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देश में निर्मित पोत आत्मनिर्भरता के प्रतीक-रक्षामंत्री

गोवा में तटरक्षक बल के पोत और नौकाओं का जलावतरण किया

भारतीय जहाज निर्माण उद्योग की बढ़ती ताकत गर्व की बात

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Friday 15 May 2020 05:40:58 PM

defense minister rajnath singh coast guard ships and boats launched in goa

नई दिल्‍ली/ गोवा। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्‍ली से वीडियो कॉंफ्रेंस के माध्यम से गोवा में भारतीय तटरक्षक बल के पोत सचेत और दो अवरोधक नौकाओं सी-450 एवं सी-451 का जलावतरण किया। आईसीजीएस सचेत पांच अपतटीय गश्ती पोतों की श्रृंखला में पहला है और इसे गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने देश में ही डिजाइन एवं निर्मित किया है तथा इसे अत्याधुनिक नौवहन एवं संचार उपकरणों से सुसज्जित किया गया है। राजनाथ सिंह ने डिजिटल माध्यम से जलावतरण की इस पहल के लिए आईसीजी और जीएसएल की सराहना की और कहा कि इन पोतों का जलावतरण भारत की तटीय क्षमता निर्माण प्रक्रिया में एक मील का पत्थर है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों के बावजूद यह देश की सुरक्षा एवं हिफाजत के लिए हमारी प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प का एक उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है। रक्षामंत्री ने कहा कि हमारे समुद्री रक्षक आईसीजी और भारतीय जहाज निर्माण उद्योग की बढ़ती ताकत देश के लिए गर्व की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र के विजन ‘सागर’ का उल्‍लेख करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि महासागर न केवल हमारे देश, बल्कि वैश्विक समृद्धि की भी जीवन रेखा हैं। उन्‍होंने कहा कि सुरक्षित, संरक्षित और स्‍वच्‍छ समुद्र हमारे राष्ट्र निर्माण के लिए आर्थिक अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक उभरती समुद्री ताकत है और हमारी समृद्धि भी काफी हद तक समुद्र पर निर्भर है तथा एक जिम्मेदार समुद्री ताकत होने के नाते महासागर भारत सरकार की प्राथमिकता है।
समुद्र तट की रक्षा में आईसीजी की भूमिका की सराहना करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया में चौथे सबसे बड़े तटरक्षक के रूपमें इसने स्‍वयं को एक विश्वसनीय बल के रूपमें स्थापित किया है, यह न केवल हमारे समुद्र तट और तटीय समुदाय की रक्षा करता है, बल्कि आर्थिक गतिविधियों एवं विशिष्‍ट आर्थिक जोन में समुद्री पर्यावरण की भी रक्षा करता है। रक्षामंत्री ने यह माना कि समुद्र राष्ट्र विरोधी तत्वों के प्रायोजित किसी भी प्रकार के खतरों का एक माध्यम बन सकता है, इसलिए सभी हितधारकों के बीच सहयोगात्मक और सहकारी दृष्टिकोण विकसित करना अत्‍यंत आवश्‍यक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आज से बेड़े में शामिल किए जा रहे तटरक्षक पोत उनकी ताकत को बढ़ाएंगे और समुद्री आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, समुद्री कानून लागू करने, तस्करी और खतरे में पड़े समुद्री यात्रियों की खोज एवं बचाव से संबंधित चुनौतियों का सामना करने में काफी मददगार साबित होंगे।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गोवा शिपयार्ड और एलएंडटी शिपयार्ड हजीरा के प्रयासों की प्रशंसा की, जिन्होंने वर्तमान परिस्थितियों में भी जहाजों का निर्माण और रखरखाव जारी रखा है। उन्होंने कहा कि यह प्रोफेशनल नजरिए को भी दर्शाता है। उल्लेखनीय है कि भारतीय शिपयार्ड मेक इन इंडिया के विजन और आत्मनिर्भर भारत अभियान में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, जिसका आह्वान हाल ही में प्रधानमंत्री ने किया है। भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक कृष्णस्वामी नटराजन ने कहा कि जलावतरण कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया है कि कोविड-19 से उत्‍पन्‍न बाधाओं के बावजूद आईसीजी निरंतर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि पोतों के आईसीजी बेड़े में शामिल नए पोत आईसीजीको समुद्र में सदैव सतर्क रहने में मदद करेंगे और इसके साथ ही कोविड-19 के खिलाफ देश की लड़ाई में भी अहम योगदान देंगे। करीब 105 मीटर लंबे पोत सचेत का वजन लगभग 2,350 टन है और यह 9,100 किलोवाट के दो डीजल इंजनों से संचालित होता है, जिन्‍हें 6,000 नॉटिकल मील की सहनशक्ति के साथ 26 समुद्री मील (नॉट) की अधिकतम गति से चलने लायक डिजाइन किया गया है। नवीनतम उपकरण एवं प्रणालियां इसे एक कमांड प्लेटफॉर्म की भूमिका निभाने और आईसीजी के चार्टर को पूरा करने के लिए संबंधित कार्यों को पूरा करने की क्षमता प्रदान करती हैं।
पोत सचेत तेजी से बोर्डिंग और तलाश एवं बचाव अभियानों के लिए दोहरे इंजन वाले एक हेलि‍कॉप्टर, उच्चगति वाली चार नौकाओं और हवा से भरी जाने वाली एक नौका को ले जाने में सक्षम है। यह समुद्र में तेल फैलने के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए सीमित प्रदूषण रोधी उपकरण ले जाने में भी सक्षम है। सचेत का अर्थ सतर्कता है, जो राष्ट्र के समुद्री हित की पूर्ति और संरक्षण के लिए सदैव सतर्क रहने की आईसीजी की इच्छा और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सचेत की कमान उप महानिरीक्षक राजेश मित्तल संभाल रहें हैं और 11 अधिकारी एवं 110 कर्मी यहां तैनात हैं। आईबी सी-450 और सी-451 लार्सन एंड टुब्रो शिपयार्ड हजीरा ने देश में ही डिजाइन एवं निर्मित की हैं और ये नवीनतम नौवहन तथा संचार उपकरणों से लैस हैं। करीब 30 मीटर लंबी दो नौकाएं 45 समुद्री मील से भी अधिक गति प्राप्त करने में सक्षम हैं। इन्हें उच्चगति से अवरोधन, तट के निकट गश्ती एवं कम तीव्रता के समुद्री अभियानों के लिए तैयार किया गया है। आईबी की त्वरित जवाबी कार्रवाई क्षमता किसी भी उभरती समुद्री परिस्थिति से निपटने और उसे विफल करने की दृष्टि से इसे एक आदर्श प्‍लेटफॉर्म बनाती है। इन नौकाओं की कमान सहायक कमांडेंट गौरव कुमार गोला और सहायक कमांडेंट अकिन जुत्शी संभाल रहे हैं।
तटरक्षक बल स्वदेशी परिसंपत्तियों को शामिल करने में अग्रणी रहा है, जिसने इसे पूरे वर्ष परिचालन की दृष्टि से उपलब्ध रहने में सक्षम बनाया है। आईबी में स्वदेशी सामग्री के उपयोग को अधिकतम करने के निरंतर प्रयासों की बदौलत इसमें लगभग 70 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है, इस प्रकार यह भारतीय जहाज निर्माण उद्योग को आवश्यक प्रोत्‍साहन दे रहा है। तटरक्षक बल के बेड़े में शामिल होने पर इन पोतों को राष्ट्र के समुद्री हितों की रक्षा के लिए विशेष रूपसे विशिष्‍ट आर्थिक जोन की निगरानी, तटीय सुरक्षा और उन अन्य कार्यों को पूरा करने में लगाया जाएगा, जिनका उल्‍लेख तट के कार्य चार्टर में किया गया है। इन पोतों के जलावतरण के साथ ही आईसीजी के पास अब 150 पोत एवं नौकाएं और 62 विमान हो गए हैं, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसके अलावा 40 पोत विभिन्न भारतीय शिपयार्डों में निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं और 16 उन्नत हल्के हेलीकॉप्टरों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड बेंगलुरू में किया जा रहा है, जो निरंतर उत्‍पन्‍न होने वाली समुद्री चुनौतियों से निपटने में आईसीजी की निगरानी क्षमताओं को और भी अधिक मजबूती प्रदान करेंगे। आईसीजी को समुद्र में लगभग 400 लोगों की जान बचाने, सिविल अधिकारियों को दी गई सहायता के हिस्से के रूपमें 4,500 लोगों की जिंदगी बचाने और अकेले वर्ष 2019 में 32 चिकित्सा निकासी कार्यों को पूरा करने का श्रेय है।
आईसीजी की उत्‍कृष्‍ट दक्षता केवल भारतीय जल सीमा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि द्विपक्षीय सहयोग समझौतों के प्रावधानों के अनुसार मित्र तटीय देशों के साथ सहयोग करने के परिणामस्‍वरूप हिंद महासागर क्षेत्र में दवाओं की सफल जब्ती संभव हो पाई। आईसीजी एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के बीच वास्तविक समय पर सूचनाओं को साझा करने, समुचित समन्वय और गहरी समझ से ही इन कार्यों में सफलता मिली है। भारतीय ईईजेड पर पैनी नज़र रखने के परिणामस्‍वरूप 2,000 करोड़ रुपये मूल्‍य की निषिद्ध वस्‍तुओं की जब्ती सुनिश्चित करने के साथ-साथ इसी अवधि के दौरान भारतीय जल सीमा में अवैध रूपसे मछली पकड़ने के कारण 119 उपद्रवियों के साथ मछली पकड़ने वाली 30 विदेशी नौकाओं को पकड़ना संभव हुआ है। रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार, सचिव रक्षा उत्पादन राज कुमार, सचिव रक्षा वित्त गार्गी कौल और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी दिल्ली में मौजूद थे, जबकि रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक और गोवा शिपयार्ड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक भारतभूषण नागपाल (सेवानिवृत्त) इस अवसर पर गोवा में उपस्थित थे।

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