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तमिल करकलाम से सरल हो रहा भाषा अध्ययन

काशी तमिल संगमम् में केंद्रीय शास्त्रीय भाषा संस्थान का पुस्तक स्टॉल

तमिल शास्त्रीय ग्रंथों का हिंदी अनुवाद बना तमिल भाषा संस्कृति का सेतु

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 14 December 2025 03:21:17 PM

learning the tamil language is becoming easier with karakalm

वाराणसी। केंद्रीय शास्त्रीय भाषा संस्थान का काशी तमिल संगमम् 4.0 के अंतर्गत स्टॉल तमिल भाषा, साहित्य और संस्कृति को समझने का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभरा है। इस स्टॉल का उद्देश्य तमिल करकलाम (तमिल सीखें) पहल के माध्यम से तमिल शास्त्रीय भाषा को सरल, सुलभ और बहुभाषी स्वरूप में प्रस्तुत करना है। सीआईसीटी ने तमिल शास्त्रीय ग्रंथों का हिंदी अनुवादकर समस्त पुस्तकें स्टॉल पर उपलब्ध कराई हैं। इसके साथही यहां हिंदी, तमिल, अंग्रेज़ी, थाई सहित कई और भाषाओं में भी पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं, जिससे काशी और तमिलनाडु से आए प्रतिनिधि तमिल साहित्य को सहजता से समझ सकें। स्टॉल पर विशेष रूपसे तिरुक्कुरल ग्रंथ उपलब्ध है, जो लगभग 300 वर्ष पुराना माना जाता है और तमिल साहित्य की अमूल्य धरोहर है।
तिरुक्कुरल ग्रंथ तीन भागों में विभाजित है, प्रथम भाग में धर्म, द्वितीय भाग में अर्थ और तृतीय भाग में प्रेम के दर्शन प्रस्तुत किए गए हैं। जैसे हिंदी में अर्थशास्त्र का महत्व है, उसी प्रकार तिरुक्कुरल तमिल समाज का नैतिक और दार्शनिक आधार है। काशी तमिल संगमम् केबाद सांस्कृतिक एकता को और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से सीआईसीटी ने ‘तमिल भारतीय पुस्तक में अंकित काशी’ एक विशेष अंतर सांस्कृतिक पुस्तक भी प्रकाशित की है, जो काशी और तमिल संस्कृति के ऐतिहासिक व भावनात्मक संबंधों को रेखांकित करती है। स्टॉल पर इंटरैक्टिव लर्निंग सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं, जहां शिक्षक पांच प्रमुख पुस्तकों के माध्यम से सरल व्याकरण, तमिल शब्दकोश, संवाद अभ्यास और तमिल अक्षर लेखन सिखा रहे हैं। चार्ट और दृश्य सामग्री के प्रयोग से बच्चों एवं नवशिक्षार्थियों केलिए सीखना और अधिक सहज हो गया है।
पीएम ई-विद्या पहल के अंतर्गत ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से भी तमिल भाषा का शिक्षण कराया जा रहा है। स्टॉल पर तमिल की प्रथम व्याकरणिक पुस्तक तोळ्काप्पियम (Tolkappiyam), संगम साहित्य, पोस्ट संगम साहित्य, कला साहित्य (18 भागों में) तथा तमिल शोध से संबंधित अनेक पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। स्टॉल का संचालन सीआईसीटी के निदेशक डॉ आर चंद्रशेखर, रजिस्ट्रार डॉ आर भुवनेश्वरी के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। स्टॉल टीम में डॉ देवी, डॉ कार्तिक एवं डॉ पियरस्वामी सक्रिय रूपसे सहभागिता निभा रहे हैं। सीआईसीटी का यह प्रयास तमिल भाषा को सीखने, समझने और भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने की दिशामें एक सशक्त कदम सिद्ध हो रहा है। स्टॉल पर तमिल भाषा सीख रही वाराणसी की स्थानीय निवासी साजिया ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहाकि सीआईसीटी का यह प्रयास अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक है।
साजिया ने कहाकि पहले उसे लगता थाकि तमिल भाषा सीखना कठिन होगा, लेकिन यहां तमिल करकलाम के माध्यम से बहुत ही सरल और रोचक तरीके से पढ़ाया जा रहा है। साजिया ने कहाकि हिंदी में अनुवादित पुस्तकों, चार्ट और संवाद अभ्यास से भाषा समझना आसान हो गया है। साजिया ने कहाकि इंटरैक्टिव क्लास और शिक्षकों का मार्गदर्शन उसे तमिल अक्षर, शब्द और सामान्य बातचीत सीखने में आत्मविश्वास दे रहा है। उसने यहभी बतायाकि इस तरह के मंच स्थानीय युवाओं को नई भाषाएं सीखने और अन्य संस्कृतियों को समझने का बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं। उसने सीआईसीटी और काशी तमिल संगमम् 4.0 की सराहना करते हुए कहाकि ऐसे प्रयास ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को वास्तविक रूपमें साकार करते हैं और युवाओं को ज्ञान व संस्कृति से जोड़ते हैं।

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