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गरीबों को सहारा नहीं, शक्ति देंगे-मोदी

कोलकाता में प्रधानमंत्री का गरीबी के खिलाफ शंखनाद

सामाजिक सुरक्षा के लिए तीन राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू ‌किए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 9 May 2015 04:15:21 AM

pm narendra modi

कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कोलकाता में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कविताओं का स्‍मरण करते हुए गरीबी के खिलाफ शंखनाद किया और कहा कि निर्धनों या कमजोरों को सहारा नहीं, बल्‍कि शक्‍ति चाहिए और हमने यह काम शुरू कर दिया है। बंगाल की धरती पर गुरुदेव, स्वामी विवेकानंद और रामकृष्‍ण के संकल्प को स्‍थापित करते प्रधानमंत्री ने कोलकाता में तीन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं 'प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना', 'प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति बीमा योजना' और 'अटल पेंशन योजना' की शुरुआत की। इन योजनाओं को आज देशभर में एक साथ 115 स्‍थानों पर आयोजित समारोह में शुरू किया गया। मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कविता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा-"मेरी प्रार्थना यह नहीं है कि तुम मुझे मुश्‍किलों से बचाओ, मुश्‍किलों से पार पाने के लिए मुझे शक्‍ति प्रदान करो, मेरा बोझ मत बांटो या मुझे सांत्वना मत दो। मुझे बोझ वहन करने की शक्ति दो।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इन योजनाओं की शुरुआत करने के लिए कोलकाता का चयन इसलिए भी किया गया है, क्‍योंकि गोपाल कृष्‍ण गोखले ने कहा था कि 'बंगाल जो आज सोचता है, वह भारत कल सोचता है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अत्‍यंत दु:ख का विषय है कि देश के 80 से 90 प्रतिशत लोगों की पहुंच अभी तक बीमा और पेंशन तक नहीं हुई है, विकास का फल निर्धनतम लोगों तक अवश्य पहुंचना चाहिए, इसलिए केंद्र सरकार ने 'प्रधानमंत्री जन धन योजना' की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि जन धन योजना को अब और आगे बढ़ाते हुए जन सुरक्षा के साथ लागू किया जा रहा है, जन धन योजना में जिन लोगों को बैंकिंग सुविधा प्राप्‍त नहीं थी, उन लोगों तक इसका लाभ पहुंचाया गया है। उन्होंने कहा कि इसी तरह मुद्रा बैंक से छोटे कारोबारियों को वित्‍त की सुविधा उपलब्‍ध कराई गई है, जिससे वे अब तक वंचित थे, उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में भी पूरी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रयोग के आधार पर इन योजनाओं को 1 मई 2015 से शुरू किया गया है, जिनसे अब तक क्रमश: 5 करोड़ 5 लाख लोग जुड़ चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर का ध्यान करते ही हर एक हिंदुस्तानी का सिर ऊंचा हो जाता है, आंखों में चमक आ जाती है, भारत के ऐतिहासिक जीवन की अनेक घटनाएं हैं, जिसकी प्रेरणा उनसे और बंगाल की धरती से मिलती है और अगर परिवर्तन का कहीं प्रारंभ हुआ तो इसी धरती से हुआ। उन्होंने कहा कि एक समय था, जब हिंदुस्तान के आर्थिक विकास की पूरी बागडोर बंगाल के हाथ में थी, भारत की आर्थिक गतिविधि बंगाल से केंद्रित होती थी, इस धरती की विशेषता है कि लोग यहां मां दुर्गा की पूजा में तो लीन रहते ही हैं, लेकिन इसे लक्ष्मी और सरस्वती का भी आर्शीवाद है। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भाषण का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि गांवों में बैंक भी नहीं है, यह 60 साल का हिसाब है, उन्होंने कहा कि उनकी पीड़ा बहुत स्वाभाविक है, मैं भी उसमें अपना स्वर जोड़ता हूं, उन्होंने यह बात मेरे सामने रखी है, क्योंकि उनको भरोसा है, इसे अगर करेगा तो यही करेगा।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में गरीबों के लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था, लेकिन इस देश के गरीब को कभी बैंकों में देखने का अवसर नहीं मिला, आज भी 80 से 90 प्रतिशत इस देश के वो लोग हैं, जिनको कोई बीमा नहीं है, जिनको कोई पेंशन की संभावना नहीं है, सवा सौ करोड़ का देश, 80-90 प्रतिशत जनसंख्या, इन सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति उसके भाग्य में न लिखी हो तो कितनी पीड़ा होती है। उन्होंने कहा कि उनके लिए आज ये सारी योजनाएं जन्म ले रही हैं, आ रही हैं, यह गरीबों के प्रति हमारे दायित्व में से एक है, गरीबों के प्रति संवेदना में से एक है, हम विकास कितना ही करें, नई ऊंचाइयों को कितना ही पाएं, लेकिन अगर इसके सुफल गरीबों की झोंपड़ी तक नहीं पहुंचते हैं तो विकास अधूरा है। उन्होंने कहा कि इसलिए एक तरफ हम विकास की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए सारी दुनिया को झकझोर रहे हैं, उसे मेक इन इंडिया के लिए प्रेरित कर रहे हैं तो दूसरी तरफ गरीब से गरीब का बैंक खाता खुले, इसके लिए दिन-रात कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना एक जनांदोलन बन गया है, 15 करोड़ नए खाते खोल दिए गए हैं और आज देश में करीब-करीब 95 प्रतिशत से ज्यादा लोग अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से जुड़ गए हैं, जो कभी आधे भी नहीं थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबों में अमीरी बहुत होती है और देश के गरीबों की अमीरी की ताकत भी देखिए कि मैंने गरीबों को इतना कहा कि ये देश आपके लिए है, सरकार आपके लिए है, बैंक आपके लिए हैं, बैंकों में आप अपने खाते खोलिए, उन्होंने मन में सोचा और उनके 15 करोड़ बैंक खाते खुल गए, जिनमें उन्होंने 15 हजार 800 करोड़ रुपए राशि जमा कर दी। उन्होंने कहा कि इसके लिए मैं उन्हें सलाम करता हूं, इसलिए मन करता है कि इन गरीबों के लिए कुछ करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा ये विश्वास है कि गरीबों को सहारा नहीं चाहिए, गरीबों को शक्ति चाहिए, इसके लिए हमें हमारी सोच बदलनी होगी, हमारे कार्यकलाप बदलने होंगे, अगर उसको शक्ति मिलेगी तो वह गरीबी से मुक्ति के लिए पूरी शक्ति लगा देगा, उसे शक्ति देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ की जयंती पर उनके संकल्प का पालन करने की जरूरत है, उसी में से यह योजना कलकत्ता की धरती पर शुरू हो रही है, मुझे विश्वास है कि गुरूदेव के आशीर्वाद से इस योजना को सफलता मिलेगी, देश के गरीबों में एक नई शक्ति प्रतिपादित होगा।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि कभी-कभी लोगों को लगता है कि ये जो बहुत बड़े-बड़े औद्योगिक घराने हैं, वो देश में बहुत बड़ी आर्थिक क्रांति करते हैं, यह बहुत बड़ा भ्रम है, उनका योगदान तो है, लेकिन बहुत सीमित है, देश के अर्थतंत्र को कौन चलाता है? जो छोटा-सा कारोबार करने वाला व्यक्ति है, फेरी लगाकर या चौराहे पर खड़े रहकर सब्जी बेचता है, धोबी की दुकान चलाता है, बिस्कुट बेचता है, चाय-पान का खोखा चलाता है, कपड़े बेचता है, छोटे-छोटे लोग! हिंदुस्तान में करीब साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा ये लोग देश के अर्थतंत्र को गति देते हैं, क्या आप जानते हैं कि ये छोटे लोग करीब 14 करोड़ लोगों को रोज़गार देते हैं, जबकि बड़े-बड़े औद्योगिक घराने बहुत कम लोगों को रोज़गार देते हैं, गरीब कारोबारियों की कुल संपदा भी कोई 11-12 लाख करोड़ रुपए है और बाजार या कोई बैंक वाला भी उनको पैसा नहीं देता है, इन्हें साहूकारों से पैसा लेना पड़ता है, जहां इनका खून चूस लिया जाता है। उन्होंने कहा कि हमने गरीबों की भलाई के लिए काम करने वाली सरकार होने के कारण ही एक मुद्रा बैंक स्‍थापित किया है।
उन्होंने कहा कि मुद्रा बैंक का काम आरंभ हो गया है और उसके अंतर्गत ये जो साढ़े पांच करोड़ सामान्य लोग हैं, इनको 5 हजार, 10 हजार रुपया भी मिल जाएगा तो ये बहुत तेजी से अपने काम को बढ़ा सकेंगे, उनको लोन देने के लिए बैंक ने बहुत बड़ा अभियान चलाया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ भी बड़ी लड़ाई लड़ रही है, गैस सिलिंडर लेने वाले को सब्सिडी मिलती है, जो सीधे धारक के बैंक के खाते में जा रही है, इससे अरबों-खरबों रुपयों का लीकेज रुक गया है, आज जिसका सुरक्षा का कवच नहीं है, उसको हम सुरक्षा का कवच देंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना 12 रुपए में शुरू हो रही है, 12 रुपए में तो कफन भी नहीं मिलता है, मगर बारह रुपए में दो लाख रुपए की बीमा योजना चालू की गई है। उन्होंने कहा कि देश के सामान्य व्यक्ति के जीवन में कोई संकट आता है, उसकी सुरक्षा कौन करेगा? इसलिए एक जागरुकता आए, वह भागीदारी बने और जैसे गुरूदेव का आदेश है कि गरीब को शक्ति दो, तो ये योजना उसे शक्ति देने का ही प्रयास है।
प्रधानमंत्री ने इसी प्रकार तीनों योजनाओं के विस्तार से लाभ गिनाए। प्रधानमंत्री ने कहा‌ कि मैं पश्चिम बंगाल को बधाई देता हूं, कि इन योजनाओं के लाभार्थी 5 करोड़, 5 लाख में लोगों में 42 लाख पश्चिम बंगाल में है, एक जून से योजना विधिवत रूप से प्रारंभ होने वाली है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि 1 जून के पहले इस योजना का लाभ लेने के लिए वे अपने निकट के बैंक से संपर्क करें। उन्होंने कहा कि मैं चाहूंगा कि 30 अगस्त के पहले इन तीन योजनाओं में सर्वाधिक लोग जुड़ें। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भी हमें दरिद्र नारायण की सेवा करने की प्रेरणा दी थी, रामकृष्‍ण मिशन के भी आज गरीबों के बड़े सेवा कार्य हो रहे हैं, हम भी उस संकल्प को लेकर आगे बढ़े हैं, लोग इस व्यवस्था का फायदा उठाएं, जन-धन की योजना को जन-कल्याण में परिवर्तित करें। इस अवसर पर पश्‍चिम बंगाल के राज्‍यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा और बाबुल सुप्रियो भी उपस्‍थित थे।

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