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अल्लूरी सीताराम राजू शौर्य के प्रतीक-प्रधानमंत्री

भीमावरम में अल्लूरी सीताराम राजू गारू का 125वां जन्म जयंती समारोह

'आजादी के नायकों को न भूले हैं, न भूलेंगे, उनकी प्रेरणा से ही आगे बढ़ेंगे'

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Monday 4 July 2022 04:29:34 PM

pm at the celebration of 125th birth anniversary of freedom fighter alluri sitarama raju

भीमावरम (आंध्रप्रदेश)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज आंध्रप्रदेश के भीमावरम में अल्लूरी सीताराम राजू के 125वें जयंती समारोह में शामिल हुए। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहाकि देश की आज़ादी केलिए हुई रम्पा क्रांति के 100 साल पूरे हो रहे हैं, मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर मण्यम वीरुडु यानी अल्लूरी सीताराम राजू के चरणों में नमन करते हुए पूरे देश की तरफ से उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनके परिजन भी हमें आशीर्वाद देने केलिए आए यह हमारा सौभाग्य है। उन्होंने कहाकि अल्लूरी सीताराम राजू गारू की 125वीं जन्म जयंती और रम्पा क्रांति की 100वीं वर्षगांठ को पूरे वर्ष मनाया जाएगा, पंडरंगी में उनके जन्मस्थान का जीर्णोद्धार, चिंतापल्ली थाने का जीर्णोद्धार, मोगल्लू में अल्लूरी ध्यान मंदिर का निर्माण हमारी अमृत भावना के प्रतीक हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजादी के अमृत महोत्सव में हम सभी ने संकल्प लिया हैकि देश अपने स्वाधीनता संग्राम के इतिहास और उसकी प्रेरणाओं से परिचित हो, आज का ये कार्यक्रम उसका भी प्रतिबिंब है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आजादी का संग्राम केवल कुछ वर्ष, कुछ इलाकों या कुछ लोगों का इतिहास सिर्फ नहीं है, ये इतिहास भारत के कोने-कोने और कण-कण के त्याग, तप और बलिदानों का इतिहास है। उन्होंने कहाकि हमारे स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास, हमारी विविधता की शक्ति, सांस्कृतिक शक्ति, एक राष्ट्र के रूपमें हमारी एकजुटता का प्रतीक है। उन्होंने कहाकि अल्लूरी सीताराम राजू गारू भारत की सांस्कृतिक और आदिवासी पहचान, भारत के शौर्य, भारत के आदर्शों और मूल्यों के प्रतीक हैं, वे एक भारत, श्रेष्ठ भारत की उस विचारधारा के प्रतीक हैं, जो हजारों साल से इस देश को एक सूत्र में जोड़ती आई है, जन्म से लेकर उनके बलिदान तक उनकी जीवन यात्रा हम सभी केलिए प्रेरणा है। उन्होंने अपना जीवन आदिवासी समाज के अधिकारों,उनके सुख-दुःख और देश की आज़ादी केलिए अर्पित कर दिया, उन्होंने जब क्रांति का बिगुल फूंका था तो उनका जयघोष था-मनदे राज्यम यानि हमारा राज्य और वंदे मातरम की भावना से ओतप्रोत एक राष्ट्र के रूपमें हमारे प्रयासों का ये बहुत बड़ा उदाहरण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत के आध्यात्म ने सीताराम राजू गारू को करुणा और सत्य का बोध दिया, आदिवासी समाज केलिए समभाव और ममभाव दिया, त्याग और साहस दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि सीताराम राजू गारू ने जब विदेशी हकूमत के अत्याचारों के खिलाफ जंग शुरू की थी, तब उनकी उम्र केवल 24-25 साल थी, 27 साल की छोटी उम्र में वो इस भारत माता के लिए शहीद हो गए, रम्पा क्रांति में भाग लेने वाले भी कितने ही नौजवानों ने ऐसी ही आयु में देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने कहाकि स्वाधीनता संग्राम के ये युवा वीर-वीरांगनाएं अमृतकाल में हमारे देश केलिए ऊर्जा और प्रेरणा के स्रोत हैं, स्वतंत्रता आंदोलन में देश की आज़ादी के लिए युवाओं ने आगे आकर नेतृत्व किया था। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज नए भारत के सपने को पूरा करने के लिए आज के युवाओं को आगे आने का ये सबसे उत्तम अवसर है, आज देश में नए अवसर हैं, नए-नए आयाम खुल रहे हैं, नई सोच है, नई संभावनाएं जन्म ले रही हैं, इनको साकार करने केलिए बड़ी संख्या में युवा ही इन जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठाकर के देश को आगे बढ़ा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि आंध्र प्रदेश वीरों और देशभक्तों की धरती है, यहां पिंगली वेंकैया जैसे स्वाधीनता नायक हुए, जिन्होंने देश का झंडा तैयार किया, यह कन्नेगंटी हनुमंतु, कंदुकूरी वीरेसलिंगम पंतुलु और पोट्टी श्रीरामूलु जैसे नायकों की धरती है, यहां उय्या-लावाडा नरसिम्हा रेड्डी जैसे सेनानियों ने अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाई थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि इस अमृतकाल में इन सेनानियों के सपनों को पूरा करने की ज़िम्मेदारी हम सभी देशवासियों की है, हमारा नया भारत इनके सपनों का भारत होना चाहिए, एक ऐसा भारत, जिसमें गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़ा, आदिवासी सबके लिए समान अवसर हों। उन्होंने कहाकि इन आठ साल में देश ने इसी संकल्प को पूरा करने केलिए नीतियां भी बनाईं और पूरी निष्ठा से काम भी किया है, विशेष रूपसे देश ने अल्लूरी और दूसरे सेनानियों के आदर्शों पर चलते हुए आदिवासी भाई-बहनों के कल्याण, विकास केलिए दिन-रात काम किया है। उन्होंने कहाकि आज़ादी की लड़ाई में आदिवासी समाज के अप्रतिम योगदान को हर घर तक पहुंचाने केलिए अमृत महोत्सव में अनगिनत प्रयास किए जा रहे हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज़ादी केबाद पहलीबार देश में आदिवासी गौरव और विरासत को प्रदर्शित करने केलिए आदिवासी संग्रहालय बनाए जा रहे हैं, आंध्र प्रदेश के लंबसिंगी में अल्लूरी सीताराम राजू मेमोरियल जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय भी बनाया जा रहा है, भगवान बिरसा मुंडा जयंती 15 नवंबर को राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के रूपमें मनाने की शुरुआत भी की गई है। प्रधानमंत्री ने कहाकि विदेशी हुकूमत ने हमारे आदिवासियों पर सबसे ज्यादा अत्याचार किए, उनकी संस्कृति को नष्ट करने के प्रयास किए, ये प्रयास उस बलिदानी अतीत को जीवंत करेंगे, आनेवाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे, सीताराम राजू गारू के आदर्शों पर चलते हुए आज देश आदिवासी युवाओं केलिए नए अवसर तैयार कर रहा है, हमारी वन सम्पदा आदिवासी समाज के युवाओं केलिए रोज़गार और अवसरों का माध्यम बने इसके लिए अनेक प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहाकि स्किल इंडिया मिशन के जरिए आदिवासी कला-कौशल को नई पहचान मिल रही है, वोकल फॉर लोकल आदिवासी कला कौशल को आय का साधन बना रहा है, दशकों पुराने क़ानून जो आदिवासी लोगों को बांस जैसी बम्बू जैसी वन-उपज को काटने से रोकते थे, हमने उन्हें बदलकर वन-उपज पर अधिकार दिए।
प्रधानमंत्री ने कहाकि वन उत्पादों को प्रमोट करने केलिए सरकार अनेक नए प्रयास कर रही है, आठ साल पहले तक केवल 12 फॉरेस्ट प्रॉडक्ट्स की एमएसपी पर खरीदी होती थी, लेकिन आज एमएसपी की खरीद लिस्ट में करीब-करीब 90 प्रॉडक्ट्स, वन-उपज के रूपमें शामिल किया गया हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि देश ने वन धन योजना के जरिए वन सम्पदा को आधुनिक अवसरों से जोड़ने का काम भी शुरू किया है, देश में 3 हजार से अधिक वन-धन विकास केंद्रों केसाथ ही 50 हजार से ज्यादा वन-धन सेल्फ हेल्प ग्रुप काम कर रहे हैं, आंध्र प्रदेश के ही विशाखापट्टनम में ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट की भी स्थापना की गई है। उन्होंने कहाकि आकांक्षी जिलों के विकास केलिए जो अभियान देश चला रहा है, उसका भी बड़ा लाभ आदिवासी इलाकों को हो रहा है, आदिवासी युवाओं की शिक्षा केलिए 750 एकलव्य मॉडल स्कूलों को भी स्थापित किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा पर जो जोर दिया गया है, उससे भी आदिवासी बच्चों को पढ़ाई में बहुत मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अल्लूरी सीताराम राजू ने अंग्रेजों से अपने संघर्ष के दौरान दिखाया था-'दम है तो मुझे रोक लो', आज देश भी अपने सामने खड़ी चुनौतियों, कठिनाइयों से इसी साहस केसाथ 130 करोड़ देशवासी एकता और सामर्थ्य केसाथ हर चुनौती को कह रहे हैं 'दम है तो हमें रोक लो'। उन्होंने कहाकि देश का नेतृत्व जब हमारे युवा, हमारे आदिवासी, हमारी महिलाएं, दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित करेंगे तो नया भारत बनने से कोई नहीं रोक सकता। नरेंद्र मोदी ने विश्वास जतायाकि सीताराम राजू गारू की प्रेरणा हमें एक राष्ट्र के रूपमें अनंत ऊंचाइयों तक ले जाएगी और आज का ये दृश्य, उमंग, उत्साह ये जनसैलाब दुनिया को बता रहा है, देशवासियों को बता रहा हैकि हम हमारे आजादी के नायकों को न भूलेंगे, न भूले हैं, उन्हीं से प्रेरणा लेकर के हम आगे बढ़ेंगे। समारोह में आंध्र प्रदेश के गवर्नर बिस्वा भूषण हरिचंदन, मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी, केंद्रीय मंत्री और सहयोगी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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