स्वतंत्र आवाज़
word map

'निष्पक्ष पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र अधूरा है'

'सोशल मीडिया ने पत्रकारिता व लोकतंत्र को पुनर्जीवित किया'

बेंगलूरु में द हिंदू के वार्षिक विचार सम्मेलन में बोले राष्ट्रपति

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 22 February 2020 04:45:11 PM

ram nath kovind addressing the annual thought conclave of the hindu

बेंगलूरु। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज बेंगलूरु में द हिंदू के चौथे वार्षिक विचार सम्मेलन 'द हडल' को संबोधित करते हुए कहा है कि यह एक ऐसा नाम है, जो न केवल भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है, बल्कि एक इतिहास खंड को भी संजोया हुआ है, जो सभ्यता के संदर्भ में दुनिया में अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि हिंदू प्रकाशन समूह ने अपनी जिम्मेदार एवं नैतिक पत्रकारिता के माध्यम से इस महान देश के मूलतत्व को पकड़ने की कोशिश की है। उन्होंने पत्रकारिता के पांच मूल सिद्धांतों-सच्चाई, स्वतंत्रता एवं आजादी, न्याय, मानवता और सामाजिक भलाई में योगदान के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि जागरुक नागरिक यानी निष्पक्ष पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र अधूरा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत के सामाजिक मानस में बहस और चर्चा को सच तक पहुंचने का जरिया हमेशा से माना जाता है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि सत्‍य की अवधारणा परिस्थितियों पर निर्भर करती है और बहस, चर्चा एवं वैज्ञानिक स्‍वाभाव से उत्‍पन्‍न विचार के जरिये सत्‍य पर छाए बादल को प्रभावी ढंग से दूर किया जाता है तथा पूर्वाग्रह व हिंसा सत्य की खोज को मिटा देती है। राष्ट्रपति ने कहा कि कभी-कभी हठधर्मिता और व्यक्तिगत पूर्वाग्रह भी सत्य को विकृत करते हैं। उन्होंने कहा कि गांधीजी के जन्म के 150वें वर्ष में हमें इस प्रश्न पर विचार करना चाहिए कि क्या सत्‍य को एक विचारधारा के रूपमें आगे बढ़ाने के लिए उचित नहीं होगा? गांधीजी ने हमें सत्य की खोज में लगातार चलते हुए रास्ता दिखाया है, जो अंततः इस जगत को समृद्ध करने वाले हर सकारात्मक गुण को समाहित करता है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया ने पत्रकारिता और लोकतंत्र को पुनर्जीवित किया है, यह प्रक्रिया जारी है, लेकिन फिलहाल अपने आरंभिक चरण में है। उन्होंने कहा कि इसने कई चिंताओं को भी जन्म दिया है, नई मीडिया काफी तेज़ और लोकप्रिय है और लोग वही चुनते हैं, जो वे देखना, सुनना या पढ़ना चाहते हैं, लेकिन पारंपरिक मीडिया ने वर्षों के दौरान समाचार के सत्‍यापन के लिए कौशल विकसित किया है और यह काम महंगा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि हम जल्द ही सामंजस्‍य की स्थिति तक पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि इस दौरान पारंपरिक मीडिया को समाज में अपनी भूमिका पर आत्मनिरीक्षण करना होगा और पाठकों के विश्वास को फिरसे हासिल करने के तरीके तलाशने होंगे। इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला और मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी उपस्थित थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]