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भारत सेमीकंडक्टर मिशन का ऐतिहासिक मुकाम!

प्रधानमंत्री को भेंट किया गया मेड इन इंडिया चिप्स का पहला सेट

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा गर्व से भरा पल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 3 September 2025 01:01:28 PM

pm narendra modi and ashwini vaishnav

नई दिल्ली। भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा एक ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंच गई है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मुकाम को गर्व से भरा पल बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मेड इन इंडिया चिप्स का पहला सेट भेंट किया। दिसंबर 2021 में शुरू हुए भारत सेमीकंडक्टर मिशन ने महज़ साढ़े तीन साल में अनुमोदन से लेकर उत्पादन तकका सफर तय किया है। उन्होंने कहाकि 7.8 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि से लेकर पहले मेड इन इंडिया चिप्स केसाथ बढ़ते सेमीकंडक्टर व्यवस्था तक भारत स्थिरता के प्रकाश स्तंभ के रूपमें मज़बूती से खड़ा है। अश्विनी वैष्णव ने कहाकि देश का सेमीकंडक्टर मिशन बौद्धिक संपदा अधिकारों के सम्मान, आपूर्ति श्रृंखला विकास को समर्थन और वैश्विक भागीदारों केसाथ सहविकास मॉडल को बढ़ावा देनेवाले भरोसे की बुनियाद पर टिका है। उन्होंने कहाकि भारत हमेशा एक भागीदार के रूपमें दुनिया के सामने आया है, उसने पारस्परिक विकास और सभी पक्षों की जीत की भावना वाले सहयोग को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहाकि यह विश्वसनीय स्थिति वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत के सबसे मज़बूत पहलूओं में से एक है।
सेमिकॉन इंडिया-2025 कार्यक्रम में 12 समझौता ज्ञापनों की घोषणा की गई, जो देश में एक आत्मनिर्भर और भविष्य केलिए तैयार सेमीकंडक्टर व्यवस्था के निर्माण केलिए उत्पाद विकास को बढ़ाने, सेवा क्षमताओं का विस्तार करने और कौशल विकास क्षेत्र को मज़बूत करने पर केंद्रित हैं। अश्विनी वैष्णव ने डीप टेक अलायंस के गठन की घोषणा की, जिसके लिए करीब एक अरब डॉलर की प्रतिबद्धता पहले ही जताई जा चुकी है, शुरुआत में सेमीकंडक्टर पर केंद्रित यह अलायंस स्वच्छ ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, क्वांटम प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष जैसे अग्रणी क्षेत्रोंमें विस्तार करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहाकि इससे उभरते डीप टेक उद्योगों को अत्यंत ज़रूरी उद्यम पूंजी में मदद मिलेगी। उन्होंने बतायाकि मोहाली में सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला का आधुनिकीकरण कार्यक्रम तेज़ीसे चल रहा है, इसका मकसद उत्पादनस्तर बढ़ाना, नए उत्पादों की भावी क्षमताओं को सक्षम बनाना और भारत की उच्चमूल्य, मध्यम मात्रा विनिर्माण क्षमता को मज़बूत करना है। उन्होंने कहाकि आईएसएम 1.0 की सफलता पर सरकार आईएसएम 2.0 को लॉंच करने की तैयारी कर रही है, जो संपूर्ण सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला को कवर करने केलिए फ़ैब्स, ओएसएटी इकाइयों, पूंजीगत उपकरणों और सामग्रियों केलिए समर्थन का विस्तार करेगा। अश्विनी वैष्णव ने कहाकि निर्यात दस स्वीकृत परियोजनाओं का एक ज़रूरी हिस्सा होगा, ताकि भारत में निर्मित चिप्स घरेलू और वैश्विक बाजारों में काम आ सकें। उन्होंने कहाकि स्वतंत्र अध्ययनों में हैकि भारत में सेमीकंडक्टर उत्पादन पहले से ही वैश्विक मानकों की तुलना में 15-30% अधिक लागत प्रतिस्पर्धी है। अश्विनी वैष्णव ने कहाकि भारत ने कभीभी परियोजनाओं को मंज़ूरी देने में जल्दबाजी नहीं की, बल्कि सतत विकास केलिए पेशेवर मूल्यांकन पर ज्यादा ज़ोर दिया है। उन्होंने कहाकि भारत एक ऐसे उद्योग में तेज़ीसे रफ्तार पकड़ रहा है, जहां एकबार मज़बूत नींव पड़ने पर विकास तेज़ी से होगा।
सेमीकॉन इंडिया में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के हर प्रमुख वैश्विक हितधारक ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, इसमें एएसएमएल, लैम रिसर्च, एप्लाइड मैटेरियल्स, मर्क और टोक्यो इलेक्ट्रॉन जैसे उपकरण और सामग्री क्षेत्र के दिग्गज शामिल थे। अश्विनी वैष्णव ने कहाकि इनकी भागीदारी भारत के सेमीकंडक्टर मिशन में दुनिया के दृढ़ विश्वास को दर्शाती है। एक अनूठी पहल केतहत सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला में भारतीय छात्रों के डिज़ाइन और निर्मित 20 चिप्स भी प्रधानमंत्री को भेंट की गईं। अश्विनी वैष्णव ने बतायाकि देशभर के 78 विश्वविद्यालय उन्नत ईडीए उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे भारत एक गहन प्रतिभा पूल तैयार कर रहा है, जो पहले सेही वैश्विक सेमीकंडक्टर कार्यबल का करीब 20 प्रतिशत हिस्सा है। उन्होंने कहाकि प्रतिभा विकास और नवाचार भारत सेमीकंडक्टर मिशन के केंद्र में हैं। उन्होंने कहाकि भारत अपने डिज़ाइन और स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकसित कर रहा है, जहां 28 से ज़्यादा स्टार्टअप प्रोजेक्ट से प्रोडक्ट की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहाकि हालही में हुए समझौता ज्ञापनों में संपूर्ण आईओटी चिपसेट और कैमरा सिस्टम शामिल हैं, जबकि आईआईटी मद्रास जैसे संस्थानों ने स्वदेशी माइक्रोकंट्रोलर और प्रोसेसर जारी किए हैं, डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव योजना ने मूल्यवान आईपी का एक पोर्टफोलियो तैयार किया है और विकास केलिए 25 प्राथमिकता वाले उत्पादों की पहचान की गई है। उन्होंने कहाकि 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के उद्योग अनुमान और प्रतिभा, विश्वास तथा प्रौद्योगिकी में भारत की मज़बूत स्थिति केसाथ देश सेमीकंडक्टर क्षेत्रमें एक वैश्विक नेता के रूपमें उभरने केलिए तैयार है।
सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम में हुए समझौते और घोषणाएं इस प्रकार हैं-भारत में विनिर्माण और पैकेजिंग के क्षेत्रमें सेमीकंडक्टर क्षमताओं को और मज़बूत करने केलिए टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और मर्क में समझौता। घरेलू सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और आईपी इकोसिस्टम विकसित करने केलिए टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रगत संगणन विकास केंद्र में समझौता। स्पर्श-आईक्यू, थर्डीटेक, फोकली और सेंससेमी टेक्नोलॉजीज के सहयोग से केयन्स सेमीकॉन के लॉंच किएगए भारत के पहले पूर्णतः स्थानीयकृत स्वचालित कैमरा मॉड्यूल के संयुक्त विकास की शुरुआत की घोषणा। इंफिनिऑन के सहयोग से केयन्स सेमीकॉन द्वारा भारत के पहले एमईएम माइक्रोफ़ोन और उन्नत सेमीकंडक्टर पैकेज प्रदान करने की घोषणा। स्मार्ट ऑपरेटिंग सिस्टम से युक्त मेक इन इंडिया सिक्योर चिप के संयुक्त विकास की घोषणा, जिसे इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट जैसे अगली पीढ़ी के डिजिटल पहचान समाधान को सशक्त बनाने केलिए डिज़ाइन किया गया है। इसे एलएंडटी सेमीकंडक्टर के आईआईटी गांधीनगर और सी-डैक के सहयोग से एक स्केलेबल सुरक्षा आर्किटेक्चर के आधार पर बनाया गया है। सेमीकंडक्टर अनुसंधान और क्वांटम नेतृत्व केलिए राष्ट्रीय नवाचार केंद्र बनाने हेतु एलएंडटी सेमीकंडक्टर और आईआईएससी बैंगलोर में समझौता। सी-डैक की निर्मित स्वदेशी वीईजीए प्रोसेसर को गुजरात में महिला सहनेतृत्व वाली घरेलू स्टार्टअप इंडीसेमिक द्वारा ब्लूटूथ और लोरा कनेक्टिविटी केसाथ एकीकृत करनेवाले भारत के पहले आईओटी इवोल्यूशन बोर्ड का अनावरण।
सेमीकंडक्टर कौशल, उद्योग शैक्षणिक संबंधों और सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकियों में क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने केलिए एनआईईएलआईटी और सिंगापुर सेमीकंडक्टर उद्योग संघ में समझौता। भारत के तेजीसे बढ़ते सेमीकंडक्टर व्यवस्था तंत्र में भविष्य केलिए तैयार प्रतिभाओं हेतु एक सहयोगी ढांचा स्थापित करने हेतु आईएसएम और न्यू एज मेकर्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में समझौता। आईएसएम के राष्ट्रीय रोडमैप के अनुरूप अनुप्रयुक्त अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा। वैज्ञानिक और शैक्षिक सहयोग पर एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी और इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन में समझौता। डीएलआई योजना केतहत अनुमोदित कंपनियों को सिनोप्सिस आईपी तक सरल पहुंच प्रदान करने केलिए सी-डैक, सिनोप्सिस और आईआईटी मद्रास प्रवर्तक में समझौता। डीएलआई योजना केतहत अनुमोदित कंपनियों को डिज़ाइन अवसंरचना सहायता की उपलब्धता की घोषणा में प्रमुख हैं-आईटीसी कोरिया, सिक्योर आईसी, कैडेंस डिज़ाइन सिस्टम्स, एनालॉग बिट्स, ईडीए टूल्स, सिम योग टेक्नोलॉजीज, कैडर डिज़ाइन सिस्टम्स, पोस्ट सिलिकॉन वैलिडेशन सेवाएं, इमर्सन ग्लोबल, स्मार्टसोक सॉल्यूशंस और साइएंट सेमीकंडक्टर। गौरतलब हैकि सेमीकॉन इंडिया सेमी दुनियाभर में आयोजित आठ वार्षिक सेमीकॉन प्रदर्शनियों में से एक है, जो वैश्विक सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और निर्माण व्यवस्था तंत्र के अधिकारियों और विशेषज्ञों को एकसाथ लाता है। यह आयोजन तकनीकी नवाचार के भविष्य की एक रोमांचक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है, जो वैश्विक सेमीकंडक्टर व्यवस्था में सहयोग और स्थिरता को बढ़ावा देता है।
सेमी वैश्विक उद्योग संघ है, जो सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स डिज़ाइन एवं विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला में दुनियाभर की 3000 से अधिक सदस्य कंपनियों और 15 लाख पेशेवरों को एकसाथ जोड़ता है। यह वकालत, कार्यबल विकास, स्थिरता, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए उद्योग जगत की चुनौतियों के समाधान पर सदस्यों के सहयोग को बढ़ावा देता है। भारत सेमीकंडक्टर मिशन भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय केतहत आनेवाली एक स्वतंत्र संस्था है। यह भारत में एक स्थायी और वैश्विक स्तरपर प्रतिस्पर्धी सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण व्यवस्था विकसित करने केलिए सेमीकंडक्टर इंडिया कार्यक्रम हेतु एक नोडल एजेंसी है। आईएसएम प्रस्तावों का मूल्यांकन, प्रौद्योगिकी साझेदारी को सुगम बनाने, केंद्र और राज्य सरकारों केसाथ समन्वय करने और वित्तीय प्रोत्साहन वितरण का प्रबंधन करने केलिए ज़िम्मेदार है। भारत सेमीकंडक्टर मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत को सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण केलिए एक विश्वसनीय वैश्विक केंद्र के रूपमें स्थापित करना, आर्थिक सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है।

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