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देश के ऐतिहासिक युद्ध क्षेत्रों के दौरे पर रक्षामंत्री

'भारत किसी भी आतंकवादी गतिविधि का अपनी शर्तों पर देगा जवाब'

तनोट व लौंगेवाला में सैन्य सुरक्षा और परिचालन तैयारियों की समीक्षा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 24 October 2025 05:40:32 PM

defence minister visits historic battle fields of the country

जैसलमेर। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जैसलमेर में सेना कमांडरों के सम्मेलन और राजस्थान के तनोट एवं 1971 के ऐतिहासिक युद्धक्षेत्र लौंगेवाला जाकर भारतीय सेना की सुरक्षा स्थिति और परिचालन तैयारियों का जायजा लिया। सेना कमांडर सम्मेलन में भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व केसाथ ग्रे ज़ोन युद्ध और संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार के रोडमैप सहित प्रमुख पहलुओं पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया। इसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, उपसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह और सभी सेना कमांडर उपस्थित थे। रक्षामंत्री ने इस मौके पर ऑपरेशन सिंदूर को भारत के सैन्य कौशल और राष्ट्रीय चरित्र का प्रतीक बताया और कहाकि हमारे सैनिकों ने यह सिद्ध किया हैकि उनकी शक्ति केवल हथियारों में ही नहीं, बल्कि उनके नैतिक अनुशासन और रणनीतिक स्पष्टता में भी निहित है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर इतिहास में केवल एक सैन्य अभियान के रूपमें ही नहीं, बल्कि राष्ट्र के साहस और संयम के प्रतीक के रूपमें भी दर्ज होगा। उन्होंने कहाकि आतंकवादियों के विरुद्ध हमारी सेनाओं की कार्रवाई नीतिगत सटीकता और मानवीय गरिमा, दोनों के अनुरूप थी। रक्षामंत्री ने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है, शांति केलिए हमारा मिशन तबतक जारी रहेगा, जबतक एकभी आतंकवादी मानसिकता जीवित रहेगी। राजनाथ सिंह ने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर ने एक नई रणनीतिक सोच को जन्म दिया हैकि भारत किसी भी आतंकवादी गतिविधि का अपनी शर्तों पर जवाब देगा, यह नए भारत का रक्षा सिद्धांत है, जो दृढ़ संकल्प और साहस दोनों का प्रतीक है। रक्षामंत्री ने देश की अखंडता की रक्षा केलिए चौबीस घंटे तैनात रहनेवाले सैनिकों केप्रति आभार व्यक्त किया और उनसे दुश्मनों को कभी कम न आंकने और हमेशा सतर्क व तैयार रहने का आह्वान किया। रक्षामंत्री ने कमांडरों से भविष्य केलिए तैयार सेना सुनिश्चित करने केलिए रक्षा कूटनीति, आत्मनिर्भरता, सूचना युद्ध, रक्षा अवसंरचना और सेना आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करते रहने का आग्रह किया।
राजनाथ सिंह ने भारतीय सशस्त्र बलों की व्यावसायिकता, साहस और लचीलेपन की सराहना की और परिचालन तैयारियों के उच्चतम स्तर को बनाए रखने केलिए अत्याधुनिक तकनीक, अवसंरचना और सहायता प्रदान की सरकार की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की। राजनाथ सिंह ने अनुच्छेद 370 के उन्मूलन केबाद जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास सुनिश्चित करने में भारतीय सेना की महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि अनुच्छेद 370 का उन्मूलन ऐतिहासिक था, आज वहां की सड़कें अशांति से नहीं, बल्कि आशा से भरी हैं, लोग अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त हैं। उन्होंने कहाकि सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैकि निर्णय लेने की व्यवस्था अब स्थानीय लोगों के हाथों में है और भारतीय सेना ने इस प्रयास में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। उत्तरी सीमा स्थिति पर रक्षामंत्री ने कहाकि चल रही बातचीत और तनाव कम करने के कदमों ने भारत की संतुलित और दृढ़ विदेश नीति को दर्शाया है। उन्होंने कहाकि हमारी नीति स्पष्ट हैकि बातचीत जारी रहेगी और सीमा पर हमारी तत्परता बरकरार रहेगी। सैनिकों की दृढ़ इच्छाशक्ति और अनुशासन की सराहना करते हुए राजनाथ सिंह ने इसे इसबात का प्रमाण बतायाकि भारतीय सेना दुनिया की सबसे अनुकूलनशील सेनाओं में से एक है।
रक्षामंत्री ने कहाकि चाहे सियाचिन का बर्फीला इलाका हो, राजस्थान के रेगिस्तान की चिलचिलाती गर्मी हो या घने जंगलों में आतंकवाद विरोधी अभियान हमारे सैनिकों ने हमेशा अपनी क्षमता और प्रतिबद्धता का परिचय दिया है, कठिन परिस्थितियों और विविध चुनौतियों के बावजूद वे बदलावों केसाथ तालमेल बिठाते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को और मज़बूत करते हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि हालाकि आजका युद्ध तकनीक आधारित है, फिरभी सैनिक देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं, मशीनें शक्ति को कई गुना बढ़ा देती हैं, लेकिन परिणाम देने की शक्ति मानवीय भावना में ही निहित है। उन्होंने कहाकि आधुनिक युद्ध साइबरस्पेस, सूचना, इलेक्ट्रॉनिक व्यवधान और अंतरिक्ष नियंत्रण जैसे अदृश्य क्षेत्रोंमें लड़े जाते हैं और नवीनतम तकनीकी प्रगति केसाथ तालमेल बिठाने केसाथ सैनिकों की त्वरित निर्णय क्षमता और दृढ़ इच्छाशक्ति भी महत्वपूर्ण है। राजनाथ सिंह ने कोणार्क के एज डेटा सेंटर और भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर सहित प्रौद्योगिकी सक्षमकर्ताओं का वर्चुअल उद्घाटन किया और कहाकि अगले वर्षतक देशभर में कोर के एज डेटा सेंटर होंगे। उन्होंने भारतीय सेना केलिए उपकरण हेल्पलाइन, सैनिक यात्री मित्र ऐप का भी शुभारंभ किया और आर्मी सर्विस कोर सेंटर एंड कॉलेज बेंगलुरु में संकलित 'रक्षा बाजरा व्यंजन संग्रह' का विमोचन किया। उन्होंने पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों की सुविधा केलिए नमन केंद्रों का उद्घाटन किया।
लौंगेवाला में रक्षामंत्री ने प्रतिष्ठित लौंगेवाला युद्ध स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की और भारतीय सेना के शहीद बहादुरों को श्रद्धांजलि दी। राजनाथ सिंह ने मेजर (बादमें ब्रिगेडियर) कुलदीप सिंह चांदपुरी की स्मृति को समर्पित एक श्रव्यदृश्य कक्ष 'चांदपुरी हॉल' का उद्घाटन किया, जिन्होंने 1971 में लौंगेवाला के युद्ध के दौरान वीरतापूर्ण रक्षा का नेतृत्व किया था। उन्होंने युद्ध में भाग लेनेवाले दिग्गजों को भी सम्मानित किया। रक्षामंत्री ने इस ऐतिहासिक स्थल को राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूपमें विकसित करने की अनेक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की समीक्षा की, जो भारतीय सेना की वीरता और लचीलेपन को प्रदर्शित करेगा। राजनाथ सिंह ने एक गतिशील क्षमता प्रदर्शन अभ्यास भी देखा, जिसमें भैरव बटालियन और अश्नी प्लाटून जैसे नए संगठनों के एकीकृत उपयोग केसाथ भारतीय सेना में ऑपरेशनों के संचालन केलिए शामिल की गई नवीनतम तकनीकी संपत्तियों का प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन विरासत और नवाचार के सहज मिश्रण का प्रतीक था, जिसने भारतीय सेना के क्षमता विकास और बल आधुनिकीकरण पर ज़ोर दिया।

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