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उच्‍च शिक्षा में प्रगति तो हुई-राष्ट्रपति

कोलकाता में देबरंजन मुखर्जी स्‍मारक व्‍याख्‍यान

भारत अपना पूर्व यश प्राप्‍त करने का कार्य करे

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 13 December 2015 11:43:10 PM

pranab mukherjee delivering the debranjan mukherji memorial lecture

कोलकाता। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कोलकाता में देबरंजन मुखर्जी स्‍मारक पर व्‍याख्‍यान देते हुए कहा है कि भारत अगर विश्‍व में एक शीर्ष राष्‍ट्र बनने और अंतर्राष्‍ट्रीय भद्रता के उच्‍च स्‍थान पर विराजमान होना चाहता है तो शैक्षिक संस्‍थानों के बिना ऐसा नहीं कर सकता। उन्‍होंने कहा कि हाल के वर्षों में देश में उच्‍च शिक्षा के वस्‍तुगत मूल ढांचे का तेजी से विस्‍तार हुआ है। उन्‍होंने कहा कि देश में 712 विश्‍वविद्यालय और 36000 से अधिक कॉलेज हैं, लेकिन एक भी भारतीय संस्‍थान विश्‍व के शीर्ष 200 संस्‍थानों की रैंकिंग में नहीं आता है, ऐसा भी समय था, जब भारत ने उच्‍च शिक्षा प्रणाली में उच्‍च भूमिका निभाई थी और हमारे देश में तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, वल्‍लभी, सोमापुरा और आदांतापुरी जैसे उच्‍च शिक्षण के प्रसिद्ध संस्‍थान थे। भारत को विगत में प्राप्‍त यश को पुन:प्राप्‍त करने के लिए कार्य करना होगा।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि एक आगंतुक के रूप में उन्‍होंने उच्‍च शिक्षा के अनेक संस्‍थानों को देखा है और वह नियमित रूप से सम्‍मेलनों में शामिल होकर शिक्षण संस्‍थानों की अंतर्राष्‍ट्रीय रैंकिंग में सुधार लाने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं। हमारे उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों की ओर से प्रतिभा की कमी जैसी कोई मूल समस्‍या नहीं है, इस बारे में कमी तकनीकी तथा अंतर्राष्‍ट्रीय रेटिंग एजेंसियों को संबंधित जानकारी उपलब्‍ध न कराने की है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि वे इस बात से खुश हैं, अब संस्‍थान रैंकिंग प्रक्रिया को अधिक गंभीरता, सक्रियता और अधिक व्‍यवस्थि‍त तरीके से ले रहे हैं। संबंधित संस्‍थानों और उनके ठोस प्रयासों को धन्‍यवाद देते हुए उन्‍होंने कहा कि पहली बार भारत के दो संस्‍थानों ने शीर्ष 200 रैंकिंग में स्‍थान बनाने में सफलता प्राप्‍त की है। उन्‍होंने विश्‍वास जाहिर किया कि जल्‍द ही और अधिक संस्‍थान रैंकिंग में आएंगे।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इंटरनेट, मोबाइल फोन और टीवी ने विश्‍व को बदल दिया है, अब कोई राष्‍ट्रीय सीमा नहीं रह गई है, प्रौद्योगिकी और ई-क्‍लास रूम का कहीं भी श्रेष्‍ठ अध्‍यापकों तक पहुंच बनाने के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, इससे संकाय की कमी की समस्‍या से निपटने में मदद मिलेगी। राष्‍ट्रपति ने कहा कि विचारों के आदान-प्रदान की जरूरत है, संकाय और छात्रों का नियमित रूप से आदान-प्रदान किया जाना चाहिए, ऐसे अनूठे विचारों को समर्थन दिया जाना चाहिए, जिन्‍हें विपणन योग उत्‍पाद में परिवर्तित किया जा सके। उन्होंने कहा कि उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों को जमीनी स्‍तर पर उद्यमियों के साथ मिलकर इन्‍क्‍यूबेशन केंद्रों को स्‍थापित करना चाहिए। राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत परंपरागत रूप से जीवाश्म ईंधन से चालित ऊर्जा वाली अर्थव्‍यवस्‍था वाला देश है, हाइड्रोकार्बन पर निर्भरता कम करने के लिए सौर ऊर्जा और अन्‍य वैकल्पिक ऊर्जा को वि‍कसित करने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने देबरंजन मुखर्जी का स्‍मरण करते हुए कहा कि उन्‍होंने ईश्वरचंद्र विद्यासागर कॉलेज में मुझे चार साल तक पढ़ाया था। उन्‍होंने कहा कि उस समय इस कॉलेम में बहुत अच्‍छे अध्‍यापक थे। स्‍मारक व्‍याख्‍यान को देबरंजन मुखर्जी की स्‍मृति में स्‍थापित किया गया है, जो बंगाली भाषा और साहित्‍य पढ़ाने वाले बहुत प्रतिभाशाली व्‍यक्ति थे। उन्‍होंने सूरी विद्यासागर कॉलेज, गुस्‍करां महाविद्यालय, बिधानचंद्र कॉलेज आसनसोल और बर्दवान विश्‍वविद्यालय में अपनी सेवाएं दीं। वे बर्दमान विश्‍वविद्यालय में बंगाली भाषा विभाग के प्रमुख भी रहे।

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