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निकी ऐप से भी कर सकते हैं ऑनलाइन पेमेंट

आईआईटी खड़गपुर के छात्र सचिन जायसवाल का निर्माण

अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला और तमिल भाषा में भी है निकी ऐप

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 30 August 2019 01:03:37 PM

sachin jaiswal c.e.o niki.ai

आजमगढ़। आईआईटी खड़गपुर के छात्र सचिन जायसवाल का दावा है कि उसने अंग्रेजी, हिंदी, बंगला और तमिल में भी निकी ऐप का निर्माण किया है, जिसको देश में 50 लाख से अधिक उपभोक्ता ऑनलाइन लेनदेन के लिए अपना रहे हैं। सचिन जायसवाल का कहना है कि निकी भारत का ऐसा इकलौता ऐप है, जो लोगों को अपनी भाषा में बातचीत के माध्यम से ऑनलाइन लेनदेन की सुविधा देता है। सचिन जायसवाल का तर्क है कि भारत को डिजिटल बनाने का सपना तभी पूरा हो सकता है, जब देश का प्रत्येक नागरिक डिजिटली साक्षर हो, इसी सपने और संकल्प को पूरा करने के लिए वह यह निकी ऐप लाया है।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के मुजफ्फरपुर गांव के एक मध्यमवर्गीय परिवार का सचिन जायसवाल निकी का सीईओ है। वह बताता है कि भारत के लोगों के लिए निकी ऐप का निर्माण करना उसके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है। वह कहता है कि छात्र जीवन से ही भारत को डिजिटल बनते देखना उसका सपना था, लेकिन उसने देखा कि वास्तविक दुनिया में अधिकतर लोग ऑनलाइन की दुनिया से कटे हुए हैं, इसका कारण खोजने पर उसने जाना कि अधिकांश ऐप अंग्रेजी भाषा में होने से ज्यादातर लोग ऑनलाइन लेनदेन या दूसरे ऑनलाइन कार्य नहीं कर पाते हैं, साथ ही कई बार उन्हें टाइप करने में भी परेशानी होती है। सचिन जायसवाल ने बताया कि इसके बाद उसने अपने सहपाठी मित्रों शिशिर मोदी, केशव प्रवासी और नितिन बाबेल के साथ मिलकर आसान निकी ऐप बनाया।
सचिन जायसवाल ने दावा किया कि निकी के माध्यम से ऑनलाइन लेनदेन की पूरी प्रक्रिया अपनी भाषा में बातचीत करते हुए पूरी की जा सकती है। उसका कहना है कि चूंकि निकी बोलकर ऑनलाइन पेमेंट करने के प्रत्येक कदम पर सहायता करता है, टाइपिंग नहीं जानने वाला व्यक्ति भी आसानी से इस ऐप का उपयोग कर सकता है, इस तरह से कोई भी निकी से अपना फोन रिचार्ज या बिजली बिल आदि का ऑनलाइन भुगतान कर सकता है। उसने बताया है कि निकी अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला और तमिल भाषा में सफलतापूर्वक काम कर रहा है और जल्द ही देश की अन्य भाषाओं में भी कार्य करने लगेगा। सचिन जायसवाल का दावा है कि वास्तव में निकी से पहले भारत के लोगों की सुविधा को ध्यान में रखकर ऑनलाइन भुगतान करने वाला कोई ऐप नहीं था, देश में उपलब्ध सारे ऐप पश्चिमी देशों के लोगों के अनुरूप और उनकी भाषा में बने हुए हैं, जिन्हें इस्तेमाल करने में गांवों और छोटे शहरों के लोगों को दिक्कत होती है, इसीलिए निकी को भारत के लोगों की भाषा के हिसाब से बनाया गया है।
सचिन जायसवाल का कहना है कि उनके लिए सुरक्षित ऑनलाइन पेमेंट का भरोसा दिलाना भी एक बड़ी चुनौती थी, इसके लिए निकी 100 प्रतिशत गारंटी प्रोग्राम है, जिससे यह तय होता है कि लोगों का पेमेंट सफलतापूर्वक पूरा हुआ है। सचिन जायसवाल का कहना है कि निकी में एक अन्य फीचर भी है जो पास में पैसा नहीं होने या डेबिट कार्ड नहीं होने पर भी ऑनलाइन पेमेंट करने की सुविधा देता है। उसने बताया कि इस फीचर की मदद से ऐप इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार की मदद से अपनी पेमेंट प्रक्रिया पूरी कर सकता है और बाद में पेमेंट करने वाले को पैसा दे सकता है। सचिन जायसवाल का यह भी दावा है कि ऑनलाइन काम आसानी से पूरा होने के कारण निकी देश में टियर 2 व 3 के लोगों में काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, इस समय लगभग 50 लाख उपभोक्ता आसानी से निकी का इस्तेमाल कर रहे हैं, अगले वर्ष तक 2.5 करोड़ उपभोक्ताओं तक निकी को पहुंचाने का उनका लक्ष्य है, ताकि भारत को डिजिटल करने के लक्ष्य को तेजी से पूरा किया जा सके।

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