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सरकार मीडिया की निगरानी नहीं चाहती-सूप्रस

मीडिया व इंटरटेनमेंट के लिए स्‍वनियमन ही बेहतर तरीका

मुंबई में मीडिया के लिए नीति और नियमन पर परिचर्चा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 7 December 2018 03:53:28 PM

debate on policy rules for media in mumbai

मुंबई। केंद्रीय सूचना और प्रसारण सचिव अमित खरे ने कहा है कि मीडिया और इंटरटेनमेंट क्षेत्र के नियमन के लिए स्‍वनियमन ही बेहतर तरीका है। उन्‍होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के विकास और उनमें परस्‍पर संबंध को देखते हुए सरकार स्‍वनियमन को ही बेहतर विकल्‍प मानती है। उन्होंने कहा कि सरकार निगरानी करना नहीं चाहती है और चैनलों की बढ़ती संख्‍या को देखते हुए प्रशासनिक रूपसे यही विकल्‍प सुसंगत भी है। अमित खरे ने मुंबई में एक मीडिया संस्‍थान के सम्‍मेलन के आयोजित परिचर्चा सत्र में ये बातें कहीं। परिचर्चा का विषय था-'नीति निर्माताओं से बातचीत-नए प्‍लेटफार्म के लिए नई नीतियां: नए व उभरते हुए मीडिया के लिए नियमन प्रारूप का निर्माण।'
सूचना और प्रसारण सचिव अमित खरे ने कहा कि मीडिया और इंटरटेनमेंट उद्योग भारत के सबसे तेजी से बढ़ने वाले उद्योगों में एक है, इस क्षेत्र की रोज़गार सृजन में महत्‍वपूर्ण भूमिका है, इसने 10 लाख लोगों को रोज़गार उपलब्‍ध कराया है और इस क्षेत्र में खर्च किए जाने वाले 1 रुपये का गुणात्‍मक प्रभाव 2.9 है। सूचना सचिव अमित खरे ने कहा कि ऐतिहासिक रूपसे मीडिया का नियमन, माध्‍यम या प्‍लेटफॉर्म के अनुसार ही विकसित हुआ है, यह सामग्री पर आधारित नहीं होता है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक अख़बार और टीवी चैनल इसी प्रकार के नियमन के दायरे में आते हैं, लेकिन इंटरनेट आधारित मीडिया सामग्री नियमन के दायरे से बाहर रह जाते हैं, सरकार इस मामले में खुले दिमाग से सोचती है।
अमित खरे ने कहा कि एक सवाल बार-बार चर्चा में आता है कि क्‍या हमें उन मीडिया माध्‍यमों के लिए नियम बनाने चाहिएं, जो वर्तमान में नियमन के दायरे से बाहर हैं, क्‍या यह बेहतर नहीं होगा कि पारंपरिक क्षेत्रों के नियमों की संख्‍या में कमी लाई जाए, इसी से संबंधित एक अन्‍य प्रश्‍न है कि कितनी मात्रा में या किस स्‍तरतक नियमन की आवश्‍यकता है, इसे किस तरह लागू करना है, मगर यह एक अन्‍य विषय है। अमित खरे ने कहा कि एफडीआई उदारीकरण का कार्य जारी है, हालांकि एकाधिकार को रोकने की जरूरत है। दक्षिण एशिया-भारत सिस्‍को के आईओटी विभाग के प्रबंध निदेशक आलोक श्रीवास्‍तव, नीशिथ देसाई, एसोसिएट्स की सीनियर पार्टनर गौरी गोखले तथा सोनी पिक्‍चर्स इंटरटेनमेंट इंडिया के एमडी विवेक कृष्‍णानी परिचर्चा पैनल के सदस्‍य थे। परिचर्चा का संचालन केपीएमजी इंडिया के मीडिया और टेलीकॉम के पार्टनर चैतन्‍य गोगीनेनी ने किया।

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