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चिनूक हेलीकॉप्टर ने बढ़ाई वायुसेना की ताकत

चौबीस घंटे कहीं भी अचूकता और आपदा राहत में नंबर वन

भारतीय वायुसेना को मिलेंगे अभी और चिनूक हेलीकॉप्टर

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 26 March 2019 03:14:40 PM

induction ceremony of ch-4f (i) chinook heavy lift helicopters

चंडीगढ़। भारतीय वायुसेना ने अपनी ताकत बढ़ाते हुए जांबाज़ सीएच 47 एफ (I) चिनूक हेलीकॉप्टर को चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन पर आयोजित समारोह में अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। इस अवसर पर भारतीय वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल बीएस धनोआ ने समूह के कप्तान जीबी पटोले कमांडिंग ऑफिसर 126 हेलीकॉप्टर फ्लाइट को प्रतीकात्मक कुंजी भेंट की। भारतीय वायुसेना ने सितंबर 2015 में 15 चिनूक हेलीकॉप्टरों के लिए मेसर्स बोइंग लिमिटेड के साथ समझौता किया था, जिसके तहत चार हेलीकॉप्टरों की पहली खेप समय पर उपलब्ध करा दी गई है और अंतिम खेप अगले वर्ष मार्च तक पहुंच जाएगी। इन हेलीकॉप्टरों को भारत के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। चिनूक एडवांस्ड मल्टी मिशन हेलीकॉप्टर है और करीब 11 हजार किलोभार तक के हथियार और सैनिकों को आसानी से लिफ्ट करने की क्षमता रखता है, इसके अलावा बेहतरीन तरीके से मानवीय और आपदा राहत अभियान में भी इसका इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है।
चिनूक हेलीकॉप्टर से भारतीय सेना की न सिर्फ ताकत बढ़ेगी, बल्कि राहत अभियानों में इसकी अचूकता नए कीर्तिमान बना सकती है। यह वर्टिकल लिफ्ट प्लैटफॉर्म हेलिकॉप्टर अमेरिकी सेना के अलावा करीब 26 देशों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है और अब ये भारतीय वायुसेना का भी हिस्सा है। चिनूक को मल्टी-मिशन हैवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर कहा जाता है, जिससे सैनिकों, तोपखाना के उपकरणों, गोला-बारूद, रसद को सीधे युद्ध मैदान में पहुंचाया जा सकता है। यह हर हालात में कैसी भी भौगोलिक परिस्थितियों में चौबीसों घंटे, सातों दिन और किसी भी मौसम में सेना के साथ अपनी महत्वपूर्ण दोस्ती निभा सकता है। सैन्य कार्यवाहियों के अलावा चिनूक हेलीकॉप्टर प्राकृतिक आपात, मेडिकल आपादा, खोजी अभियानों और सिविल कार्यों में भरपूर सहयोग कर सकता है।
चिनूक हेलीकॉप्टर में सैन्यबलों के लिए सैन्य अभियानों के लिए न सिर्फ सारी सुविधाएं मौजूद हैं, बल्कि इसका कॉकपिट भी पूरी तरह से डिजिटल बनाया गया है। चिनूक की क्षमता 11 टन और 45 सैनिकों को ढोने में सक्षम है, इतना ही नहीं ये 10 टन का अतिरिक्त भार भी उठा सकता है। यहां तक कि चिनूक M-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर तोपों को भी एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकता है। सितंबर 2015 में कुल 15 चिनूक हेलीकॉप्टर की डील अमेरिकी कंपनी बोईंग के साथ कुल 8,048 करोड़ रुपये में हुई थी, जिसकी पूरी आपूर्ति मार्च 2020 तक होगी। अब राफेल जेट और अपाचे हेलीकॉप्टर का भी इंतज़ार है। हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड समय सीमा के मुताबिक 31 मार्च तक 16वें तेजस के निर्माण को पूरा कर लेगी, जो वायुसेना को मिलने वाले कुल 40 हल्के लड़ाकू विमानों का हिस्सा होगा। कुछ दिन पहले ही तेजस को अंतिम परिचालन सर्टिफिकेट मिला है, जिसके आधार पर होनेवाले बदलाव इस साल तक पूरे कर लिए जाएंगे।

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