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विवेकानंद के नवनिर्माण का संकल्प दोहराया

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Friday 28 December 2012 06:13:22 AM

देहरादून। स्वामी विवेकानंद सार्धशती समिति की ओर से मंगलवार को रामतीर्थ मिशन सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में संतों, शहर के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों सहित सैकड़ों लोगों ने राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का संकल्प दोहराया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक शिवप्रकाश ने कहा कि विश्व में हिंदुत्व के गौरव को बढ़ाने का कार्य युवा संत स्वामी विवेकानंद ने किया। उन्होंने 25 जनवरी 1892 को भारत के अंतिम छोर, कन्याकुमारी में समुद्र के बीच शिला पर बैठ कर भारत के भूत, वर्तमान एवं भविष्य पर चिंतन कर भारत के नव निर्माण का संकल्प लिया।
शिवप्रकाश ने कहा कि भारतवर्ष जब गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, तो ऐसे समय में इस देश के एक संत ने विश्व धर्म सभा में जाकर हिंदू धर्म के गौरव को संपूर्ण विश्व के समक्ष प्रस्तुत कर भारत का मस्तक उंचा किया। जिस सभा में दुनिया के कई देशों से अनेक धर्मों के प्रतिनिधियों को इसाईयत को श्रेष्ठ साबित करने के लिए आमंत्रित किया गया था, वहां पर स्वामी विवेकानंद ने हिंदुत्व की श्रेष्ठता साबित कर सबको चकित कर दिया।
उन्होंने कहा कि भारतवासियों की दीन-हीन स्थिति को देख कर स्वामी जी बहुत व्यथित थे। उनका मानना था कि हिंदुत्व से ही विश्व का कल्याण हो सकता है, भारत को इसके लिए आगे भी पहल करनी होगी, इस दिशा में प्रत्येक भारतवासी को जागरूक होना होगा। कार्यक्रम में विवेकानंद सार्धशती आयोजन समिति के अध्यक्ष सतीश अग्रवाल ने वर्ष 2013 में चलने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी और कार्य को सफल बनाने की दृष्टि से महिलाओं, युवाओं, जनजातीय लोगों, प्रबुद्ध नागरिकों एवं ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वामीजी के विचारों को पहुंचाने के लिए विभिन्न आयामों के गठन पर चर्चा भी की।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ दिनेश, क्षेत्र संघचालक डॉ दर्शन लाल अरोड़ा सयुक्त क्षेत्र प्रचारक प्रमुख कृपाशंकर, टपकेश्वर मंदिर के संत दिगंबर श्रीकृष्णा गिरी, दिगंबर भरत गिरी, शार्द्धसती समारोह के पालक अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल, प्रांत सचिव आजाद सिंह रावत, पूर्व मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी, डीएवी पीजी कालेज के प्राचार्य डॉ देवेंद्र भसीन, राष्ट्रदेव के संपादक डॉ प्रभाकर उनियाल, रूद्राक्ष संस्था की संचालिका अनुराधा, डॉ विमलाकांत नौटियाल, चमन सिंह चौहान, गड़िया लोहार महाराणा प्रताप के वंशज हुकुम सिंह तथा निरमा देवी सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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