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डॉक्टर करुणामयी नवाचार अपनाएं-डॉ जितेंद्र

'भारत चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में अग्रणी'

यूसीएमएस का 54वां स्थापना दिवस और दीक्षांत समारोह हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 25 October 2025 05:06:02 PM

dr jitendra singh

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय और कई विभागों में केंद्रीय राज्यमंत्री एवं मधुमेह विशेषज्ञ डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि भारत सरकार ने चिकित्सा शिक्षा केसाथ स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्रमें तेजीसे बदलते प्रतिमानों के फलस्वरूप स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ, किफायती एवं समावेशी बना दिया है। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) के 54वें स्थापना दिवस और दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। डॉ जितेंद्र सिंह ने स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को डिग्री प्रदान की और डॉक्टरों की भावी पीढ़ी से आग्रह कियाकि वे करुणा में निहित नवाचार को अपनाएं। उन्होंने कहाकि पिछले एक दशक में भारत में चिकित्सा शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है और मेडिकल कॉलेजों एवं प्रशिक्षण के अवसरों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहाकि आज लगभग 1.5 लाख स्नातक चिकित्सा सीटें हैं, एम्स जैसे चिकित्सा संस्थानों के विस्तार ने विभिन्न क्षेत्रोंमें चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाया है और महिलाओं को चिकित्सा क्षेत्रमें करियर बनाने में सक्षम बनाया है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने स्वास्थ्य सेवा वितरण में आए बदलाव को सुलभ और किफ़ायती बताया है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं के मामलों में राज्य और नागरिक केबीच संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने केलिए आयुष्मान भारत और जन औषधि केंद्रों जैसी पहलों को श्रेय दिया। डॉ जितेंद्र सिंह ने अपने चिकित्सा करियर के अनुभव साझा करते हुए बतायाकि कैसे भारत में स्वास्थ्य बीमा पहले से मौजूद बीमारियों को कवर करने केलिए विकसित हुआ है। इस बदलाव को उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति में सबसे मानवीय नवाचारों में से एक बताया। डॉ जितेंद्र सिंह ने भारत के जीवन विज्ञान क्षेत्रकी बढ़ती वैश्विक विश्वसनीयता पर भी विचार रखे। उन्होंने कहाकि यही वह जैव प्रौद्योगिकी विभाग है, जिसने कोविड-19 केलिए दुनिया का पहला डीएनए टीका और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की रोकथाम केलिए एचपीवी टीका विकसित किया है। उन्होंने बतायाकि भारत अब 200 से ज़्यादा देशों को स्वदेशी टीके उपलब्ध कराता है। भारत के पहले स्वदेशी एंटीबायोटिक 'नैफिथ्रोमाइसिन' और न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हीमोफीलिया केलिए जीन थेरेपी के सफल परीक्षणों का जिक्र करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि ऐसी सफलताएं निवारक और चिकित्सीय स्वास्थ्य सेवा में भारत को अग्रणी दर्शाती हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने यूसीएमएस और इसी तरहके चिकित्सीय संस्थानों से उन्नत नैदानिक परीक्षणों और अनुसंधान में निजी क्षेत्र केसाथ सहयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों को उद्योग और सरकारी प्रयोगशालाओं केसाथ एकीकृत होने केलिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर संस्थान की 54 वर्ष की यात्रा को दर्शाते हुए एक स्मारिका का विमोचन किया गया, जिसमें चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और जनसेवा में कॉलेज की उपलब्धियों और भारत के स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र में यूसीएमएस के बढ़ते योगदान, विशेष रूपसे समुदाय आधारित स्वास्थ्य पहलों में जीटीबी अस्पताल केसाथ इसकी साझेदारी पर प्रकाश डाला गया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने मेधावी छात्रों और संकाय सदस्यों को उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता और चिकित्सा अनुसंधान एवं शिक्षण में योगदान केलिए पुरस्कार और पदक भी प्रदान किए। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि भारत के डॉक्टरों की नई पीढ़ी देश की स्वास्थ्य सेवा प्राथमिकताओं को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाएगी। उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों पर डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आजके डॉक्टरों को द्विचरणीय रोग स्पेक्ट्रम संक्रामक और गैर संक्रामक रोगों का सहअस्तित्व केसाथ-साथ बढ़ती उम्र की आबादी और तेज़ीसे बदलते तकनीकी बदलावों से निपटना होगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि चिकित्सा क्षेत्रमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता का एकीकरण, जिसका उन्होंने स्वयं टेलीमोबाइल क्लीनिकों के जरिए प्रयोग किया है, निदान और रोगी देखभाल को नए सिरे से परिभाषित करने केलिए तैयार है। उन्होंने कहाकि एआई रोगी की अपनी भाषा में संवाद कर सकता है और मानवीय संवाद के माध्यम से आराम भी प्रदान कर सकता है, उन्होंने इसे एक ऐसा हाइब्रिड मॉडल बताया, जो सहानुभूति और नवाचार का संयोजन करता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने युवा स्नातकों को स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देने में उनकी अद्वितीय भूमिका की याद किया। उन्होंने कहाकि आज डिग्री प्राप्त करने वाले स्नातक 2047 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएंगे, तब वे अपने करियर के शिखर पर होंगे। कार्यक्रम की शुरुआत यूसीएमएस के शासी निकाय के अध्यक्ष प्रोफेसर महेश वर्मा के स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजेज प्रोफेसर बलराम पाणि ने संबोधन दिया। यूसीएमएस के संकाय सदस्यों, छात्रों और वरिष्ठ अधिकारियों ने इसमें भाग लिया और चिकित्सा शिक्षा को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं केसाथ जोड़ने के सरकार के व्यापक दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित किया।

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