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झूंठे ज्योतिषियों के सर्वत्र सजे दरबार!

भला कैसे आ सकता है मुठ्ठी में चक्की का पाट?

'बंकर जैसा सुरक्षित और अग्नि जैसा प्रचंड'

Wednesday 11 January 2017 03:23:10 AM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

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भविष्यवाणी! जी हां! यूं तो ज्योतिष, भविष्यवाणी और ज्योतिषाचार्यों का आदिकाल से राज समाज में बड़ा ही महत्व रहा है और महत्व हो भी क्यों ना, आखिर ज्योतिष विधा ही ऐसी है, जिसमें अपने भविष्य के बारे में जानने की किसी की भी इच्छा जागृत हो उठती है। विज्ञान का भी ज्योतिषशास्त्र से गहरा संबंध है, क्योंकि दोनों के ही मूल में गणित है और गणना इन दोनों की सृजनकर्ता है। भारत में पंचांग के महत्व को कौन नहीं जानता? एक समय पंचांग देखकर ही मौसम और वर्षाकाल के बारे में सटीक भविष्यवाणियां होती रही हैं, आज भी होती हैं, लेकिन इनकी जगह विज्ञान की खोज उपग्रहों ने ले ली है। दोनों का ही घटी और पल का बहुत काम है। ज्योतिष में जन्मकाल, कर्मकांड और शुभकार्य शुरू करने के समय का बहुत बड़ा महत्व है, क्योंकि यहीं से कुंडली का निर्माण होता है, जिसके आधार पर एक ज्योतिषाचार्य जातक के भविष्यफल का संकेत देता है, जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में भविष्यवाणी कहते हैं।
ज्योतिषाचार्य के ज्ञान और उसकी भविष्यवाणी के संबंध में एक घटना बड़ी ही दिलचस्प और प्रासंगिक है। संस्कृत में इस दृष्टांत का हिंदी भाव इस प्रकार है-एक ज्योतिषी अपने पुत्र को ज्योतिषीय ज्ञान से प्रवीण कर उसे राजा के दरबार में ले गया। हे राजन! आप मेरे ज्योतिषाचार्य पुत्र के ज्योतिषीय ज्ञान की परीक्षा ले सकते हैं। उत्सुक राजा ने तुरंत राज दरबार में चतुराई से सोने की अंगूठी अपनी मुठ्ठी में बंद की और ज्योतिषी पुत्र से प्रश्न किया-‘तो बताइए कि मेरी मुठ्ठी में क्या है?’ ज्योतिषी पुत्र ने ज्योतिष विद्या से गणना करते हुए बताया कि उनकी मुठ्ठी में पीले रंग की कोई वस्तु है। राजा ने पूछा-‘बताइए वह वस्तु क्या है?’ ज्योतिषी पुत्र बोला कि वह गोल है, और? और एक धातु है। राजा ने पूछा-और? ज्योतिषी पुत्र बोला ‘और अंदर से खाली है।’ राजा ने कहा कि तो बताइए ना कि वह है क्या? राजा के चेहरे के भाव देखकर हड़बड़ाहट में ज्योतिषी पुत्र ने ज्योतिषीय गणना छोड़ दी और तपाक से बोल पड़ा कि ‘आपकी मुठ्ठी में चक्की का पाट है।’ ज्योतिषी पुत्र की यह वाणी सुनते ही राज दरबार में सबकी हंसी फूट पड़ी और राजा ने उसे नसीहत देते हुए पूछा कि मूर्ख मुठ्ठी में कैसे चक्की का पाट आ सकता है? राजा ने सबके सामने अपनी मुठ्ठी खोली और राजदरबारियों को दिखाया की उसकी मुठ्ठी में सोने की अंगूठी थी।
दरअसल जब तक ज्योतिषी पुत्र ने मुठ्ठी के भीतर मौजूद रहस्य के बारे में ज्योतिषीय गणना की तब तक वह सही उत्तर देता गया और जैसे ही उसने ज्योतिषीय गणना छोड़कर अनुमान लगाया, उसका ज्योतिषीय ज्ञान गड़बड़ा गया और वह एक ग़लत जवाब दे बैठा। यह प्रसंग उन ज्योतिषियों के लिए बहुत ही नसीहत भरा और शिक्षाप्रद हो सकता है जो ज्योतिषीय गणना को छोड़कर तुक्के से भविष्यवाणियां करने की दुकान चला रहे हैं और तुक्के से भविष्यवाणियां करके ज्योतिष विद्या को बदनाम कर रहे हैं। जैसा कि हमने शुरुआत में ही कहा है कि वास्तव में ज्योतिष एक गूढ़ विज्ञान है और ब्रह्मांड के जटिल रहस्यों को उजागर करने की क्षमता रखता है। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकतीं कि उपग्रह तो अब आए हैं, ज्योतिष शास्त्र यह काम हजारों सदियों से करता आ रहा है। आज दिक्कत यह आ रही है कि इसके अच्छे जानकार अब नहीं रहे और उनकी जगह तुक्केबाज ज्योतिषियों ने ले ली है, जो कुकुरमुत्तों की तरह हर जगह नज़र आ रहे हैं। आज के अनेक ज्योतिषी अपने दिमाग़ और मन से भविष्यवाणियां कर रहे हैं और सामने वाले व्यक्ति के लिए उसकी भावनाओं को भांपकर बोल रहे या सलाह दे रहे हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार म‌हर्षि दुर्वासा ऋषि ने अयोध्या के चक्रवर्ती राजा महाराज दशरथ को अपने ज्योतिषीय ज्ञान से बता दिया था कि उनके घर में पैदा होने वाला एक बालक पृथ्वी पर अवतार कहलाएगा, जो राम के नाम से जाना जाएगा और वह ब्रह्मांड का सर्वाधिक रहस्यात्मक और प्रचंड युद्ध लड़ेगा, जिसमें लंका की महान शक्ति के रूप में प्रसिद्ध लंका नरेश महाराज रावण का समूल अंत होगा। यह थी सही ज्योतिषीय गणना। राजा महाराजाओं, राजनीतिक लोगों और सामान्य लोगों का भी ज्योतिष प्रेम सर्वविदित है, ये ज्योतिष विज्ञान पर भारी यकीन करते आए हैं, मगर आज के ज्योतिषी बस अपनी महंगी दुकानें चला रहे हैं और उनकी अधिकांश भविष्यवाणियां खोखली साबित हो रही हैं। जर्मनी के तानाशाह शासक हिटलर ने तो अपने यहां ज्योतिषियों का एक विभाग ही खोल दिया था। वे कहा करते थे कि ‘मुझे बहादुर जनरल नहीं, बल्कि भाग्यशाली जनरल चाहिएं।’ हिटलर अपनी समस्त प्रकार की गतिविधियों का संचालन भी ज्योतिषीय आधार पर करते थे, पर विडंबना देखिए कि वे भी भविष्य की अपने निजी जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना से अनभिज्ञ रहे। उन्हें कोई ज्योतिषी नहीं बता पाया कि एक दिन वे अपनी प्रेमिका जो बाद में उनकी पत्नी बनी, के साथ शादी के अगले ही दिन एक बंकर में उसके सहित आत्महत्या कर लेंगे। इसका कारण यह भी हो सकता है कि भविष्यवक्ता इस रहस्य को हिटलर के कोप के कारण छिपा गया। हिटलर ज्योतिषी से पूछा करते थे कि मेरा भविष्य क्या है तो ज्योतिषी उन्हें एक ही वाक्य से खुश कर देते थे-‘बंकर जैसा सुरक्षित और अग्नि जैसा प्रचंड।’
भारत की प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी के साथ भी ऐसा ही हुआ और ऐसा ही उनके पुत्र संजय गांधी और बाद में राजीव गांधी के साथ हुआ। इस राज घराने में बड़े-बड़े नामधारी ज्योतिषियों का दखल रहा है, लेकिन वे इंदिरा गांधी परिवार की भयानक त्रासदियों को अपने ज्योतिष ज्ञान से पकड़ नहीं सके। नेपाल नरेश महाराज वीरेंद्र शाह अपने ही पुत्र के हाथों सपरिवार मारे जाएंगे, इसका भी कोई भविष्यवक्ता अनुमान तक नहीं लगा पाया। इस घटना के बारे में कोई ज्योतिषीय संकेत तक नहीं सामने आया, यह तब है जब नेपाल के राज परिवार में दिग्गज ज्योतिषियों का जमावड़ा रहता आया है। इसका भी एक बड़ा कारण यह समझा जा सकता है कि ज्योतिषी अपने सामने वाले जातक के नकारात्मक पक्ष को प्रकट करने में या तो संकोच कर जाते हैं या वे वही कहते हैं, जो सामने वाला सुनना पसंद करता है और इसी से ज्योतिषी को भारी धन प्राप्त होता है। एक तथ्य यह भी है कि किसी जातक के जन्मकाल का समय यदि सही नहीं है, तब भी सही भविष्यवाणी कठिन है और ज्योतिषाचार्य उसके संबंध में भविष्यवाणियों के येन केन प्रकारेण तरीकों का सहारा लेते हैं, जो ज्योतिषशास्‍त्र में ग़लत माना गया है। यही पक्ष है, जो इस विधा को आज अविश्वास की ओर भी धकेलता है। एक ही घटना के बारे में ज्योतिषाचार्यों की भविष्यवाणियों के विभिन्न मतों और विवादों का यही कारण सामने आया है कि कहीं समयकाल सही नहीं है और कहीं ज्योतिषी तुक्केबाज़ हैं।
ज्योतिषीय ज्ञान के रचनाकार और यहां तक की इसके सागर कहे जाने वाले महर्षि भृगु ने भी कहा है कि ‘ज्योतिष एक ऐसी गणितीय साधना है जो किसी प्रचंड तप से भी बड़ी है, जिसके द्वारा जन्मकाल के अनुसार भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में सही अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन अंतिम सच तो त्रिलोकी की महान शक्ति को ही पता है, जिसके मार्ग दर्शन में ब्रह्मांड की समस्त रहस्यमयी अलौकिक गतिविधियां संचालित होती हैं।’ जर्मन के महान और विश्वविख्यात ज्योतिषशास्त्री नास्तेदमस की भविष्यवाणियां काफी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने विश्व के कुछ देशों के शासकों और वहां के शासन और घटनाओं के बारे में बहुत भविष्यवाणियां की हैं, लेकिन कहीं-कहीं वह भी सटीक भविष्यवाणियों से दूर रहे। एक समय तो ऐसा आया कि तत्कालीन शासक उनकी भविष्यवाणियों पर निर्भर रहकर अपना राजपाट चलाने लगे थे। नास्तेदमस के घर में भी एक घटना घटित हुई। उनका पुत्र किसी के शासनकाल में विद्रोह के संबंध में झूंठी भविष्यवाणी करने पर नाराज भीड़ के हमले में मारा गया। यहां इन बातों का संज्ञान इसीलिए लिया गया है कि जब उस समय बड़े-बड़े भविष्यवक्ता ज्योतिषीय गणना में उतने सम्पूर्ण नहीं हो पाए तो आज जो भविष्यवक्ता घर-घर और शहर-शहर में भविष्यवाणियों की दुकान चला रहे हैं तो वह कितने ‌विश्‍वसनीय होंगे। यह तब है जब आज गणित का कार्य कम्प्यूटर से होता है और कम्प्यूटर से घंटा मिनट और पल के भी पल का हिसाब-किताब पलक झपकते ही सामने होता है।
कंप्यूटर से गणना के कारण आज भविष्यवाणियां पहले से ज्यादा सटीक होनी चाहिए थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। ज्योतिषियों में कमी है या जन्मकाल और घटनाओं के सही समय में अंतर। आज आदमी अपनी निजी और व्यवसायिक समस्याओं का समाधान ज्योतिष में ज्यादा ही तलाश रहा है। उसके पास एक नहीं दो नहीं अपनी तीन-तीन कुंडलियां हैं। उसके किस समय और तिथि पर यकीन किया जाए? यह भी तथ्य है कि पहले इतने ज्योतिषी नहीं थे, जितने आज पैदा हो गए हैं। ज्योतिष विधा को अब लोग व्यवसाय के रूप में चुनने लगे हैं। यह पाठ्यक्रम में भी शामिल हो गई है। इस पर शोध भी चल रहे हैं। ज्योतिषों की फीस सुनकर छक्के छूट जाते हैं। ऐसे लोग भी बहुत हैं, जो सफलता या मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए ज्योतिषियों और तांत्रिकों को मुंह मांगा धन देते हैं। देश और विदेश की पत्र-पत्रिकाओं, विभिन्न इलेक्ट्रानिक चैनलों पर लैपटॉप लिए बैठे तथाकथित ज्योतिषियों का साम्राज्य चल रहा है। यदि किसी टीवी चैनल या समाचार पत्र के पास कोई नामधारी ज्योतिषी नहीं है तो दर्शक उस चैनल को शायद ही खोलें और समाचार पत्र शायद ही पढ़ें। प्रत्येक रविवार को बहुत से लोग केवल इसलिए समाचार पत्र खरीदते हैं कि उन्हें अपना साप्ताहिक भविष्यफल देखना होता है। सड़कों के फुटपाथ पर जगह-जगह ज्योतिषियों के तंबू लगे मिलते हैं, जिनमें लोग लाइन लगाकर अपनी किस्मत का हाल एवं कष्टों का सामाधान पूछते हैं।
ज्योतिषी केवल साप्ताहिक और दैनिक भविष्यवाणी तक ही सीमित नहीं हैं, आम लोगों के लिए अब उन्होंने ज्योतिषीय आधार पर मकान दुकान, सामान तक की खरीददारी, विवाह संयोग, प्रेमसंबंध, नौकरी और राजनीति के बारे में डाक्टर की तरह सलाह देनी शुरू कर दी है। ऐसे भी समाचार सुनने को मिलते हैं कि ज्योतिषियों और तांत्रिक महानुभावों ने झूंठी-गढ़ी सलाह देकर, तंत्र के नाम डराकर अनेक लोगों के शानदार बंगले मिट्टी के मोल बिकवा दिए। कारखाने, फैक्ट्रियां बिकवा दीं और राजघरानों से लेकर राजनीतिक परिवारों और औद्योगिक घरानों तक में विभाजन करा दिया। ऐसा भी हुआ कि बहू को घर से बाहर निकलवा दिया। यह एक ऐसा विषय है जिसमें आदमी का अपना विवेक ज्योतिष के हाथों गिरवी सा हो जाता है, तब फिर सब कुछ ज्योतिषी और घर के गुरुजी, स्वामीजी पर निर्भर करता है कि वह क्या और कैसे गुल खिलाए। परिवारों और राजघरानों में ऐसे लालची ज्योतिषियों, गुरुजी और तांत्रिकबाबा के खिलाए हुए गुल बहुत सुनने को मिलते हैं। आज हर एक नौकरशाह, हर एक राजनेता, हर एक औद्योगिक घराने या विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले बड़े लोगों के पास एक ज्योतिषी है और एक गुरुजी हैं, जो अपने हिसाब से विशिष्टजनों के परिवारों और औद्योगिक घरानों को चला रहे हैं। अगर कोई विशिष्ट व्यक्ति शासन में मौजूद है तो उसके फैसलों तक को भी प्रभावित कर रहे हैं।
विधानसभा चुनाव की गरमाहट जोर पकड़ रही है और वैसे ही ज्योतिषियों और तांत्रिकबाबाओं का विजयी तंत्र सक्रिय हो उठा है। नेता नगरी में ज्योतिषाचार्य टीम सहित पहुंच रहे हैं। बहरहाल ज्योतिष विषय पर लिखने को बहुत कुछ है पर इतना जरूर है कि ज्योतिष आपका बहुत अच्छा मार्गदर्शक हो सकता है, वह आपको भविष्य की अनहोनियों से सचेत कर सकता है, मगर इस आधार पर अपनी योजनाएं बनाने में अपने विवेक का भी जरूर इस्तेमाल करें और झूंठे और पाखंडी ज्योतिषियों, तांत्रिकबाबाओं के चक्कर में न पड़कर उन लोगों को संतोष प्रदान करें जो आपमें कर्मफल पर अपने सुनहरे सपने देखते हैं।

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