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Friday 24 January 2025 01:22:14 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय बालिका दिवस पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बालिकाओं को सशक्त बनाए रखने तथा उनके लिए व्यापक अवसर सुनिश्चित करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखाकि भारत को सभी क्षेत्रोंमें बालिकाओं की उपलब्धियों पर गर्व है, उनकी उपलब्धियां हम सभीको प्रेरित करती रहती हैं और हमारी सरकार ने शिक्षा, प्रौद्योगिकी, कौशल, स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसने बालिकाओं को सशक्त बनाने में योगदान दिया है। उन्होंने कहाकि बालिकाओं केसाथ कोई भेदभाव न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए भी हम उतने ही प्रतिबद्ध हैं। इस अवसर पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भी राष्ट्रीय बालिका दिवस पर बालिकाओं को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा एवं सशक्तिकरण हेतु संकल्पबद्ध होने का आह्वान किया।
गौरतलब हैकि भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस लड़कियों के अधिकारों, शिक्षा और कल्याण पर फोकस करने केलिए समर्पित एक महत्वपूर्ण अवसर के रूपमे मनाया जाता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2008 में इसकी शुरूआत की थी, जिसका मक़सद लड़कियों को सशक्त बनाने केलिए जागरुकता बढ़ाना और एक ऐसा वातावरण तैयार करना है, जहां वे लिंग भेदभाव की बाधाओं के बग़ैर आगे बढ़ सकें। राष्ट्रीय बालिका दिवस का मुख्य फोकस घर और समाज में लड़कियों केप्रति सामाजिक दृष्टिकोण को बदलने, कन्या भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों को संबोधित करने, घटते लिंग अनुपात के बारेमें जागरुकता बढ़ाने और लड़कियों केलिए अधिक समावेशी एवं न्यायसंगत वातावरण को बढ़ावा देने पर है। बालिकाओं के विकास की पहलों में लड़कियों का समग्र विकास सुनिश्चित करना, न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत भलाई केलिए, बल्कि समाज की सामूहिक उन्नति केलिए भी जरूरी है, खासकर एक अधिक न्यायसंगत भविष्य के निर्माण केलिए लड़कियों के अधिकारों और अवसरों को पहचानना तथा उनका समर्थन करना बेहद जरूरी है। बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनकी सुरक्षा केलिए कानूनी उपायों में कई प्रमुख पहल शामिल हैं।
बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 का उद्देश्य इसमें शामिल लोगों को दंडित करके बाल विवाह की प्रथा को खत्म करना है। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम-2012 बाल दुर्व्यवहार को संबोधित करता है, इसके कार्यांवयन को और मज़बूती से लागू करने केलिए साल 2020 में इसके नियमों मेंभी बदलाव किए गए हैं। किशोर न्याय अधिनियम-2015 जरूरतमंद बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। मिशन वात्सल्य लापता बच्चों की सहायता केलिए चाइल्ड हेल्पलाइन और ट्रैक चाइल्ड पोर्टल जैसी सेवाओं केसाथ बाल विकास और सुरक्षा पर केंद्रित है। ट्रैक चाइल्ड पोर्टल साल 2012 से कार्यरत है। यह पोर्टल पुलिस स्टेशनों में रिपोर्ट किए गए 'लापता' बच्चों का मिलान, उन 'पाए गए' बच्चों केसाथ करने की सुविधा प्रदान करता है, जो बाल देखभाल संस्थानों में रह रहे हैं। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों की मदद करती है। एनआईएमएचएएनएस और ई-संपर्क कार्यक्रम के सहयोग से मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा देखभाल भी प्रदान की जाती है। दावा हैकि ये सभी प्रयास भारत में लड़कियों के अधिकारों और कल्याण पर ज़ोर देते हुए उनके लिए एक सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देते हैं।