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विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों में भारत का नाम नहीं?

विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों की संख्या बढ़ाएं-राष्ट्रपति

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Friday 28 December 2012 05:58:18 AM

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रोद्यौगिकी संस्थान इलाहाबाद के 9वें दीक्षांत समारोह

इलाहाबाद। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उच्च शिक्षा की आवश्यकता तथा छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों की संख्या को बढ़ाने पर जोर दिया है। वे इलाहाबाद में मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रोद्यौगिकी संस्थान इलाहाबाद के 9वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला देते हुये इस बात पर निराशा व्यक्त की कि विश्व के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों या उच्च शिक्षा संस्थानो में से एक भी भारतीय नहीं है। इस स्थिति के समाधान के लिये उन्होंने उच्च शिक्षा के मानकों को बढ़ाने की अवश्यकता पर बल दिया, जिससे कि भारत विश्व में निर्विवाद रूप से 10वां या कम से कम 50वां स्थान प्राप्त कर सके।
राष्ट्रपति ने छात्रवृत्ति, शिक्षा-ऋण औरस्व-सहायता की योजनाएं जैसे- ‘अर्न व्हाइल यू लर्न’ व अन्य वित्तीय सहायताओं के महत्वाकांक्षी मिश्रण के माध्यम से बड़ी संख्या में छात्रों को गुणवत्ता परक उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने की अवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने मुक्त विश्वविद्यालयों तथा दूरस्थ शिक्षा संस्थानों के लचीले माडलों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि हमारा देश तेजी से एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। क्रय शक्ति सामानता के संदर्भ में हम दुनिया में तीसरी सबसे बडी अर्थ व्यवस्था के रूप में स्थापित हुए हैं। विश्व की बड़ी अर्थ व्यवस्थाओं की विकास दर सूची में हमारा स्थान चीन के बाद आता है। पिछले नौ सालो मे से छः सालो में हमने आठ प्रतिशत से अधिक विकास दर दर्ज की है। हालाकि वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में 2010-11 में विकास दर कुछ घटी है, परंतु भारत ने इस संकट का समाना करने में उल्लेखनीय दमखम दिखाया है। भारत की इस ताकत के पीछे उत्तरदायी महत्वपूर्ण कारको में से एक स्वतंत्रता के बाद स्थापित किया गया उच्च शिक्षा का क्षेत्र है।
प्रणव मुखर्जी ने कहा कि महिलाओं को राष्ट्र की प्रगति में बराबर या बराबर से अधिक के भागीदार के रूप में देखा व स्वीकारा जाना चाहिए। समान्य रूप से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पुरूषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी कम है और तकनीकी के क्षेत्र में स्थिति और भी गंभीर है। समान अधिकारों को प्रोत्साहन देने वाले राष्ट्र के लिये यह चिंता का विषय है। उन्होंने उम्मीद जताई की आने वाले वर्षों में तनकनीकी का क्षेत्र और अधिक छात्राओं को एक कैरियर के रूप में आकर्षित करेगा। मुखर्जी ने अभी हाल ही में दिल्ली में एक युवती के साथ हुई बर्बर हिंसा पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि सरकार ऐसे आवश्यक कदम उठा रही है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इस घटना के विरोध में हुए हाल के प्रदर्शनों में उन्होंने युवाओं से अपील की वे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें।
दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को हमेशा तकनीकी की उपयोगिता के अनुप्रयोग की संभावनाओं तथा उसका लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़े, इस पर विचार करना चाहिए। समारोह में बीटेक अंतिम वर्ष की परीक्षा में समस्त संकायों में अव्वल आलोक अग्रवाल को संस्थान का स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। शोभित अग्रवाल को बीटेक तृतीय वर्ष तथा पाखी अग्रवाल को बीटेक द्वितीय वर्ष तथा निशांक गुप्ता को बीटेक प्रथम वर्ष की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए संस्थान का स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।
इस अवसर पर 619 बीटेक 375 एमटेक, 63 एमबीए, 66 एमसीए, 10 एमएसडब्लू, 10 एमएससी और 34 पीएचडी विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गयीं। समारोह में13 स्नातकों और 25 परास्नातकों को संस्थान का स्वर्ण पदक तथा 19 विद्यार्थियों को विभिन्न कार्याक्रमो हेतु प्रयोजित पदक प्रदान किये गये। इस अवसर पर ब्रम्हा शंकर त्रिपाठी मंत्री होमगार्डस उत्तर प्रदेश तथा प्रशासकीय परिषद के अध्यक्ष वीके सारस्वत सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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