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रक्षा प्रौद्योगिकी में अपना करियर बनाएं!

डीआरडीओ एआईसीटीई व उद्योगजगत का संयुक्त प्रयास

रक्षा प्रौद्योगिकी में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी कार्यक्रम शुरु

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 9 July 2021 12:06:28 PM

master of technology program started in defense technology

नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने विभिन्न रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में आवश्यक सैद्धांतिक, प्रायोगिक ज्ञान, कौशल और योग्यता प्रदान करने केलिए रक्षा प्रौद्योगिकी में एक नियमित एमटेक कार्यक्रम शुरु किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी एवं एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने एआईसीटीई नई दिल्ली में आभासी माध्यम से कार्यक्रम का शुभारंभ किया, जो रक्षा प्रौद्योगिकी में अपना करियर बनाने के इच्छुक इंजीनियरों को प्रेरित करेगा।
रक्षा प्रौद्योगिकी कार्यक्रम एआईसीटीई से संबद्ध संस्थानों/ विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी या निजी इंजीनियरिंग संस्थानों में आयोजित किया जाएगा। रक्षा वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद संस्थान इस कार्यक्रम के संचालन केलिए संस्थानों को सहायता प्रदान करेगा, जिसे ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रारूपों में आयोजित किया जा सकता है। इसमें छह विशेष विषय हैं-कॉम्बैट टेक्नोलॉजी, एयरो टेक्नोलॉजी, नेवल टेक्नोलॉजी, कम्युनिकेशन सिस्टम्स एंड सेंसर्स, डायरेक्टेड एनर्जी टेक्नोलॉजी और हाई एनर्जी मैटेरियल टेक्नोलॉजी। छात्रों को डीआरडीओ प्रयोगशालाओं, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और उद्योगों में अपने मुख्य थीसिस कार्य को संचालित करने के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे। यह कार्यक्रम रक्षा अनुसंधान और विनिर्माण क्षेत्र के विस्तार में अवसरों की मांग करने वाले छात्रों केलिए मददगार होगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर कार्यक्रम शुरू करने केलिए डीआरडीओ, एआईसीटीई और उद्योगों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' दृष्टिकोण को साकार करने में मदद मिलेगी। डॉ जी सतीश रेड्डी ने डीआरडीओ, एआईसीटीई और उद्योगों से आशा व्यक्त की कि इस तरह के विशेष कार्यक्रमों से रक्षा क्षेत्र केलिए प्रतिभाशाली कार्यबल का एक बड़ा पूल तैयार किया जा सकेगा। उन्होंने उद्योगजगत का इस कार्यक्रम केलिए साथ देने और छात्रों को अवसर प्रदान करने का आह्वान किया।
प्रोफेसर अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि इससे न केवल रक्षा प्रौद्योगिकी में कुशल जनशक्ति तैयार होगी, बल्कि नए रक्षा स्टार्टअप और उद्यमियों के मामले में अनपेक्षित लाभ भी पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि शोध को दिन-प्रतिदिन के जीवन से जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि यह मानवीय मनोविज्ञान का मूल है। भारत फोर्ज लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक बाबासाहेब नीलकंठ कल्याणी ने रक्षा प्रौद्योगिकी के लिए प्रतिभा पूल के निर्माण केलिए इसके महत्व पर प्रकाश डाला और यह बताया कि यह कार्यक्रम किस प्रकार आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार कर पाएगा।

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