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गोंडा में खड़ारे पुलिस धो रही योगी का इकबाल

दरोगाओं के इशारे पर चल रहे अवैध शराब व जुये के अड्डे

थाना प्रभारी बृजेंद्र पटेल को नहीं मालूम ये कारनामे?

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 27 July 2018 06:24:05 PM

grounds of gambling at the behest of the kharare police in gonda

गोंडा। बाबूजी! यह खड़ारे की पुलिस है, जो पैसों की खातिर कुछ भी कर सकती है, चाहे अवैध कब्जा हो या अवैध रूपसे कच्ची शराब बनाने या बेचने का धंधा, अवैध रूपसे खनन या फिर क्षेत्र के बाज़ारों में बेखौफ संचालित होने वाले जुये के अड्डे। खड़ारे पुलिस के लिए ये सब मोटी कमाई का जरिया हैं। बाज़ारों में जुये के अड्डे हल्का दरोगाओं और सिपाहियों की सरपरस्ती में चल रहे हैं। वे कौन पुलिसवाले हैं यह बात सभी जानते हैं। ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वच्छ शासन प्रशासन में हल्का सिपाहियों को भी इन करतूतों पर कार्रवाई होने का कोई भय नहीं रह गया है, इसलिए आईए और देखिए पुलिस का यह शो लाइव है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी और यह संदेश दिया था कि भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारी, अवैध कब्जेधारी, अपराधों में लिप्त दबंग या तो सुधर जाएं या फिर वहां जाने को तैयार रहें, जहां कोई नहीं जाना चाहता है, कुछ दिन तो मुख्यमंत्री के इस तेवर का यहां भी असर दिखाई दिया और स्‍थानीय प्रशासन में इसकी हनक रही, लेकिन धीरे-धीरे मुख्यमंत्री का यह असर खत्म होता गया है, जिसकी परि‌णिति यह है कि सिपाही भी मूछों पर ताव देकर अवैध वसूली में मगन है। उसे अपने उच्चाधिकारियों के सख्त आदेश की भी कोई परवाह नहीं है। वह अपने इंचार्ज को खुश रखता है। जब सिपाहियों का यह हाल है तो योगीराज में जनता कितनी सुखी होगी अंदाजा लगाया जा सकता है। अपवाद को छोड़कर इस क्षेत्र के दरोगाओं और सिपाहियों ने अपनी मनमानी कर खाकी वर्दी को दागदार बना रखा है।
थाना प्रभारी बृजेंद्र पटेल का कहना है कि उन्हें इस संबंध में कुछ मालूम नहीं है और अगर कुछ संज्ञान में आया तो कार्रवाई होगी। अब सवाल यह है कि यहां अधिकांश लोगों को पुलिस की करतूत मालूम है, लेकिन थाना प्रभारी बृजेंद्र पटेल अनभिज्ञ हैं। यहां पुलिस की लोकल इंटेलीजेंस यूनिट के लोग भी आते रहते हैं, क्या उनको भी कभी यह नहीं मालूम हुआ है कि स्‍थानीय पुलिस के संरक्षण में अवैध शराब और जुये के अड्डे चल रहे हैं? सामान्य आदमी की हिम्मत नहीं है कि वह इन पुलिस वालों की शिकायत कर सके। पुलिस के मुखबिरों के नाम पर अच्छेखासे फंड को डकारने वाले पुलिस अधिकारियों और थाना प्रभारी पर यह बड़ा प्रश्नचिन्ह है कि उन्हें नहीं मालूम कि कस्बे में उनकी पुलिस क्या कर रही है। योगी सरकार और उच्चाधिकारियों के दावों की खड़ारे पुलिस धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

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