रानी चेन्नम्मा ने कित्तूर में की थी अंग्रेजों पर विजय की सैन्य कार्रवाई
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने स्मारक सिक्का जारी कियास्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 25 October 2025 12:35:07 PM
नई दिल्ली। कित्तूर में रानी चेन्नम्मा की ऐतिहासिक विजय की 200वीं वर्षगांठ पर वर्षभर चलने वाले राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव का दिल्ली में भव्य समापन समारोह हुआ। रानी चेन्नम्मा वो अमर नाम है, जिसने 1824 में अपने राज्य कित्तूर की एक छोटी सेना केसाथ ब्रिटिश सैनिकों को परास्त किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभ हेतु विजय की एक प्रेरणा बन गई। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कित्तूर में रानी चेन्नम्मा की उल्लेखनीय विजय को समर्पित 200 मूल्यवर्ग का एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया। गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहाकि उनका जीवन भारतीयों को अटूट समर्पण और साहस केसाथ राष्ट्रसेवा करने केलिए प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने कहाकि हम रानी चेन्नम्मा के असाधारण चरित्र से राष्ट्र केप्रति अपनी प्रतिबद्धता और सेवा को नवीनीकृत करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहाकि रानी चेन्नम्मा का पराक्रम और संघर्ष हमें याद दिलाता हैकि देशसेवा में कभी संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय पहचान केलिए एक मार्गदर्शक शक्ति के रूपमें इतिहास के गहन अर्थ को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि किसी राष्ट्र का इतिहास उसके लोगों केलिए अत्यधिक महत्व रखता है, जो लोग इसका अध्ययन करते हैं, उनके लिए एकभी तिथि का स्मरण प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहाकि दुर्भाग्य से भारत के इतिहास को कईबार गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है या खंडित किया गया है, सदियों तक भारत की भूमि ने विदेशी शक्तियों के आक्रमणों और सांस्कृतिक पहचान मिटाने के प्रयासों का सामना किया है, फिरभी हमारे पूर्वजों ने हर चुनौती का बेजोड़ साहस, दृढ़ता और दृढ़ विश्वास केसाथ सामना किया, इनमें से कई प्रेरक अध्याय और वीर व्यक्तित्व चुनिंदा आख्यानों की छाया में दब गए।
संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने उल्लेख कियाकि कैसे एक साल तक चले इस स्मरणोत्सव ने पूरे भारत में आयोजित प्रदर्शनियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, व्याख्यानों और प्रतियोगिताओं के माध्यम से रानी चेन्नम्मा की विरासत केसाथ जनसामान्य के जुड़ाव को और गहरा किया है। विवेक अग्रवाल ने कहाकि उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम की नैतिक नींव रखी और महिलाओं की पीढ़ियों को दृढ़ संकल्प और सहानुभूति केसाथ नेतृत्व करने केलिए प्रेरित किया और अद्भुत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने कर्नाटक की समृद्ध कलात्मक परंपराओं को जीवंत किया है। कार्यक्रम की शुरुआत दिल्ली कर्नाटक संघ की महिला कलाकारों के नाद गीत की मधुर प्रस्तुति से हुई, जो कर्नाटक की आत्मा और विरासत को एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि थी। मनमोहक सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुति हुई, जिसमें कर्नाटक की विविध लोक और शास्त्रीय विधाओं का सार खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया। रानी चेन्नम्मा की प्रस्तुति ने जीवंत वेशभूषा, समन्वित नृत्यकला और मनमोहक भाव भंगिमाओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
रानी चेन्नम्मा की प्रेरणादायक जीवन गाथा, उनके साहस, उत्साही नेतृत्व और ब्रिटिश सेना केप्रति उनके वीरतापूर्ण प्रतिरोध को एक विशेष प्रदर्शनी में दर्शाया गया, जिसके कारण 1824 में कित्तूर में विजय प्राप्त हुई। सालभर चलने वाले स्मरणोत्सव के एक हिस्से के रूपमें संस्कृति मंत्रालय ने रानी चेन्नम्मा के ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रतिरोध के 200 वर्ष पर प्रदर्शनियां, संगोष्ठियां, निबंध प्रतियोगिताएं और विषयगत प्रदर्शन आयोजित किए। अक्टूबर 2024 से शुरू इस स्मरणोत्सव में उन्हें भारत के उन शुरुआती स्वतंत्रता सेनानियों में से एक के रूपमें सम्मानित किया गया, जिन्होंने उपनिवेशवाद के विरुद्ध बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी। वर्ष 1824 में ब्रिटिश सेना के खिलाफ कित्तूर की रक्षा में रानी चेन्नम्मा की वीरता, शाही सत्ता को चुनौती देने में उनका नैतिक साहस तथा न्याय केप्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता दो शताब्दियों बादभी राष्ट्र को प्रेरित करती है। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद नारायणसा कृष्णसा भंडागे, कर्नाटक के आध्यात्मिक गुरु और श्वास योग के संस्थापक स्वामी वचनानंद एवं दिल्ली कर्नाटक संघ के अध्यक्ष सीएम नागराजा भी उपस्थित थे।