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डिलीवरी का मामला गंभीर है-वित्तमंत्री

'भाजपा का संकल्पपत्र हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता'

यूपी के वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल का साक्षात्कार

Saturday 27 January 2018 12:39:15 AM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

up finance minister rajesh agarwal interviewed with dinesh sharma

बरेली में प्रवेश करते ही अनेक यादगारें मानसिक पटल पर आ जाती हैं। 'झुमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में' गाने की आज भी रेटिंग है, भले ही विश्वसुंदरी प्रियंका चोपड़ा बरेली की है। उत्तर प्रदेश के वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल से जब उनका यह साक्षात्कार शुरू हुआ तो उन्होंने उसकी शुरुआत ही बरेली के झुमके से की, जिससे पता चलता है कि सभी के दिल-ओ-दिमाग़ पर इस पुराने फिल्मी गाने का असर आज तक कायम है। रुहेलखंड उत्तर प्रदेश का विभिन्न संपदाओं से आच्छादित, ऐतिहासिक सांस्कृतिक राजनीतिक औद्योगिक और आध्यात्मिक भू-भाग है, जिसका नाम लिए बिना उत्तर प्रदेश अधूरा है। इस धरती ने देश को लीडरी, नौकरशाही और कलाकौशल में प्रवीण हस्तियां दी हैं। इसबार बरेली जिले की सभी नौ विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई है।
राजेश अग्रवाल लगातार छह बार से विधायक हैं। वे बरेली के कैंट विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में वित्तमंत्री हैं। कहना न होगा कि उत्तर प्रदेश के मंत्रियों की वरिष्ठता सूची में भले ही उनका पदनाम और नाम मुख्यमंत्री के बाद सातवें नंबर पर प्रदर्शित है, किंतु मंत्रिमंडलीय व्यवस्‍था के अनुसार मुख्यमंत्री के बाद यानी दूसरे नंबर पर वित्तमंत्री ही आते हैं, उनके बाद बाकी मंत्रियों के पदनाम होते हैं। बहरहाल बरेली में राजेश अग्रवाल संघ और भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक होने के साथ-साथ व्यापारी समुदाय के भी प्रमुख नेता हैं। एक उदारवादी और सहृदयी व्यक्तित्व उनके आभामंडल पर नज़र आता है। वे बड़े ही अनुशासनप्रिय और अपनी जन्मभूमि के प्रति समर्पित एवं कृ‌तज्ञ हैं। यूं तो पूरा उत्तर प्रदेश ही उनका कार्यक्षेत्र है, किंतु उन्होंने बरेली के खो गए गौरव को वापस लाने के लिए कमर कसी हुई है, उन्होंने योगी से मोदी तक के सामने रुहेलखंड के विकास का मॉडल प्रस्तुत किया है। राजेश अग्रवाल इस समय विधानसभा में राज्य का बजट प्रस्तुत करने की तैयारी में व्यस्त हैं, तथापि उन्होंने स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम को साक्षात्कार दिया।
राजेशजी आप उत्तर प्रदेश के वित्तमंत्री ह‌ैं और रुहेलखंड से आते हैं, जो भारतीय जनता पार्टी का प्रमुख गढ़ कहा जाता है, बरेली आपका कार्यक्षेत्र है, वहां के लिए आपकी कोई खास पहल है?
'बरेली पिछड़ता चला गया'
देखिए! बरेली लखनऊ और दिल्ली के बीच की एक कड़ी है, जो बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक स्‍थान है, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का कालखंड हो या पुरातनकाल में बरेली पांचालभूमि, जो राजा ध्रुपद की राजधानी होती थी, यहां जैन समाज का बहुत बड़ा स्थान है और बरेली के आसपास स्वामी शुक्राचारजी द्वारा स्‍थापित भगवान शंकर के मंदिर भी हैं, बरेली का इतिहास बहुत सुंदर है, लोगों ने बरेली में झुमका गिरा दिया, बरेली की जो इंडस्ट्रीज़ थीं, वह भी बहुत फॉरवर्ड थीं, बरेली गेटवे ऑफ कुमायूं कहलाया है, बरेली में बहुत माइलस्टोन इंडस्ट्रीज़ थीं जैसे-रबर फैक्ट्री, विमको, इंडियन टर्पेंटाइन एंड रोज़र कंपनी, लेकिन आज उनकी परछाईं भी नहीं रही है, यह दालमिलों का बहुत बड़ा क्षेत्र था, कभी यहां लगभग साढ़े चार सौ दालमिलें होती थीं, यहां बड़ी शुगर इंडस्ट्री थी, बेंत का काम, फर्नीचर का काम, ज़री दरज़ोजी, यहां का सुरमा, यहां की पतंग, बरेली के लोगों का अपना परंपरागत व्यवसाय, सबकुछ होने के बाद भी बरेली पिछड़ता चला गया है।
राज्य के वित्तमंत्री होने के नाते बरेली का यह वैभव पुर्नस्‍थापित करने में आप पर और ज्यादा जिम्मेदारी आ जाती है, चुनौती आ जाती है...
'बरेली का गौरव लौटा रहा हूं'
स्वाभाविक रूपसे जिम्मेदारी आ जाती है, उसी के लिए हम प्रयास कर रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी का शासन आया है, मैं बराबर प्रयत्नशील हूं कि कैसे बरेली का वह खोया हुआ गौरव प्राप्त हो सके, केंद्र सरकार की सहायता के बिना यहां की बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज़ का उद्धार संभव नहीं है, केंद्र सरकार से सहायता प्राप्त करने की हम कोशिश कर रहे हैं, मुझे खुशी है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष जब मैंने बरेली के इस पक्ष को रखा और वहां की रबर फैक्ट्री की चर्चा की, जिसका लगभग पंद्रह-सत्रह सौ एकड़ का फील्ड पड़ा हुआ है, तो उन्होंने तुरंत चिन्हित करके वहां बहुत बड़ा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट करने की बात कही, भूमि का लैंडबैंक होना बहुत बड़ी बात है, ऐसे ही पास के जनपद पीलीभीत में बरेली गौशाला सोसायटी के नाम से बरेली की ही संपदा है, उसमें लगभग बाइस सौ एकड़ जमीन है, मैंने मुख्यमंत्रीजी के सामने प्र्रस्ताव रखा है कि हम यहां निश्चित रूपसे कुछ बहुत बड़ा कार्यकर सकते हैं, बरेली में आवागमन सुनियोजित करने के लिए हम एकआध महीने में ही हवाईसेवा शुरू करने जा रहे हैं, मुख्यमंत्रीजी को उसका उद्घाटन करना है, बहुत बड़ी मात्रा में बरेली से ज़री दरज़ोजी का एक्स्पोर्ट होता है, जिससे विदेशी मुद्रा की प्राप्‍ति होती है, इसे बढ़ाने के लिए योगी सरकार बहुत बड़ा प्रयास कर रही है, अभी प्रत्येक जिले के प्रमुख व्यवसाय का नॉमिनेशन हुआ है, मुझे आपके माध्यम से कहने में कोई संकोच नहीं है, बल्कि खुशी हो रही है कि योगीजी ने बरेली के लिए ज़री दरज़ोजी को प्रमुखता दी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी जब लोकसभा चुनाव में आए थे तो मुझे याद है कि उन्होंने कहा था कि बरेली के मांझे से हम गुजरात में पतंग उड़ाते हैं तो बरेली की अपनी कुछ विशेषताएं हैं, जिन्हें साथ लेकर बरेली स्वाभाविक रूपसे आगे बढ़ेगा, उसके लिए प्रयास कर रहे हैं।
झुमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में बड़ा पुराना गाना है, बरेली से विश्वसुंदरी प्रियंका चोपड़ा भी है, पंतजी, तिवारीजी, बरेली ने कई बड़े लीडर दिए हैं, बरेली अनेक चीज़ों में विख्यात है...
'बरेली अनेक चीज़ों में ऐतिहासिक'
बरेली का इतिहास बहुत अच्छा है, प्राचीन है, बरेली राजा ध्रुपद की राजधानी और द्रोपदी का मायका कहलाता है, हमारे यहां की तहसील आंवला में रामनगर स्‍थान है, वहां जैन समाज का बहुत बड़ा केंद्र है, दूर-दूर से जैन समाज के लोग यहां पर आते हैं, बरेली में नाथ संप्रदाय का बहुत बड़ा केंद्र है, बरेली के चारों ओर सात मंदिर हैं, जब पांडव वनगमन पर थे तो स्थान-स्‍थान पर वह यहां रहे हैं और उन्होंने भगवान शंकर के बहुत प्रसिद्ध मंदिर की स्‍थापना की है स्वामी शुक्रचारजी के द्वारा स्‍थापित भगवान शंकर का मंदिर यहीं पर तो है। उत्तर प्रदेश जब संयुक्त प्रांत कहलाता था, तब यहां पर गर्वनर भी ब्रिटिशर्स हुआ करता था तो पहलीबार पंडित गोविंद वल्लभ पंत बरेली से ही चुने गए थे, आपकी बात सही है कि नारायण दत्त तिवारी की राजनीति बरेली से ही शुरू हुई है और वे टर्पेंटाइन कर्मचारी यूनियन के नेता रहे हैं, एक समय में बरेली से चार-चार, पांच-पांच कैबिनेट मंत्री रहे हैं, बरेली के लिए सौभाग्य प्राप्त है कि विधानसभा अध्यक्ष और उसी कालखंड में विधानपरिषद के सभापति भी बरेली के थे तो पॉलिटिकली बरेली बहुत जागृत रहा है, बहुत अच्छा लगा कि आपको बरेली के बारे में इतनी वृहद जानकारी है और आप पुरातन चीज़ो को भी आज इस तरह से प्रस्तुत कर रहे हैं कि जैसे बिल्कुल वह चीजें अपडेट हैं।
वित्तमंत्री के रूपमें आपने क्या-क्या प्राथमिकताएं निर्धारित की हुई हैं, आपका पूर्णकालिक बजट भी आने वाला है...
'संकल्पपत्र हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता'
मुझे बड़ा गर्व है कि हमने योगीजी के नेतृत्व में पहला बजट भाजपा के संकल्पपत्र के अनुसार प्रस्तुत किया, प्रधानमंत्री मोदीजी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाहजी के माध्यम से चुनावपूर्व संकल्पपत्र दिया था, उसको आधार बनाते हुए और चूंकि प्रधानमंत्रीजी ने घोषणा की थी कि यदि उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार आती है तो हम सबसे पहले किसानों का कर्ज़ समाप्त करने का प्रयास करेंगे, भारतीय जनता पार्टी सरकार की पहली कैबिनेट में जो सबसे पहला विषय था वह किसानों का कर्ज़ माफी का फैसला था, जिसमें उत्तर प्रदेश के किसानों का छत्तीस हज़ार करोड़ रुपए का कर्ज़ माफ हुआ, योगी सरकार का यह अभूतपूर्व साहस था, यह साहस बजट के प्रॉविजेंस में हुआ, हमने कहीं से किसी से भी एक रुपया भी उधार नहीं लिया, कोई टैक्स नहीं लगाया, किसी योजना को बंद नहीं किया, भाजपा का संकल्पपत्र हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
छत्तीस हज़ार करोड़ ‌ऋण माफी क्या राज्य के ख़जाने पर बड़ा बोझ नहीं है, इसका राज्य की बुनियादी सुविधाओं और वेतन के वितरण तक पर विपरीत प्रभा‌व पड़ा है, हालाकि पूर्व सरकारों में भी सरकारी ख़जाने की कीमत पर राजनीतिक फैसले हुए हैं...
'उन्होंने कितना इधर से उधर किया'
मैं आपको बताना चाहता हूं कि जैसे ही हमने इस कर्ज़माफी को कैबिनेट में पास किया, शाम को ही भारतीय स्टेट बैंक की तत्कालीन गर्वनर अरुंधतिजी ने एक स्टेटमेंट ‌दिया था कि कर्ज़ माफी के लिए हम कर्ज़ नहीं देंगे, दूसरे दिन आरबीआई के गर्वनर का भी ऐसा ही स्टेटमेंट आ गया था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता है, इसलिए हमने वादे के अनुसार अपना वादा पूरा किया, प्रधानमंत्री ने बड़े विश्वासपूर्वक कहा था कि हम उत्तर प्रदेश में ऐसा करेंगे, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आदेशित किया था कि ये होना है, भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ मुख्यमंत्री योगीजी की सरकार में प्रथम बजट में ही यह प्रस्ताव पेश किया गया और मुझे यह बताते हुए गर्व है कि आर्थिकजगत और मीडिया में इसपर कोई क्रिटिसिज्‍़म नहीं था, जबकि दुनिया जानती है कि पिछली सरकारों में आर्थिकतंत्र का मज़ाक उड़ाया जाता था, उन्होंने कितना इधर से उधर किया था।
उत्तर प्रदेश में टैक्स ‌प्रबंधन की स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है, इस स्थिति से आप किस प्रकार से निपट रहे हैं...
'हमें अपना जीएसटी मिल रहा है'
देखिए! अब परिस्थितियां बहुत बदल गई हैं, पहले टैक्स जो था, वह अलग प्रकार का होता था, वाणिज्यकर था, अब जीएसटी है, उत्तर प्रदेश कंज्यूम स्टेट है, उत्तर प्रदेश में बाइस करोड़ की आबादी है, इसलिए उत्तर प्रदेश के अंदर टैक्स की ऐसी व्यवस्‍था बनानी है, ताकि यहां कोई भी कर योग्य चीज बिना टैक्स के न छूट जाए, अगर हमने उसका जीएसटी प्रॉपर्ली कंज्यूम किया है तो फिर वह सरकार के खाते में चला जाए और ये प्रबंधन हम धीरे-धीरे पूरा कर चुके हैं, मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है कि हमारा अपना जो जीएसटी है, वह हमको मिल रहा है।
टैक्स वसूली को फ्रैंडली बनाना एक बहुत बड़ा और व्यावहारिक प्रश्न है आप भी व्यापारी समुदाय से आते हैं, आपने कोई ऐसा प्रयास किया कि जिससे हितधारकों में फ्रैंडली मैसेज जाए, देहरादून में व्यापारी की आत्महत्या आपको क्या सोचने को मजबूर करती है...
'यूपी में अब निवेश का वाताकरण'
मैं ये नहीं कह रहा हूं कि ये उत्तराखंड सरकार की एडमिनिस्ट्रेटिव भूल है, लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की कोई घटना नहीं होनी है, क्योंकि मैं और मेरे अधिकारी व्यापारियों के बीच रेगुलर विजिट करते हैं, उनसे संवाद करते हैं, उनकी समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास करते हैं, मेरे पास एक व्यापारी आए, उन्होंने बताया कि मेरा इस-इस तरह से ट्रक रोका गया, ये कागज़ हैं, मैंने तुरंत अपने सक्षम अधिकारियों से बात की कि ये क्यों हो रहा है, समाधान किया गया, मैं भी जन्मजात व्यापारी हूं और मैं आज भी बराबर व्यापार करता हूं, व्यापारी कभी भी टैक्स देने में पीछे नहीं रहता है, वो हैरिसमेंट से डरता है, सरकार ने स्पष्ट रूपसे कहा हुआ है कि किसी का भी उत्पीड़न नहीं होगा, भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली के प्रति लोगों में विश्वास जागृत हुआ है, यूपी में अब निवेश का वातावरण विकसित हुआ है, प्रदेश में इंडस्‍ट्रियल समिट होने जा रही है, इंडस्‍ट्रियल कारपोरेट के लोगों को आमंत्रित किया गया है, लाखों-करोड़ों रुपयों के निवेश के लिए संदेश आ रहे हैं, वे यहां विभिन्न प्रकार की एजेंसीज़, इंडस्ट्रीज़, विभिन्न प्रकार के उद्योग, व्यापार करने के लिए लालायित हैं।
हम आपके प्रयासों को समझते हैं, लेकिन एक व्यावहारिक चीज जो आपकी जानकारी में है कि नहीं, लखनऊ के चारों तरफ एक-एक, दो-दो, तीन-तीन महीने से सामान से लदे सैकड़ों ट्रक खड़े हुए हैं, जोकि आपके राज्य से गुजरते हैं, आप ख़ुद ही जाकर देख लीजिएगा, वाणिज्यकर विभाग के सचल दल के अनेक अधिकारी-कर्मचारी सर-ए-आम उनका शोषण कर रहे हैं, अनेक लोग ग़लत हो सकते हैं, टैक्स की चोरी कर सकते हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश लोगों का कहना है कि हम जब यूपी में लखनऊ में प्रवेश करते हैं तो अधिकारी या कर्मचारी आते हैं, गुंडों की तरह से हमारे ‌क्लीनर और ड्राइवर को थप्पड़ मारते हैं, हमारे काग़ज छीनते हैं और बिना जांचे नोटिस देकर ट्रक छोड़ने के दो-दो तीन-तीन लाख रुपये मांगे जाते हैं, हम तो कह रहे हैं कि ट्रक को ले जाओ...
मै मुख्यमंत्रीजी से बात करुंगा..., 
वैसे यह विभाग मुख्यमंत्रीजी के पास है, मुझे नहीं कहना चाहिए, लेकिन जिस तरह से आपने बताया है, ऐसी तस्वीर उत्तर प्रदेश में कहीं नहीं है, हम इसे मानने को तैयार नहीं हैं, अगर इस प्रकार की तस्वीर कहीं पर है तो मैं निश्चित रूपसे माननीय मुख्यमंत्रीजी से बात करुंगा, क्योंकि वाणिज्य कर विभाग माननीय मुख्यमंत्रीजी के पास है, लेकिन हम लोगों का भी दायित्व बराबर का है, मैं मुख्यमंत्रीजी की तरफ से इसकी जिम्मेदारी को खुद वहन करता हूं, इस प्रकार का व्यापारियों का हैरिसमेंट हो रहा है, यह दुखद बात है, बस मैं इतना ही कहूंगा, यह मामला पहलीबार मेरे सामने आया है।
वित्तमंत्री के रूप में आपका इन महीने का बड़ा अनुभव है, आप किस प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, ये चुनौतियां पहले कुछ और थीं, अब कुछ नई आ रही हैं, कैसी चुनौतियां हैं...
'किसान की आय बढ़ाना हमारी चुनौती'
देखिए, उत्तर प्रदेश का विकास तभी संभव है, जब आपको यहां की पैंसठ प्रतिशत आबादी के बारे में सही जानकारी हो, मेरा सीधा-सीधा तात्पर्य है कि यहां का काश्तकार, यहां का जमीन से जुड़ा हुआ व्यक्ति, जबतक उसका ऑलिफमेंट नहीं होगा, तबतक उत्तर प्रदेश में एकदम से कोई क्रांति आने वाली नहीं है, हम बराबर कोशिश कर रहे हैं कि किसान का आर्थिक पक्ष कैसे मजबूत हो, उसकी आमदनी दुगनी ‌हो, उसके उत्पाद का उसको पूरा-पूरा लाभ मिले, खेत को पानी मिले, उसकी खेत की माटी कैसी है, उस माटी में क्या चीज और डालने से, क्या चीज नहीं डालने से ठीक होगा, इन सब की चिंता आज योगी सरकार कर रही है, उत्तर प्रदेश में ये सब होने के बाद एग्रीकल्चर में बहुत बड़ी संभावनाएं हैं, फूड संबंधित बहुत सारी चीजों का हम प्रयोग कर सकते हैं, यहां इनकी इंडस्ट्री डेवलप हो सकती है, इन्ही सबके बीच में उत्तर प्रदेश निश्चित रूपसे आगे बढ़ने की बात करेगा, यही हमारी प्राथमिकता है, यही हमारी कथनी है और इसको ही हम धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड किसान रैली, विजय शंखनाद रैली से भाजपा का विजय अभियान अनवरत जारी है, यूपी में प्रचंड बहुमत की सरकार है, आपने स्‍थानीय निकाय चुनाव भी बहुत शानदार तरीके से जीता है, जनअपेक्षाएं भी प्रचंड हो गई हैं, लेकिन शासन-प्रशासन में डिलीवरी नहीं है, कहीं ऐसा न हो कि अपेक्षाओं की उपेक्षा से भाजपा का खेल ही गड़बड़ा जाए...
'डिलीवरी का मामला गंभीर है'
बहुमत की प्रचंडता के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी की विश्वसनीयता है, यशस्वी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाहजी की विश्वसनीयता, प्रधानमंत्री मोदी जी का कृतित्व और उत्तर प्रदेश में योगीजी का एग्ज़क्यूशन मिलकर एक ऐसा स्वरूप प्रस्तुत हुआ है कि जनता में एक विश्वास पैदा हुआ है, मैं आपको एक समिट की बात बताता हूं, पूरे भारतवर्ष से कुछ चुने हुए उद्योगपति आए थे, उन्होंने योगीजी को कहा कि हम अब लॉ एंड ऑडर की बात नहीं करेंगे, क्योंकि हमको दिखाई दे रहा है कि उत्तर प्रदेश में सुधार होता चला जा रहा है, मैंने कहा न ‌कि यह हमारी विश्वसनीयता है, हम अपनी विश्वसनीयता के आधार पर, अपने विज़न ‌के आधार पर उत्तर प्रदेश में आगे बढ़ेंगे और एक विषय डिलीवरी जो आपने उठाया है मैं उसके अंदर घूम रहा हूं और बात आपसे कर रहा हूं, हर चीज अच्छी हो सकती है, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बहुत कुछ करना चाहती है, लेकिन जिनके माध्यम से काम किया जाता है, डिलीवरी वही देते हैं और वो डिलीवरी एक तरह से हैरिसमेंट के साथ दे रहे हैं, ये वास्तव में बहुत चिंता का विषय है, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि इस प्रकार का संशय भी कहीं पर है तो यह बहुत गंभीर मामला है।
भाजपा का कार्यकर्ता प्रशासन से उपेक्षा महसूस करेगा तो उसके मनोबल का क्या होगा,‌ डिलीवरी पर तो प्रश्न खड़ा ही हुआ है, किसी को कोई परवाह नहीं है, बीजेपी मुख्यालय पर सवेरे से ही हितधारकों की भीड़ लग जाती है, सर डीएम नहीं सुन रहा, कप्तान नहीं सुन रहा, दरोगा नहीं सुन रहा है, ये मैसेज है...
'चुटकी बजाते सब काम नहीं हो सकते'
देखिए! लोग पिछली सरकारों में बहुत प्रताड़ित थे, बहुत सताए गए थे, अनेक प्रश्न हैं, भारतीय जनता पार्टी के संगठन ने प्रारंभ किया था कि भाजपा मुख्यालय पर प्रत्येक दिवस एक मंत्री बैठेंगे, लोगों की समस्याएं सुनेंगे, आज स्थिति क्या हो रही है आपको पता है? जो निजी समस्या वाले थे वो नहीं आते, जो प्रोफेशनल हैं वो आते हैं, ये भीड़ है, लोगों के वेस्टर्न इंट्रस्ट की है, लेकिन योगीजी ने इन सब चीजों को बहुत गंभीरता से लिया है, वो इसको वॉच कर रहे हैं, वो अपने यहां भी जनता दरबार लगाते हैं, वो जनता दरबार में अकेले नहीं रहते हैं, वो हमेशा अपने साथ दो-चार मंत्रियों को भी रखते हैं, एक-एक चीज का रिस्पॉंस हो रहा है, परेशानियां हैं और जैसा मैंने कहा कि पिछले पंद्रह वर्ष के बाद भारतीय जनता पार्टी का शासन आया है, लोगों की बहुत सी चीजों को हैरस किया गया है, आदमी की इच्छा होती है कि वह अपने प्रमुख के पास जाए, डीएम या उसके पास जाता है तो उसका मन नहीं भरता है, वह चाहता है कि इस बहाने मुख्यमंत्री के दर्शन हो जाएंगे, वो अपने संबंधित जनप्रतिनिधि मंत्री के पास जाकर खुश होता है, वो मंत्री के किसी सहायक के पास जाकर भी खुश नहीं होता, यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, भारतीय जनता पार्टी में तो सबसे बड़ी विश्वसनीयता उसके प्रजातांत्रिक गुण हैं, सचमुच अन्य पार्टियों की तुलना में भाजपा प्रजातांत्रिक घटक को लेकर चलती है, यहां पर कितना ही छोटा कार्यकर्ता हो, वो अपने से बड़े से बड़े कार्यकर्ता नेता से मिल सकता है, अपनी बात रख सकता है, उसकी बात गंभीरता से सुनी जाती है, उसका हल निकालने का प्रयास किया जाता है, हर चीज में समय लगता है, चुटकी बजाते हुए सब काम नहीं हो सकते।
भारत में प्रजातंत्र नहीं है सर, यहां पर तो लोकतंत्र है और प्रजातंत्र और लोकतंत्र में तो बहुत अंतर हुआ...
'दोनों एक ही हैं'
देखिए! मैं भी पॉलीटिकल साइंस का विद्यार्थी रहा हूं, लेकिन अल्टीमेट क्या है, आप शाब्दिक बात कर रहे हैं, दोनों एक ही हैं, स्वाभाविक रूपसे आप उसको प्रजातंत्र कहें या उसको लोकतंत्र कहें या आप उसको जनतंत्र कहें कुछ भी कहें, विषय वही आता है और मेरे कहने का बड़ा सिंपल अभिप्राय है कि भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता सीधे मुख्यमंत्रीजी से मिल सकता है, सीधे प्रधानमंत्रीजी से मिल सकता है, क्या दूसरी पार्टियों में इस प्रकार की व्यवस्‍था है? मैंने देखा है, मैं मायावती सरकार में मंत्री था, जब मिली-जुली सरकार थी, मुख्यमंत्री मायावती से मंत्री तक का बात करना तो दूर मिलना भी मुश्किल हुआ करता था, उससे आज की परिस्थिति बिल्कुल भिन्न है, कार्यकर्ता के अनुकूल है।

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