
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पद्मश्री डॉ नित्यानंद ने लखनऊ साहित्य महोत्सव के अंतर्गत एक भव्य समारोह में डॉ आनंद प्रकाश माहेश्वरी की पुस्तक ‘मायण’ का विमोचन किया। कैंसर से ग्रसित एक महिला की सांसारिक, पारिवारिक एवं आध्यात्मिक जीवन यात्रा से जुड़ी प्रस्तुत पुस्तक की कथावस्तु पर पद्मश्री रूना बनर्जी ने कहा कि पुस्तक...

नई दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान के सभागार में सुप्रसिद्ध साहित्यकार रमेश उपाध्याय की आत्मकथात्मक एवं साहित्यिक विमर्शों की नई पुस्तक ‘मेरा मुझ में कुछ नहीं’ का लोकार्पण वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी ने किया। अध्यक्षीय वक्तव्य में विश्वनाथ त्रिपाठी ने कहा कि मैं रमेश उपाध्याय से प्रेरणा पाता रहा हूं और आज भी...

रचनाकार को अपने व्यक्तिगत जीवन के साथ ही सामाजिक यथार्थ को ध्यान में रखकर रचनाएं गढ़नी चाहिएं, जो लेखक सच और सामने आते हालातों को दरकिनार कर आज भी प्रकृति और प्यार में ही लिख रहा है तो ये समय और समाज कभी उसे माफ़ नहीं करेगा, वे तमाम शायर मरे ही माने जाएं जो अपने वक़्त की बारीकियां नहीं रच रहे हैं, इस पूरी प्रक्रिया में ये सबसे...

केके बिरला फाउंडेशन ने बिहारी पुरस्कार की घोषणा की है। वर्ष 2012 के 22वें पुरस्कार के लिए जयपुर के हरिराम मीणा के उपन्यास धूणी तपे तीर को चुना गया है। इस पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 2008 है। बिहारी पुरस्कार में एक प्रशस्ति, एक प्रतीक चिन्ह व एक लाख रूपए की राशि भेंट की जाती है। यह जानकारी फाउंडेशन के प्रवक्ता निर्मलकांति भट्टाचार्य...

काव्यरंग ब्रिटेन के शहर नॉटिंघम की अग्रणी संस्था है। हाल ही में इस संस्था ने नॉटिंघम की एशियन ऑर्ट्स काउंसिल के साथ मिल कर ट्रेंट युनिवर्सिटी में एक अनूठे कार्यक्रम का आयोजन किया-शब्दों का त्यौहार यानि कि फ़ेस्टिवल ऑफ़ वर्ड्स। याद रहे कि नॉटिंघम लॉर्ड बायरन एवं डीएच लॉरेंस की जन्मस्थली है...
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और हिंदी-संस्कृति को प्रतिष्ठित करने के प्रयास और पहल के अनुक्रम में रायपुर, बैंकाक, मारीशस, पटाया, ताशकंद (उज्बेकिस्तान), संयुक्त अरब अमीरात में छह अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलनों के सफलतापूर्वक आयोजन के पश्चात अब 14 जून से 24 जून 2013 तक कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड में 10 दिवसीय सातवां अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है...

उत्तर प्रदेश कॉडर के चर्चित आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के काव्य संग्रह “आत्मादर्श” का विमोचन और एक विचार गोष्ठी का रविवार को प्रेस क्लब लखनऊ में आयोजन हुआ। विचार गोष्ठी का विषय था-“आत्मादर्श के संदर्भ में आधुनिक कविता के मायने”। विचार गोष्ठी में कोई अलग से मुख्य अतिथि नहीं था, विधान परिषद पुस्तकालयाध्यक्ष अरुणेंद्र...

मुंबई के शायर देवमणि पांडेय के ग़ज़ल संग्रह ‘अपना तो मिले कोई’ का लोकार्पण साहित्यकार एवं उप्र हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने किया। हिंदी संस्थान के प्रेमचंद सभागार में 9 फरवरी की शाम को आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में बोलते हुए उदय प्रताप सिंह ने कहा कि हिंदी और उर्दू दरअसल एक...

नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने शुक्रवार को शुभ यात्रा पत्रिका का विमोचन किया। एयर इंडिया की यह विशिष्ट द्विभाषी (हिंदी और अंग्रेजी) मासिक पत्रिका है, जो विशेष रूप से विमान यात्रा के दौरान पढ़ने के लिए है। इसमें यात्रा, जीवन शैली, संस्कृति और मनोरंजन के सभी रंग शामिल हैं। विमान यात्रा के दौरान उपलब्ध कराई जाने वाली पत्रिका...
कविता में आपस में जोड़ने की शक्ति होती है, वह समाज को अच्छा बनाती है, कविता अंदर के भाव से प्रस्फुटित होती है, संस्कारों से पैदा होती है, संस्कार के बिना चरित्र नहीं बनेगा और चरित्र के बिना देश नहीं बनेगा। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के तत्वावधान में सुप्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की पावन स्मृति को समर्पित कविता लेखन विषय पर केंद्रित दो दिवसीय कार्यशाला में उप्र हिंदी संस्थान...

कथा यूके तथा डीएवी गर्ल्स कॉलेज यमुना नगर के संयुक्त तत्वावधान में 18-19 जनवरी को अंतराष्ट्रीय प्रवासी साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दो दिवसीय सम्मेलन में कुल छह सत्र आयोजित किए गए तथा इसका समापन एक काव्य गोष्ठी से हुआ। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर राम बक्श सिंह ने की तथा मुख्य अतिथि वरिष्ठ...

राम सरूप अणखी स्मृति कहानी-गोष्ठी का डलहौजी के होटल मेहर में आयोजन हुआ। गोष्ठी में हिंदी, असमिया, पंजाबी, डोगरी की कहानियों का पाठ स्वयं कहानीकारों ने किया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में संयोजक अमरदीप गिल ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और तीन दिवसीय संगोष्ठी की रूपरेखा रखी। संगोष्ठी के आयोजक और कहानी पंजाब के संपादक...

आज साहित्य और राजनीति के संबंधों को पुनर्परिभाषित करने की जरूरत आ गई है, जहां साहित्य संस्कृति का सबसे बड़ा प्रतिनिधि है, वहीं राजनीति, संस्कृति का नुकसान किये बगैर आगे नहीं बढ़ती, पतनशीलता के ऐसे दौर में अभिधा से काम चल ही नहीं सकता, इसीलिए जब शब्द कम पड़ने लगते हैं, तब शब्दों को मारना पड़ता है, ताकि नए शब्द जन्म ले सकें।...

गद्य की ऐसी संशलिष्ट और प्रांजल भाषा आज कम ही देखने में आती है, जैसी युवा आलोचक पंकज पराशर की पहली आलोचना कृति पुनर्वाचन में पढ़ने को मिलती है। शीर्ष आलोचक प्रोफेसरफेसर नामवर सिंह ने इस पुस्तक का लोकार्पण करते हुए कहा कि यह एक सुगठित गद्य कृति है। उन्होंने कहा कि हिंदी में इन दिनों तमाम लोग पुनर्पाठ शब्द लिख रहे हैं,...

हिमाचल प्रदेश के जानेमाने वरिष्ठ कवि व आलोचक श्रीनिवासश्रीकांत के 75वें जन्मदिन की पूर्व संन्ध्या पर शिमला के गेयटी सभागार में उनका लेखकों ने सार्वजनिक अभिनंदन किया। इस मौके पर हिमालय साहित्य, संस्कृति और पर्यावरण मंच के तत्वावधान एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश के लगभग 60 साहित्यकारों ने भाग लिया। इस अवसर...