
संत कंवर राम त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति, जीवन के मर्म को जानने वाले ऋषि, दया के सागर, दीन दुखियों, यतीमों और विकलांगों के मसीहा थे। जहां उनके मुख मण्डल पर किसी ऋषि सा तेज झलकता था वहीं उनके नेत्रों से नूर बरसता था। मानव सेवा ही उनका मुख्य ध्येय था। उनके परोपकारी एवं आध्यात्मिक जीवन ने मानव के संस्कारो में कल्याण, सर्व...