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पहले जीआरएसई की पारंपरिक लॉंचिंग

हुगली नदी के जल में अथर्ववेद मंत्रजाप केसाथ शुभारंभ

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में 'संध्याक' एक बड़ा कदम

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 6 December 2021 01:28:04 PM

sandhayak the first ship of survey vessel launched

कोलकाता। भारतीय नौसेना केलिए बनाए जा रहे चार सर्वेक्षण पोत प्रोजेक्ट मेंसे पहला 'संध्याक' पोत पारंपरिक रूपसे कोलकाता में हुगली नदी के जल में लॉंचिंग कर दी गई है। इन वेसल्स को रक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, जो भारत में अग्रणी युद्धपोत निर्माण कंपनियों मेंसे एक है द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। नौसेना की सामुद्रिक परंपरा के अनुरूप रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट की पत्नी पुष्पा भट्ट ने अथर्ववेद से मंत्रजाप केसाथ जहाज का शुभारंभ किया। ये सर्वेक्षण पोत बंदरगाहों, हार्बर के पूर्ण पैमाने पर तटीय और गहरे पानी वाले हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण एवं नौवहन चैनलों और मार्गों के निर्धारण में सक्षम हैं। संयोग से तत्कालीन संध्याक को भी 44 साल पहले जीआरएसई कोलकाता में 6 अप्रैल 1977 को लॉंच किया गया था।
संध्याक जहाज समुद्री सीमाओं का सर्वेक्षण करने और रक्षा अनुप्रयोगों केलिए समुद्र संबंधी और भौगोलिक डेटा के संग्रह में सक्षम है, इस प्रकार यह देश की समुद्री क्षमताओं को बढ़ावा देता है। इन जहाजों को फिक्स्ड पिच प्रोपेलर केसाथ संयुक्त दो समुद्री डीजल इंजनों से संचालित किया जाता है और सर्वेक्षण केदौरान कमगति पर चलने केलिए बो और स्टर्न थ्रस्टर्स से सुसज्जित किए गए हैं। अपनी दूसरी भूमिका में ये जहाज आपात स्थिति के दौरान सीमित सुविधाओं केसाथ अस्पताल रूपी जहाज के रूपमें सेवा करनेके अलावा खोजबीन एवं बचाव और आपदा राहत जैसी भूमिका निभाने में सक्षम होंगे। एक युटिलिटी हेलीकॉप्टर सहित इन जहाजों में वापसी केलिए एक हैंगर भी होगा। गौरतलब हैकि रक्षा मंत्रालय और जीआरएसई के बीच 30 अक्टूबर 2018 को 2435 करोड़ रुपये की लागत से चार सर्वे जहाजों के निर्माण के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारतीय नौसेना की आवश्यकताओं को पूरा करने केलिए जहाजों को जीआरएसई की डिजाइन टीम ने डिजाइन किया है और इन्हें एकीकृत निर्माण की अवधारणाओं का उपयोग करके और क्लासिफिकेशन सोसायटी के लागू प्रावधानों और नियमों के अनुपालन में बनाया जा रहा है। इसमें लागत के हिसाब से 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है, इससे यह सुनिश्चित होगाकि भारतीय विनिर्माण इकाइयों द्वारा बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन किया जाता है, जिससे देश के भीतर रोज़गार और विशेषज्ञता पैदा होती है। जीआरएसई के प्रयासों की सराहना करते हुए रक्षा राज्यमंत्री ने कहाकि यह लांचिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के दृष्टिकोण के अंतर्गत स्वदेशी जहाज निर्माण की सरकार की प्रतिबद्धता को पुष्ट करती है और आत्मनिर्भर भारत पर जोर देती है। उन्होंने इस तथ्य की सराहना कीकि भारतीय नौसेना केलिए 37 युद्धपोत और पनडुब्बियां वर्तमान में देश के विभिन्न शिपयार्ड में निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।
रक्षा राज्यमंत्री ने प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स और एंटी-सबमरीन वारफेयर शेलो वाटर क्राफ्ट्स जैसी राष्ट्रीय महत्व की कई परियोजनाओं पर एकसाथ काम करने केलिए भारतीय नौसेना और जीआरएसई की सराहना की। अजय भट्ट ने विश्वास व्यक्त कियाकि समुद्री क्षेत्र में सतत विकास केलिए पहल और दृष्टि को पूरा करने केलिए यह पोत एक प्रमुख योगदानकर्ता होगा। उन्होंने कहाकि संध्याक न केवल भारतीय जहाजों, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में मित्र विदेशी राष्ट्रों के सुरक्षित नेविगेशन को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहाकि यह हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और लंबे समय में हमारे देश केलिए व्यापार के अवसरों को खोलने और बढ़ावा देने में मदद करेगा। जीआरएसई की निर्माण रणनीति के अनुसार पहला जहाज जीआरएसई लिमिटेड में बनाया जा रहा है और शेष तीन जहाजों के निर्माण की तैयारी मैसर्स एलएंडटी शिपबिल्डिंग कट्टुपल्ली में की गई है।
जीआरएसई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रियर एडमिरल विपिन कुमार सक्सेना ने कहाकि वर्तमान सर्वेक्षण जहाज नई पीढ़ी के हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से लैस है और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में देश की स्वदेशी निर्माण क्षमता की परिपक्वता का प्रमाण है। उन्होंने कहाकि यह उपलब्धि कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद जीआरएसई की प्रतिबद्धता और क्षमता का प्रमाण है। इस अवसर पर पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल बिस्वजीत दासगुप्ता, युद्धपोत उत्पादन और अधिग्रहण नियंत्रक वाइस एडमिरल किरण देशमुख, सरकार के मुख्य हाइड्रोग्राफर वाइस एडमिरल अधीर अरोड़ा, जीआरएसई के वरिष्ठ अधिकारी, सशस्त्र बल और उद्योग प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। इस समारोह को शहर के विभिन्न स्कूलों के 100 से अधिक छात्रों और एनसीसी कैडेट्स ने भी देखा।

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