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ओवैसी बताएं, क्या बात है जिसकी पर्दादारी है!

वहाबियों से जा मिले ओवैसी? किछौछवी ने दाग़े सवाल

सूफी कांफ्रेंस का विरोध करने पर भड़के किछौछवी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 17 December 2016 04:53:57 PM

syed alamgir ashraf kicucvi

अहमदाबाद। ऑल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष सय्यद आलमगीर अशरफ किछौछवी ने असदुद्दीन ओवैसी पर तगड़ा हल्ला बोला है। उन्होंने कहा है कि बीस साल तक कांग्रेस के साथ राजनीति करने के बाद, खुद को खानकाही बताकर सूफियों का समर्थन हासिल करके भारतभर में मशहूर हुए असदुद्दीन ओवैसी जब से वहाबियत की शरण में गये हैं, तब से उन्हें सूफी अच्छे नहीं लगते, उन्हें अब वहाबियत की इमामत में यूपी का चुनाव लड़ना है, वह इतने भावुक हो गए हैं कि सूफियों और खानकाहों को कब्र की चिंता जता रहे हैं, वे देश के लोगों को गुजरात की तस्वीर दिखाकर मुजफ्फरनगर, अजमेर, माले गांव, मलियाना और भागलपुर के नाम पर सियासत कर रहे हैं। सय्यद आलमगीर अशरफ किछौछवी ने कई सवालों के साथ अहमदाबाद कार्यालय में आयोजित एक बैठक में बड़ी वज़नदार बातें कहीं, जिनपर वहां मौजूद हज़रात ने अपनी सहमति व्यक्त की।
सय्यद आलमगीर अशरफ किछौछवी ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी की आलोचना मशाईख बोर्ड की नहीं, बल्कि सूफिया और खानकाहों की है। उन्होंने हैरत से कहा कि अपने जलसों में हैदराबाद की खानकाहे कादरिया मुसविया के सज्जादा नशीन सय्यद काजिम पाशा का संरक्षण प्राप्त करने वाले आज उन्हीं के विरोधी हो गए हैं और उन्हें भी निशाना बना डाला? उन्होंने उनपर सवाल उछाला कि जमीअतुल उलेमा के मौलाना महमूद मदनी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार में बैठे थे तो उन्हें भाजपा नज़र नहीं आई? उन्होंने कहा कि अभी ईद मिलन समारोह में पूरी वहाबियत ने मिलकर भाजपा और आरएसएस को दावतें खिलाईं, इसमें भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई? उन्होंने कहा कि मशाईख बोर्ड ने तो कभी भी किसी के राजनीतिक मामलों में दखलअंदाजी नहीं की और न ही किसी मिल्ली मसायल में कोई मतभेद किया, फिर आखिर इससे लोग डर क्यों रहे हैं?
असदुद्दीन ओवैसी पर सय्यद आलमगीर अशरफ किछौछवी ने अपने सवाल जारी रखते हुए कहा कि सुहेब कासमी और मतीनुल हक उसामा जैसे लोगों ने खुलकर भाजपा का समर्थन किया, तब भी उन्हें कुछ नज़र नहीं आया? बार-बार देवबंद का दौरा और वहाबी राजनीतिक दलों से राजनीतिक बैठकों में ऐसे क्या हालात बने हैं, जिससे सूफी कांफ्रेंस का विरोध ज़रूरी हो गया है? ऑल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड के विरोध ही से उन्हें कौन सा राजनीतिक लाभ मिलने वाला है? उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम मुद्दों पर आवाज़ उठाते रहे हैं और राजनीतिक होने के नाते उन्हें सभी विचारधारा के लोगों को साथ लेकर चलना भी पड़ता है, लेकिन किसी को खुश करने के लिए किसी की बेजां और बे मतलब विरोध कुछ और बयान कर रहा है कि क्या बात है जिसकी पर्दादारी है!
सूफी कांफ्रेंस में पूरे देश के सूफी सुन्नी मुसलमान अपनी खानकाहों और दरगाहों का प्रतिनिधित्व करने के साथ शामिल थे, दक्षिण भारत की खानकाहे भी इसमें आगे थीं। असदुद्दीन ओवैसी पर सय्यद आलमगीर अशरफ किछौछवी ने जमकर तीर चलाए। उन्होंने कहा कि सबके ऊपर गलत आरोप लगाकर आखिर ओवैसी क्या करना चाहते हैं? इन खानकाहों से जुड़े हैदराबाद के ही सूफी सुन्नी मुसलमानों की भावनाओं, उनकी आस्था को आहत कर ओवैसी किसे खुश करना चाहते हैं? सय्यद आलमगीर अशरफ ने खुला ऐलान किया कि अगर ओवैसी के पास बोर्ड के खिलाफ या खानकाहों के खिलाफ कोई सबूत हो तो वो दें, वरना बताएं कि ऐसा करने के लिए वह किसके साथ सौदा किये हुए हैं? उन्होंने कहा कि ओवैसी को यह मालूम होना चाहिए कि मशाईख बोर्ड अखबारी बयानबाजी नहीं, बल्कि जमीनी काम करता है।
तीन तलाक पर उन्होंने कहा कि जो हमारा स्टैंड कल था वही आज है, हमने कल भी बयान दिया था और आज भी इसलिए लड़ रहे हैं। उन्होंने ओवैसी से सवाल करते हुए कहा कि एक पढ़े लिखे होकर इतनी गिरी हुई बात करने से पहले सोचना चाहिए, जानकारी भी हासिल कर लेनीचाहिए, हालांकि वे ऐसा करते हैं, लेकिन इस मामले में वह ऐसा क्यों नहीं कर सके यह आश्चर्य है। बैठक में उलेमा मशाईख बोर्ड गुजरात की राज्य इकाई, अहमदाबाद, दीसा, राजकोट और मोडासा जिला इकाई के साथ अहमदाबाद के उलमा, मशाईख और जिम्मेदार मौजूद थे। बैठक के बाद रात को ईद मीलादे नबी का आयोजन हुआ और सलाम और दुआ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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