश्य से उच्चशिक्षा में आपदा रोधी पाठ्यक्रमों, मॉड्यूल एवं कौशल विकास के कार्यक्रमों को समन्वित करने का महत्व। प्रधानमंत्री ने आपदाओं का सामना करने वाले और सुदृढ़ता केसाथ पुनर्निर्माण करने वाले देशों से प्राप्त सर्वोत्तम तरीकों और सीखों का दस्तावेजीकरण करने के हेतु एक वैश्विक डिजिटल संग्रह की आवश्यकता पर जोर दिया। नरेंद्र मोदी ने आपदा से निपटने केलिए नवोन्मेषी वित्तपोषण की आवश्यकता और विकासशील देशों को आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराने केलिए कार्यांवित करने योग्य कार्यक्रम बनाने को तीसरी प्राथमिकता बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोटे द्वीपीय विकासशील देशों को बड़े महासागरीय देशों के रूपमें मान्यता देने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। पांचवीं प्राथमिकता का उल्लेख करते हुए उन्होंने पूर्व चेतावनी प्रणाली एवं समन्वय को मजबूत करने पर प्रकाश डाला और समय पर निर्णय लेने एवं अंतिम छोरतक प्रभावी संचार की सुविधा स्थापित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि इस सम्मेलन में होनेवाली चर्चाओं में इन आवश्यक पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने विकास में सुदृढ़ता की आवश्यकता पर बल देते हुए कठिन परिस्थितियों में स्थिर बनी रहने वाली अवसंरचना के निर्माण का आह्वान किया। उन्होंने दुनिया केलिए एक मजबूत और आपदा प्रतिरोधी भविष्य के निर्माण की दिशामें वैश्विक प्रयासों का आग्रह करते हुए संबोधन का समापन किया।