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हाथी हमारा राष्ट्रीय विरासत पशु है-राष्ट्रपति

'हाथी और अन्य जीव-जंतुओं के प्रति दया एवं सम्मानभाव रखें'

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गज उत्सव-23 का उद्घाटन किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 7 April 2023 04:19:24 PM

president inaugurates gaja utsav at kaziranga national park

गुवाहाटी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गज उत्सव-2023 का उद्घाटन किया और कहाकि गज उत्सव का उद्घाटन करके उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत सरकार की प्रायोजित 'परियोजना हाथी' के 30 वर्ष सम्पन्न हो गए हैं और इससे जुड़े इस आयोजन केलिए केंद्र सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा असम सरकार के वन विभाग के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों की सराहना की। उन्होंने कहाकि हाथियों की सुरक्षा करना, उनके प्राकृतिक निवास का संरक्षण करना तथा हाथी कॉरीडोर को बाधारहित बनाए रखना 'परियोजना हाथी' के प्रमुख उद्देश्य हैं, साथही मानव-हाथी संघर्ष से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना भी इसका लक्ष्य और चुनौती है, ये सभी उद्देश्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, बंदी हाथी के हित में कार्य करना भी परियोजना हाथी का ही उद्देश्य है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि मानव-हाथी संघर्ष सदियों से एक मुद्दा रहा है। उन्होंने इस अवसर पर जिक्र कियाकि प्राचीन संस्कृत कवि त्रिपुरारि पाल ने लिखा थाकि हाथी को बंधन में डालकर मनुष्य को अपनी बुद्धिमत्ता पर गर्व नहीं करना चाहिए, यह तो हाथी का शांत और विनयशील स्वभाव है, जिसके कारण वह बंधन को स्वीकार कररहा है, यदि क्रोध में आकर वह अपने विनय को छोड़ देतो वह सबकुछ तहस-नहस कर सकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि यदि गहराई से विचार किया जाए तो यह स्पष्ट होता हैकि जो कार्य प्रकृति तथा पशु-पक्षियों के हित में है, वह मानवता के हित में भी है और धरतीमाता के हित में भी है, जो जंगल और हरे-भरे क्षेत्र हाथी रिज़र्व हैं, वे सभी बहुत प्रभावी कार्बन सिंक हैं, इसलिए यह कहाजा सकता हैकि हाथियों के संरक्षण से देशवासी लाभांवित होंगे और यह जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने मेंभी सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहाकि ऐसे प्रयासों में सरकार के साथ-साथ समाज की भागीदारी भी ज़रूरी है।
राष्ट्रपति ने कहाकि प्रकृति और मानवता केबीच एक बहुत पवित्र रिश्ता है, जिसकी पवित्रता ग्रामीण और आदिवासी समाज में अभीभी दिखाई देती है। उन्होंने कहाकि अकादमी पुरस्कार से नामांकित वृत्तचित्र फिल्म द एलिफेंट व्हिस्परर्स में इसी पवित्र रिश्ते को समझाते हुए यह दिखाया गया हैकि काट्टु नायक समुदाय के लोग जब जंगल में जाते हैं, तब वे अपने पैरों में कुछ नहीं पहनते हैं, सामान्य रूपसे लोग अपने जूते-चप्पल उतारकर ही पवित्र स्थानों में प्रवेश करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि प्रकृति का सम्मान करने की यह संस्कृति हमारे देश की पहचान है, भारत में प्रकृति और संस्कृति सदियों से एकदूसरे से जुड़ी हैं और एकदूसरे से पोषण प्राप्त करती हैं। उन्होंने कहाकि हमारी परंपरा में हाथी या गजराज सबसे अधिक सम्मानित हैं, पूजा-अर्चना में गजानन अर्थात हाथी की मुखाकृति वाले श्रीगणेशजी का पूजन सबसे पहले किया जाता है और देवताओं के राजा इंद्र की सवारी गजराज ऐरावत का प्रभावशाली वर्णन प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, भारतीय शास्त्रीय नृत्यविधाओं में गजलीला गति यानी प्रसन्न होकर आगे बढ़ते हुए हाथी की चाल की कलात्मक प्रस्तुति की जाती है
द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि हाथी को हमारे देश में समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है, हमारे देश की परंपरा के संदर्भ में यह सर्वथा उचित हैकि इस भव्य गजराज को भारत के 'राष्ट्रीय विरासत पशु' का स्थान दिया गया है, हाथी की रक्षा करना हमारे राष्ट्रीय विरासत की रक्षा करने के राष्ट्रीय उत्तरदायित्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है। राष्ट्रपति ने कहाकि हाथी को बहुत बुद्धिमान और संवेदनशील माना जाता है, हाथी भी मनुष्यों की तरह एक सामाजिक प्राणी है, वह परिवार केसाथ और समूह में रहना पसंद करता है, यदि समूह के एक हाथी पर कोई संकट आता है तो सभी हाथी इकट्ठा हो जाते हैं और उसकी सहायता करते हैं, यदि कुछ अनहोनी हो जाती है तो सभी एकसाथ दुख की अभिव्यक्ति करते हैं। उन्होंने कहाकि यह बातें वे इसलिए कहरही हैंकि हाथी तथा अन्य जीवधारियों केलिए हम सबको उसी तरह संवेदना और सम्मान का भाव रखना चाहिए जैसे हम मानव समाज केलिए रखते हैं। उन्होंने कहाकि नि:स्वार्थ प्रेमभाव पशु-पक्षियों में अधिक होता है, उनसे मानव समाज को सीखना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहाकि वन विभाग के अधिकारियों तथा इस क्षेत्र से जुड़े सभी संस्थानों का यह प्रयास होना चाहिएकि यदि कोई हाथी अपने समूह से बिछड़ जाए और जंगल से बाहर आ जाए तो उसे हर संभव प्रयास करके उसके परिवार और समूह से वापस मिला दें। उन्होंने कहाकि वह जिस परिवेश में पली-बढ़ी हैं, वहां उन्होंने प्रकृति और पशु-पक्षियों केप्रति सम्मान का भाव देखा है, झारखंड पश्चिम बंगाल और ओडिशा में रहनेवाले हाथी भी उनके जन्मस्थान के क्षेत्रसे गुजरते रहते हैं, बच्चों को हाथी बहुत प्यारे लगते हैं, उन्हें भी बचपन सेही हाथियों से लगाव है और हाथी अकारण किसी भी तरह का नुकसान नहीं करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि जब मानव-हाथी संघर्ष का विश्लेषण होता है तो यही पता चलता हैकि हाथियों के प्राकृतिक आवास या आवागमन में अवरोध पैदा किया गया है, अतः इस संघर्ष की ज़िम्मेदारी मानव समाज पर ही आती है, इसलिए मानव समाज को हमेशा संवेदनशील और सचेत रहना चाहिए, हाथियों से प्यार से व्यवहार करना चाहिए।
द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि हमारी आध्यात्मिक परंपरा में मानवता, प्रकृति और पशु-पक्षियों के एकात्म होने पर ज़ोर दिया गया है, समस्त प्रकृति से तथा जीवजगत से प्रेम करने का यही भारतीय आदर्श 'हाथी फुसफुसाते हुए' नामक फ़िल्म में दिखाया गया है, इसमें हाथियों के अनाथ बच्चों रघु और अम्मू को बेल्ली और बोम्मन वैसेही प्यार और देखभाल करते हैं जैसे माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि ऐसे बहुतसे ग्रामीण आदिवासी और महावत परिवारों के लोग हाथियों को प्यार करते हैं, उनकी देखभाल करते हैं, बेल्ली और बोम्मन की तरह उनकी कहानी भी सबके सामने आनी चाहिए, बेल्ली और बोम्मन जैसे प्रेम का आदर्श प्रस्तुत करने वालों पर मुझे गर्व है और मैं उन सबके प्रति हृदय से सम्मान व्यक्त करती हूं। उन्होंने कहाकि असम के काज़ीरंगा नेशनल पार्क और मानस नेशनल पार्क केवल भारत ही नहीं, बल्कि विश्वभर की अनमोल विरासत हैं, इसीलिए इन दोनों विशाल तथा सुंदर उद्यानों को यूनेस्को ने 'विश्व धरोहर स्थल' का दर्जा दिया है।
राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि जंगली हाथियों की कुल संख्या की दृष्टि से असम का देश में दूसरा स्थान है, यहां मानव समाज की देखरेख में रहनेवाले हाथियों की संख्या भी बहुत बड़ी है, इसलिए गज उत्सव के आयोजन हेतु असम का यह काजीरंगा उद्यान बहुतही उपयुक्त स्थल है। उन्होंने कहाकि परियोजना हाथी तथा गज उत्सव के उद्देश्यों में सफलता केलिए हितधारकों को मिलकर आगे बढ़ना होगा एवं स्कूली बच्चों में प्रकृति तथा जीव-जंतुओं केप्रति जागरुकता एवं संवेदनशीलता का प्रसार करना बहुत जरूरी है। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे सभी परंपरागत पर्व प्रकृति के लय केसाथ जुड़े हैं, असम का रोंगाली बिहू भी प्रकृति के उल्लास को व्यक्त करता है और असम के भाइयों और बहनों को रोंगाली बिहू की अग्रिम बधाई दी। उन्होंने गज उत्सव एवं परियोजना हाथी की सफलता केलिए शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए आशा जताईकि हमारा देश प्रकृति और जीव-जंतुओं के संरक्षण के आदर्श प्रस्तुत करेगा।

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