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सीडीएस जनरल अनिल चौहान का 'रण संवाद'

'रक्षा क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता व एकीकृत लॉजिस्टिक्स युद्ध जीतने की कुंजी'

आर्मी वॉर कॉलेज एमपी में 'युद्ध पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव' त्रिसेवा सेमिनार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 26 August 2025 02:19:12 PM

cds anil chauhan

अंबेडकरनगर (मध्य प्रदेश)। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने भविष्य के युद्धों में जीत सुनिश्चित करने केलिए सभी क्षेत्रोंमें त्वरित और निर्णायक संयुक्त प्रतिक्रिया का आह्वान किया है। उन्होंने कहाकि भविष्य के युद्धक्षेत्र सेवा सीमाओं को नहीं पहचानेंगे। जनरल अनिल चौहान आज मध्य प्रदेश के डॉ अंबेडकरनगर में आर्मी वॉर कॉलेज में 'युद्ध पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव' विषय पर युद्ध, युद्धकला और युद्ध संचालन पर अपनी तरह के पहले त्रिसेवा सेमिनार ‘रण संवाद’ में मुख्य भाषण दे रहे थे। उन्होंने रक्षा क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता और एकीकृत लॉजिस्टिक्स को आगामी युद्धों में विजयी होने की कुंजी बताते हुए दोहरायाकि 'संयुक्तता' भारत के परिवर्तन का आधार है।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण को संस्थागत बनाने और परिचालन क्षमता बढ़ाने केलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर और क्वांटम जैसी निरंतर विकसित हो रही तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता बतलाई। उन्होंने एक मज़बूत नागरिक सैन्य एकीकरण केलिए सुदर्शन चक्र (भारत का अपना लौह गुंबद) विकसित करने के महत्व और प्रतिबद्धता पर जोर दिया, जो 'ढाल और तलवार' दोनों का काम करेगा। जनरल अनिल चौहान ने कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान कौटिल्य का हवाला देते हुए कहाकि भारत प्राचीनकाल से ही विचारों और ज्ञान का स्रोत है, हालांकि भारतीय युद्धों के विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण या रणनीति पर अकादमिक चर्चा का बहुत कम साहित्य उपलब्ध है। जनरल अनिल चौहान ने कहाकि युद्ध, नेतृत्व, प्रेरणा, मनोबल और तकनीक के विभिन्न आयामों पर और व्यापक शोध किए जानेकी आवश्यकता है।
जनरल अनिल चौहान ने कहाकि भारत को सशक्त, सुरक्षित, आत्मनिर्भर और विकसित बनाना है और यह तभी संभव है, जब हितधारक भविष्य केलिए तैयार सेनाओं के निर्माण में सामूहिक रूपसे भाग लें। सीडीएस ने कहाकि रण संवाद का उद्देश्य वास्तविक अभ्यासकर्ताओं केलिए मंच तैयार करना है, विशेष रूपसे युवा और मध्यमस्तर के अधिकारियों केलिए जो तकनीकी प्रगति से अवगत हैं। उन्होंने कहाकि उनके विचारों को सुनने की आवश्यकता है, ताकि एक ऐसा वातावरण तैयार किया जा सके, जहां नए विचारों केबीच सामंजस्य और सद्भाव सैन्यकर्मियों के अनुभव केसाथ सहअस्तित्व में रह सके। दो दिनी सम्मेलन में सेवारत सैन्य पेशेवरों को रणनीतिक संवाद के अग्रभाग में लाया जाएगा। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कल सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे। इस दौरान कुछ संयुक्त सिद्धांत और प्रौद्योगिकी परिप्रेक्ष्य एवं क्षमता रोडमैप भी जारी किए जाएंगे।

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