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Thursday 19 June 2025 06:02:11 PM
नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ट्रस्ट के अध्यक्ष और दिग्गज पत्रकार विश्लेषक रामबहादुर राय को गृह मंत्रालय के महानिदेशक सतपाल चौहान ने 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया। आईजीएनसीए के मीडिया प्रभारी अनुराग पुनेठा ने रामबहादुर राय के सम्मान में जारी हुआ आधिकारिक प्रशस्ति-पत्र पढ़ा। रामबहादुर राय राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक सम्मान समारोह में शामिल नहीं हो सके थे, इसलिए राष्ट्रपति का हस्ताक्षरित पदक और प्रशस्तिपत्र उन्हें आईजीएनसीए कार्यालय में प्रदान किया गया। सतपाल चौहान ने इस अवसर पर रामबहादुर राय पर अपने उद्गार में कहाकि यह केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि उस जीवन दृष्टि, विचारशीलता और सांस्कृतिक साधना का वंदन है, जो रामबहादुर राय के व्यक्तित्व में निरंतर जीवंत है। दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ने रामबहादुर राय को प्रेरणास्रोत कहा और वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय ने सुझाव दियाकि रामबहादुर राय के जीवन और कार्यों पर एक पुस्तक लिखी जानी चाहिए, जो भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। हेमंत शर्मा ने रायसाहब को आपातकाल का योद्धा बताया। प्रोफेसर रमेशचंद्र गौड़ ने कहाकि रामबहादुर राय ने न केवल संस्थान के प्रमुख के रूपमें, बल्कि एक मार्गदर्शक के रूपमें इस संस्थान का नेतृत्व कर रहे हैं।
गौरतलब हैकि रामबहादुर राय आईजीएनसीए ट्रस्ट के अध्यक्ष और श्रीगुरु गोविंद सिंह त्रिशताब्दी विश्वविद्यालय गुरुग्राम के कुलाधिपति के रूपमें कार्यरत हैं। वे कई और संस्थाओं का भी मार्गदर्शन करते हैं। भारत के पुनर्निर्माण में बौद्धिक रूपसे योगदान देने की दृष्टि से प्रेरित होकर उन्होंने पत्रकारिता को चुना। पत्रकारिता क्षेत्रमें उन्हें 40 वर्ष से अधिक का अनुभव है। पत्रकारिता में आने से पहले वे लगभग 15 वर्ष तक छात्र राजनीति, विद्यार्थी परिषद और आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं। रामबहादुर राय ने पत्रकारिता में अपना औपचारिक करियर बहुभाषी समाचार एजेंसी ‘हिंदुस्थान समाचार’ से शुरू किया था। उन्होंने पत्रकारिता को धार देने वाले ‘जनसत्ता’ और ‘नवभारत टाइम्स’ केसाथ हिंदी पाक्षिक ‘प्रथम प्रवक्ता’ एवं ‘यथावत’ में संपादकीय जिम्मेदारी संभाली है। उन्होंने हिंदुस्थान समाचार और उससे जुड़े प्रकाशनों के समूह संपादक के रूपमें भी कार्य किया। यथावत में प्रकाशित उनके स्तंभ 'कहत कबीर' को काफी पसंद किया गया। वे ‘अनायास’ और जनसत्ता में नियमित रूपसे 'पड़ताल' स्तंभ लिखते थे। रामबहादुर राय ने राष्ट्रीय सहारा (हस्तक्षेप), अमर उजाला, प्रभात ख़बर, राजस्थान पत्रिका और बीबीसी हिंदी केलिए भी कार्य किया है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र रहे रामबहादुर राय अर्थशास्त्र में एमए के डिग्रीधारी हैं।
रामबहादुर राय जेपी आंदोलन में वे आपातकाल में आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा) केतहत जेल भी गए थे। वे 'प्रभाष परम्परा न्यास' के प्रबंध न्यासी हैं, उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद् के सदस्य के रूपमें नामित किया जा चुका है। रामबहादुर राय सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार समिति और गांधी समाधि समिति राजघाट दिल्ली के सदस्य हैं। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा मध्य प्रदेश ने उन्हें मानद डीलिट की उपाधि से नवाजा है। रामबहादुर राय के कुछ चयनित प्रकाशन हैं-मंज़िल से ज़्यादा सफ़र-पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की जीवनी, रहबरी के सवाल-पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नजरिए से भारतीय राजनीति का विश्लेषण, शाश्वत विद्रोही राजनेता-आचार्य जेबी कृपलानी की जीवनी, काली ख़बरों की कहानी के संपादक-पेड न्यूज़ पर एक किताब, लोकप्रभाश में योगदान-जनसत्ता के संस्थापक संपादक प्रभाष जोशी की जीवनी, हमारे बाला साहेब देवरस के संपादक, पंडित दीनदयाल उपाध्याय समग्र (खंड 1 और अंतिम खंड) में वोकल और अवसान अनुभाग लिखे, भानुप्रताप शुक्ल-व्यक्तित्व और विचार के संपादक, लोकनायक जयप्रकाश नारायण की संक्षिप्त जीवनी, भारतीय संविधान-अनकही कहानियां, विशेष निबंध: राष्ट्र की लोक अभिव्यक्ति में-संविधान पर औपनिवेशिक छाया।
रामबहादुर राय भगवानदास जनजागरण पत्रकारिता पुरस्कार-1990, हिंदी अकादमी दिल्ली पत्रकारिता पुरस्कार-1994-95, एकात्म मानव दर्शन अनुसंधानेवम्विकास प्रतिष्ठान सम्मान-2009, माधवराव सप्रे समाचारेवंशोध संस्थान पुरस्कार-2010, विकल्प संस्था पत्रकारिता पुरस्कार-2010, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान-2013, छत्तीसगढ़ सरकार के माधवराव सप्रे राष्ट्रीय रचनात्मक सम्मान-2014, राष्ट्रपति से पद्मश्री-2015 और हिंदी रत्न सम्मान-2019 से भी नवाजे जा चुके हैं। सम्मान कार्यक्रम में आईजीएनसीए के कला निधि प्रभाग के प्रमुख एवं डीन (प्रशासन) प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़, एसजीटी विश्वविद्यालय के प्रबंध न्यासी मनमोहन सिंह चावला, उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री विजय मिश्रा, प्रज्ञा संस्थान से राकेश सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रोफेसर अनिल, बुद्धिजीवी और शुभचिंतक उपस्थित थे।