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उत्तराखंड है योग की जन्मस्‍थली-राज्यपाल

परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव

योग में है शांति स्वास्‍थ्य और आध्यात्मिक पर्यटन

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Wednesday 1 March 2017 04:39:30 AM

rishikesh international yoga festival

ऋषिकेश। उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ कृष्णकांत पाल ने परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में सात दिवसीय ‘अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव’ का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने इस मौके पर कहा कि ऋषिकेश में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस महोत्सव की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, जो ‘योग और आध्यात्मिक पर्यटन’ के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड को उत्कृष्ट गंतव्य स्थल के रूप में स्थापित करने में मदद कर रहा है। राज्यपाल ने आयुष मंत्रालय भारत सरकार, उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद, गढ़वाल मंडल विकास निगम तथा परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के संयुक्त रूपसे आयोजित योग महोत्सव में संतो, योगाचार्यों तथा दुनिया के विभिन्न देशों से आए उत्साही योग साधकों के बीच स्वयं की मौजूदगी पर प्रसन्नता व्यक्त की।
डॉ कृष्णकांत पाल ने उत्तराखंड को योग की जन्मस्थली बताते हुए कहा कि प्राचीन ग्रंथों के अनुसार सत्य और ज्ञान की खोज तथा ध्यान के लिए ऋषि-मुनियों, संतों ने जिस शांतिपूर्ण प्राकृतिक स्थल का चयन किया वह क्षेत्र देवभूमि उत्तराखंड ही था। उन्होंने कहा कि ऋषि-मुनियों की यह तपस्थली आज पूरे विश्व में योग और साधना की जन्मस्थली के रूप में विख्यात हो चुकी है, यह अद्भुत और सुखद है कि विश्व के कोने-कोने से योग प्रेमी ‘आध्यात्म और योग’ के इस आयोजन में शामिल होने के लिए वर्षों से एकत्र हो रहे हैं। सुगंधित बासंतिक मौसम तथा पवित्र गंगा नदी के निर्मल जल प्रवाह के निकट ‘योग महोत्सव’ की आलौकिकता के प्रभाव का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि मैंने विगत दो वर्ष से इस आयोजन के समापन समारोह में आकार इसके उत्कर्ष को देखा और आनंदित हुआ, किंतु अद्भुत कल्याण और एकता के इस महोत्सव का उद्घाटन करके मैं और अधिक प्रसन्न हूं।
राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत के युज शब्द से ‘योग’ शब्द बना है, जिसका अर्थ है जुड़ना, वास्तविक रूप में यह व्यक्ति और ब्रह्मतत्व के बीच का श्रेष्ठ जुड़ाव है। उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि के अष्ठांग योग के आठ अंगों में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं से अभिन्न संबंध रखते हैं। उन्होंने कहा कि योग को दैनिक जीवन शैली का हिस्सा बनकर कई लोग धूम्रपान जैसे व्यसनों से निजात पा चुके हैं, नशामुक्ति केंद्रों में भी योग के माध्यम से लोगों को लाभांवित किया जा रहा है। राज्यपाल ने कहा कि योग विशेषज्ञों का यह वार्षिकोत्सव उत्तराखंड के सांस्कृतिक गतिविधियों का सबके आकर्षक और सार्थक आयोजन है, जिसमें विश्व के प्रत्येक कोने से आने वाले योगी, विद्यार्थी, आध्यात्मिक गतिविधियों से जुड़े व्यक्ति, शांति की खोज में निकले जिज्ञासु लोग गंगा के पवित्र तट पर प्राचीन रहस्यों को आत्मसात करने के लिए एकत्र हुए हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवनशैली में शारीरिक और मानसिक रूपसे स्वस्थ रहने के लिए योग की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, योग से तनाव व अवसाद जैसी अनेक मानसिक समस्याओं से भी निजात मिलती है।
डॉ कृष्णकांत पाल ने देश-विदेश से आए प्रतिभागियों का आह्वान किया कि वे माँ गंगा के पवित्र तट पर, हिमालय की गोद में बैठकर संकल्प लें कि शांति, स्वास्थ्य और एकता के संवाहक के रूप में पूरी दुनिया को योग के लाभ से परिचित कराएंगे, क्योंकि सभी को प्रत्येक क्षण इसकी सख्त जरूरत है। राज्यपाल ने कहा कि योग, ध्यान से संबद्ध है, अथर्ववेद और ऋग्वेद से इसकी जड़ें जुड़ी हैं, आधुनिक युग में भी यह उतना ही प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि योग, मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है तथा अवसाद और तनाव से भी बचाता है। उन्होंने कहा कि यह ‘योग उत्सव’ एक अद्भुत तरीके से विभिन्न सभ्यताओं और विभिन्न धर्मों के लोगों को आपस में जोड़ रहा है और शारीरिक, आध्यात्मिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रोत्साहित कर रहा है। इस अवसर पर पर्यटन सचिव शैलेश बगोली, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद और देश-विदेश से आए गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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