
हालांकि जिन्ना मुसलमानों के अधिकारों और स्वाधीनता का ही प्रतिनिधित्व करते थे लेकिन वह रूढि़वादी कभी नहीं रहे। कुछ लोगों ने इसी रूप में जब उनका अभिनंदन किया तो उन्होंने कहा, ‘मैं तुम्हारा धार्मिक नेता नहीं हूं।’ निस्संदेह हमें जश्न कायद जैसा दूसरा लीडर नहीं मिल सकता।...

आतंकवाद के अभिशाप से शायदअजमल कसाब-ajmal kasab ही कोई देश मुक्त हो और इससे मुक्ति के लिए जरूरत है तो अंतरराष्ट्रीय सहयोग की। यह संदेश सर्वत्र फैल जाना चाहिए कि मतांधता के नाम पर किए जाने वाले हर आतंकवाद से निर्णायक रूप से तत्काल निबटा जाएगा, तभी दुनिया भर के निरीह नागरिक इन घातक प्रहारों से मुक्ति का अनुभव कर सकेंगे।...

पाकिस्तान के लोकतंत्र और उसकी अग्रिम पंक्ति के राजनेताओं का शिकार करके और बचे-खुचों को निर्जीव करके पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आइएसआइ स्वात घाटी में एक ताकत बन चुके तालिबान और अलकायदा के साथ जा खड़ी हुई है। यहां अब ऐसी ताकतों ने पांव पसार लिए हैं जो पाकिस्तान को पाषाण युग में धकेलने के लिए आमादा हैं। ...
धरती, आकाश और पाताल प्राकृतिक चमत्कारों और एक से बढ़कर एक संरचना से समृद्घशाली हैं। मानव-जीवन को प्रकृति से यह संपदा न मिलती तो उसकी स्थिति उन प्राणियों से भी बद्तर हो जाती जो रेगिस्तान और बंजर में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए चौबीसों घंटे संघर्ष में रहते हैं।...

भावी प्रधानमंत्री के लिए जो नाम सामने आए हैं, उनकी योग्यता आदि के विषय में राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़े और उनके व्यक्तित्व के सभी पहलू आम जनता के सामने प्रमुखता से प्रस्तुत किए जाएं, ताकि लोगों को अपने हिसाब से राजनीतिक दल एवं प्रधानमंत्री पद के लिए सही व्यक्ति का चुनाव करने में मदद मिले। ...

मायावती को एहसास हो गया है कि उनका प्रधानमंत्री बनना असंभव है। इसलिए उन्होंने एक प्रकार से एनडीए के सामने प्रस्ताव रख दिया है कि वह कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार न बनने देने के लिए बिना शर्त एनडीए का साथ देंगी।...

आध्यात्मिक शक्तिपीठों और पीठाधीश्वरों की सुरक्षा जैसे मामलों की घोर उपेक्षा हो रही है, यह किसी से नही छिपा है। मगर क्या वास्तव में यह सच लगता है कि ये प्रतिक्रियावादी हैं? जातियों में बटे इस दौर में सामाजिक समरसता और सामाजिक न्याय का इससे बेहतर मेल और उदाहरण और क्या चाहिए? देवी पाटन आकर देखिए!...

लालू के राजनीतिक दांव आज के राजनीतिक माहौल में नव राजनीतिज्ञों के लिए एक पाठ्यक्रम से कम नहीं कहे जा सकते। लालू को कब लल्लू कब लालू प्रसाद और कब लालू प्रसाद यादव बनना है इसकी कला उन्हें बखूबी आती है। बालीवुड से हालीवुड और खेल खेती खलिहान तक सब जगह लालू यादव का वर्चस्व है।...

अमरीका से एटमी करार पर यूपीए सरकार के विश्वास मत के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी अपने राष्ट्रधर्म से क्यों भाग खड़े हुए? जबकि उन्हीं के सामने, इसी सदन में लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने अपने वामदलों के भारी दबाव और पार्टी में आलोचनाओं की कोई परवाह ही नहीं की।...

मायावती और कांग्रेस के बीच घमासान आज अपने चरम पर पहुंच गया है। मायावती के ईमानदार होने का फैसला अब सिर्फ देश की अदालत को ही करना है जिससे अब ‘काले धन’ पर कभी भी निर्णायक मुकद्मेबाजी शुरू होनी तय है। इसमें मायावती को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।...

दुनिया भारत में लीडरों के नैतिक पतन की पराकाष्ठा देख रही है। वह देख रही है कि भारत के लीडर और राजनीतिक दल किस तरह बिकते हैं। प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए जीभ निकाले घूम रहे महाभ्रष्ट और चार्जशीटेड नेता कुर्सी के लिए कैसे-कैसे समझौते करने को तैयार हो जाते हैं। देशहित के गंभीर मुद्दों पर भी ये राजनीतिज्ञ एक मेज पर कभी बैठते...

हज और उमरा के लिए अब वही लोग जा सकेंगे जिनकी हैसियत आलीशान फाइव स्टार होटलों के किराए की शक्ल में लाखों रूपए अदा करने की होगी। इतना ही नहीं हरम के एतराफ में अब दो-पांच और दस रियाल में सर भी नहीं मुड़ाया जा सकेगा, क्योंकि हालात इतने खराब हैं कि उमरा करने के बाद अल्लाह के घर के एतराफ में नाई और चाय की एक दुकान तक नहीं बची।...

राष्ट्रवाद और राष्ट्रधर्म की शेखी बघारने वालों को सोमनाथ दा ने सीख दी है कि राष्ट्रवाद किसे कहते हैं और असली राष्ट्रधर्म क्या है। इससे सोमनाथ चटर्जी ने करोड़ों देशवासियों के मन में अपनी जगह बनाई है, अथाह सम्मान और विश्वास पाया है।...

नत्थू-कढेरा और बंसी अपने छप्पर के नीचे बैठे हुए महंगाई से घुट-घुट कर मर रहे हैं। उनके घर में जिन जरूरी चीजों की जरूरत है वह उनकी पहुंच से बाहर चली गई है। इसका सबसे सही उत्तर डा. मनमोहन सिंह के पास है जो न केवल एक प्रख्यात अर्थशास्त्री हैं बल्कि देश के प्रधानमंत्री भी हैं। वह ही आम जनता को महंगाई से मोक्ष दिला सकते हैं।...

आतंकवाद और संगठित अपराध पर चर्चा में इस बार भारत और अफगानिस्तान का पाकिस्तान पर जोरदार हमला जरूर देखने को मिला जिसमें पाकिस्तान अपना बचाव करते हुए अलग-थलग सा नज़र आया। सभी देश आतंकवाद पर अपनी कार्ययोजनाएं तो लेकर आए मगर वे सम्मेलन में ‘फ्लापी’ से बाहर ही नहीं निकलीं।...