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ओडिशावासिन को ए अवसरे मोर अभिनंदन!

राउरकेला आए प्रधानमंत्री मोदी का भावनात्मक संबोधन

ओडिशा विकास की नई ऊंचाईयों को पार करे-नरेंद्र मोदी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 1 April 2015 06:45:47 AM

pm narendra modi

भुवनेश्वर। जय जगन्‍नाथ, आजी पवित्र उत्‍कल दिवस, ओडिशा प्रतिष्‍ठा दिवस, समस्‍त ओडिशावासिन को ए अवसरे मोर अभिनंदन! इस भाव और कृतज्ञता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के उत्‍कल दिवस पर राउरकेला इस्पात संयंत्र की आधुनिकीकृत और विस्तारित इकाइयां राष्ट्र को समर्पित करते हुए विशेष रूप से उत्‍कल मणि पंडित गोपवंदु दास को प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि उत्‍कल के गौरव मधुसुधन दास को नमस्‍कार, वीर सुरेंद्र साई को भी प्रणाम करता हूं, महाराज कृष्‍णा चंद्र गज‍पति जी का मैं पुण्‍य स्‍मरण करता हूं और यह बिरसा मुंडा की भी क्रांति जोत से प्रज्‍वलित धरती है, मैं बिरसा मुंडा को भी प्रणाम करता हूं। उन्होंने आधुनिक ओडिशा बनाने के लिए बीजू पटनायक 'बीजू बाबू' के प्रति असीम कृतज्ञता प्रकट की और कहा कि इन्हें हर ओडिशावासी हमेशा याद करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उड़ीसा का किसान हो, उड़ीसा का मजदूर हो, उड़ीसा का मेरा मछुआरा भाई हो या उड़ीसा का आदिवासी हो, ये वो धरती है, जिस पर पूरा हिंदुस्तान गर्व करता है, उसका सम्मान करता है। उन्होंने कहा कि यहां का विश्वविख्यात सूर्य मंदिर आज भी हिंदुस्तान को प्रकाश दे रहा है, एक नई आशा का संचार करता है, ऐसी पवित्र भूमि को मैं आज नमन करता हूं। उन्होंने कहा कि ओडिशा के नौजवानों का भविष्‍य ओजस्‍वी हो, तेजस्‍वी हो, सामर्थ्यवान हो, राष्‍ट्र के कल्‍याण में ओडिशा की नई पी‍ढ़ी को अपना अमूल्‍य योगदान देने के लिए अवसर मिले, ऐसी मेरी कामना है। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मैं भविष्‍य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि के लिए राउरकेला का विकास समर्पित करने आया हूं।
उन्होंने कहा कि मैं पिछले वर्ष अप्रैल के पहले सप्ताह राउरकेला की धरती पर आया था और आज एक साल के भीतर-भीतर दोबारा आपके बीच आया हूं, मैं पिछले वर्ष जब आया था, तब आपके सपनों को समझना चाहता था, आपकी आशा, आकांक्षाओं को समझना चाहता था, आज जब मैं आया हूं तो मैं एक साल का हिसाब देने के लिए आया हूं और लोकतंत्र में ये हमारा दायित्व बनता है कि हम जनता-जर्नादन को अपने काम का हिसाब दें, पल-पल का हिसाब दें, पाई-पाई का हिसाब दें। उन्होंने कहा कि राउरकेला एक प्रकार से लघु भारत है, हिंदुस्तान का कोई कोना नहीं है, जो राउरकेला में बसता नहीं है, राउरकेला में कुछ भी होता है, हिंदुस्तान पूरे कोने में उसकी तुरंत हलचल पहुंच जाती है और भारत के किसी भी कोने में कुछ भी क्यों न हो, पल दो पल में राउरकेला में पता चल जाता है कि हिंदुस्तान के उस कोने में ये हुआ है। उन्होंने कहा कि राउरकेला का इतना जीवंत नाता संपूर्ण भारत के साथ है, भारत को इस्पात की ताकत देने में इस लघु भारत राउरकेला का बहुत बड़ा योगदान है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को एक करने का काम लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था और आजादी के बाद किसी शहर ने भारत को इस्पात की ताकत दी है तो वो शहर है राउरकेला। उन्होंने कहा कि राउरकेला ने बज्र सा सामर्थ्य दिया है और यह राष्ट्र विकास की नई ऊचांईयों को पार करता जा रहा है, यहां पर डॉक्टर राजेंद्र बाबू ने कई वर्ष पहले इस्पात के कारखाने की नींव रखी, यहां का मजदूर भी सोचता होगा कि मैं मिट्टी जैसे खनिज से स्टील तैयार करता हूं, मजबूत स्टील तैयार करता हूं, अच्छा स्टील तैयार करता हूं। उन्होंने कहा कि राउरकेला के मेरे भाईयों-बहनों आप सिर्फ स्टील की प्लेट नहीं बनाते, बल्कि भंयकर गर्मी के बीच खड़े रहकर, अपने शरीर को भी तपाकर भारत की सैन्‍य शक्ति में भारत की सुरक्षा शक्ति में एक अबोध ताकत पैदा करते हैं, एक बज्र की ताकत पैदा करते हैं।

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