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भारत की सुख समृद्धि नेपाल की समृद्धि-योगी

'भारत-नेपाल को अपने शत्रु और मित्र को भी पहचानना होगा'

लखनऊ में द्वितीय भारत-नेपाल द्विपक्षीय संवाद कार्यक्रम

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 14 February 2020 03:05:12 PM

second indo-nepal bilateral dialogue program in lucknow

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली के इंडिया फाउंडेशन, नीति अनुष्ठान प्रतिष्ठान नेपाल तथा नेपाल इंडिया चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री एनआईसीसीआई काठमांडू के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित द्वितीय भारत-नेपाल द्विपक्षीय संवाद कार्यक्रम के समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा है कि भारत की समृद्धि और सुरक्षा नेपाल की समृद्धि और सुरक्षा है। उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के सांस्कृतिक एवं सामाजिक सम्बन्ध प्राचीनकाल से हैं, भारत और नेपाल प्राचीनकाल से प्रभुत्व सम्पन्न राष्ट्र हैं, यदि मनुष्य के रूपमें इसकी तुलना करें तो ये शरीर तो दो हैं, लेकिन हमारी साझी सांस्कृतिक विरासत, हम सबको एक आत्मा के रूपमें आपस में एक हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल का नागरिक चारधाम यात्रा के लिए भारत की ओर ही देखता है, जब किसीको हिमालय के दर्शन करने होते हैं या फिर वह नेपाल के धार्मिक स्थलों में आध्यात्मिक उद्देश्यों से जाना चाहता है तो उसे पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ शक्तिपीठों की शरण में जाना पड़ता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम सबको दोनों देशों की हजारों वर्ष की इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्राप्त हुआ है, अब हमारी जिम्मेदारी यह है कि हम इस सांझी विरासत को मजबूती के साथ सबसे आगे लेकर जाएं। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि नेपाल समृद्धशाली हो, सुखी हो, अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हुए विकास के नए कीर्तिमान स्थापित करे, नई ऊंचाइयों को छुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नेपालियों को आम भारतीय अत्यंत विश्वसनीय मानते हैं, इस आपसी विश्वास पर ही भारत और नेपाल की सांझी विरासत टिकी है, यही विश्वास नेपाल और भारत को एकजुट करता है और करता रहेगा, इसी प्रकार दोनों देशों की सीमाएं भी आपस में मिलती हैं, जो हमारे मजबूत सम्बंधों का आधार हैं, इस संवाद को स्थापित करना एक बेहतर पहल है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दोनों देशों के सम्बंध प्रगाढ़ करने में राजनीति बाधक नहीं होनी चाहिए, हमें अपनी सांझी विरासत मजबूती से आगे बढ़ानी है, हमारे हित आपस में जुड़े हुए हैं, दोनों देशों को समृद्धि की नई ऊंचाइयां छूने के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार भारत के दो ऐसे राज्य हैं, जिनकी सीमाएं नेपाल से लगी हुई हैं, इन दोनों राज्यों के लोग सीमापार आते-जाते रहते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नेपाल हाइड्रो पावर तथा सोलर इनर्जी का केंद्र बन सकता है, पर्यटन जैसी गतिविधियों का हब भी बन सकता है, इस कार्य में नेपाल की भारत हर सम्भव सहायता कर सकता है, इससे नेपाल समृद्ध हो सकता है, इस समृद्धि को प्राप्त करने के लिए मार्ग में बाधक सभी तत्वों को चिन्हित करके, हर स्तर पर संवादकर समस्याओं के समाधान का मार्ग निकालना होगा। उन्होंने कहा कि मानवता के कल्याण का मार्ग अगर कहीं से प्रशस्त होना है तो वह हिमालय से समुद्र का विस्तृत भूभाग है, इसमें भारत और नेपाल की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है, इसके लिए हमें अपनी भूमिका को पहचानना होगा और आगे बढ़ना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कार्य ट्रेड-टू-ट्रेड हो सकते हैं, जैसे यहां द्विपक्षीय संबंधों की बातचीत प्रारंभ हुई है, ऐसे संवादों से जमी हुई बर्फ अपने आप पिघलती हुई दिखाई देगी और अगर कहीं कोई जड़ता होगी तो वह भी स्वतः दूर होती हुई दिखाई देगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के अपने पहले दौरे में जनपद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर को काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर से जोड़ने के लिए जो बससेवा शुरू की थी, वह आज भी चल रही है, नेपाल के अपने तीसरे दौरे में प्रधानमंत्री ने नेपाल के जनपद जनकपुर से अयोध्या को जोड़ने के लिए जो बससेवा प्रारम्भ की थी, वह बससेवा आज भी संचालित हो रही है।मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच में व्यापार, पर्यटन, टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में व्यापक संभावनाएं हैं, ये संभावनाएं तब विकसित होंगी, जब हम विश्वास की हजारों वर्ष की विरासत को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर वाराणसी को स्मार्ट सिटी के रूपमें तेजी से विकसित करने की दिशा में काम होता है तो काठमांडू भी इसमें पीछे नहीं रहेगा, भगवान शंकर के इन दो पवित्र नगरों को स्मार्ट सिटी के रूपमें विकसित करके इन संबंधों को और भी आगे बढ़ाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय सेना में जनरल से लेकर सामान्य सिपाही तक अनेक नेपाली जुड़े हुए हैं, वे पूरी मजबूती के साथ वैसे ही भारत भूमि की रक्षा करते हैं, जैसे कोई अपनी मातृभूमि की रक्षा करता है, ये विश्वास केवल नेपाल के लोगों से प्राप्त है। उन्होंने कहा कि भारत से बड़ी संख्या में पर्यटक नेपाल जा सकते हैं, जिससे लाखों नेपाली नौजवानों को घर में ही रोज़गार उपलब्ध हो सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए राज्य सरकार ने पुरोहितों को प्रशिक्षित किया है, उनको हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत आदि भाषाओं की सामान्य जानकारी दी गई है, इससे काशी विश्वनाथ मंदिर पूजा-पाठ के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को काफी सुविधा हो गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 100 से ज्यादा गाइड काशी विश्वनाथ मंदिर में मौजूद हैं और 30,000 रुपए से लेकर 1.5 लाख रुपए तक प्रतिमाह कमा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया कि जब गाइडों ने कार्य प्रारम्भ किया तो प्रतिदिन 8 से 10 घंटे कार्य करने पर पहले ही महीने में उन‌की 1.25 लाख रुपए की आय हुई और जिन लोगों ने 2 से 3 घंटे कार्य किया, उनको 25 से 30 हजार रुपए हर महीने आय हुई। उन्होंने कहा कि मंदिर में चढ़ने वाले जिन पुष्पों एवं बेलपत्रों को पहले फेंक दिया जाया करता था, आज उनकी रीसाइक्लिंग के लिए प्रदेश के एक नक्सल प्रभावित गांव की 50 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है, आज वे महिलाएं उन पुष्पों से इत्र एवं धूप का निर्माण कर रही हैं और 9 हजार से 15 हजार रुपए प्रतिमाह कमा रही हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नेपाल में पौराणिक परम्पराओं से जुड़े हजारों ऐसे आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक केंद्र हैं, जिन्हें हम स्प्रिचुअल टूरिज्म के साथ जोड़कर, विभिन्न प्रकार की सुविधाएं वहां उपलब्ध करा सकते हैं, यह रोज़गार का एक बहुत बड़ा माध्यम बन सकता है। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल को अपने शत्रु और मित्र को पहचानना होगा, अपने मार्ग में बाधक बन रहे तत्वों को पहचानकर उन्हें बेनकाब करना होगा, जो तत्व हमारे सतत विकास में बाधक बन रहे हैं, उन्हें मीडिया के जरिए, गोष्ठी के जरिए बेनकाब किया जाए। उन्होंने कहा कि डेढ़ वर्ष पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश के कुछ पत्रकारों को नेपाल भेजा था, ताकि वे वहां के मीडिया से संवादकर उन्हें भारत भ्रमण पर ला सकें। उस समय नेपाल से लगभग 25 पत्रकार यहां आए थे, जिन्हें प्रदेश में भ्रमण करने का अवसर मिला, एक-दूसरे से बड़े स्तर पर संवाद हुआ, ऐसे दौरे इसी प्रकार जारी रहने चाहिएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नेपाल की वर्तमान पीढ़ी आगे बढ़ना चाहती है, यह धर्म चक्र हमें अच्छे मार्ग की ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है। उन्होंने कहा कि हम सभी को इसके लिए बेहतर प्रयास करने चाहिएं, यह द्विपक्षीय संवाद भारत और नेपाल के संबंधों को उन नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा, जो दोनों देशों के नागरिकों के हित में होंगी। कार्यक्रम को नेपाल की फेडरल पार्लियामेंट के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्य शशांक कोइराला ने भी सम्बोधित किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर नेपाल से आए प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह के रूपमें प्रयागराज कुम्भ-2019 पर आधारित कॉफी टेबल बुक तथा ओडीओपी पुस्तिका भेंट की।

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