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तेजस से मिसाइल पाइथन-5 का परीक्षण

हवा में मार करने वाले हथियार वायुसेना बेड़े में शामिल

डीआरडीओ एडीए वायुसेना और एचएएल की मेहनत

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 29 April 2021 04:09:57 PM

drdo conducts maiden trial of python-5 air to air missile in goa

पणजी। भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस ने 5वीं पीढ़ी की पाइथन-5 एयर-टू-एयर मिसाइल को हवा से हवा में मार कर सकने वाले हथियारों को अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। इन परीक्षणों का उद्देश्य तेजस में पहले से ही समन्वित डर्बी बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल की बढ़ी हुई क्षमता का आकलन करना भी था। गोवा में इस निशानेबाजी परीक्षण ने बेहद चुनौतीपूर्ण परिदृश्यों में पाइथन मिसाइल के प्रदर्शन को सत्यापित करने के लिए उससे जुड़े परीक्षणों की श्रृंखला को अंजाम दिया। डर्बी मिसाइल से तेज़गति से पैंतरेबाज़ी करने वाले एक हवाई लक्ष्य पर सीधा प्रहार करने में सफल रहने और पाइथन मिसाइलों से निशानेबाजी का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के साथ उनकी संपूर्ण क्षमता का सत्यापन हुआ। इन परीक्षणों ने अपने सभी नियोजित उद्देश्यों को पूरा किया।
तेजस में लगी एवियोनिक्स, फायर-कंट्रोल रडार, मिसाइल वेपन डिलीवरी सिस्टम और फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जैसे विमान प्रणालियों के साथ इस मिसाइल के समन्वय का आकलन करने के लिए बेंगलुरु में मिसाइल ढुलाई में सक्षम उड़ानों का व्यापक परीक्षण किया गया था। गोवा में पृथक्करण के सफल परीक्षणों के बाद काल्पनिक लक्ष्य पर मिसाइल का लाइव प्रक्षेपण किया गया। सभी पहलुओं के साथ-साथ दृश्य सीमाओं से परे लक्ष्य को निशाना बनाने की क्षमता का आकलन करने के लिए पाइथन-5 मिसाइल के लाइव फायरिंग का आयोजन किया गया था। सभी लाइव फायरिंग में पाइथन मिसाइल ने अपने हवाई लक्ष्यों को मार गिराया। इन मिसाइलों को नेशनल फ्लाइट टेस्ट सेंटर से संबद्ध भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलटों के उड़ाए गए एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के तेजस विमान से दागा गया था।
मिसाइल पाइथन-5 का सफल परीक्षण सीईएमआईएलएसी डीजी-एक्यूए, आईएएफ पीएमटी, एनपीओ (एलसीए नेवी) और आईएनएस हंसा के सराहनीय सहयोग के साथ-साथ एडीए और एचएएल-एआरडीसी के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों की टीम की वर्षों की कड़ी मेहनत की वजह से संभव हुआ है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, एडीए, भारतीय वायुसेना, एचएएल की टीमों और इस परीक्षण में शामिल लोगों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने भी इस उपलब्धि में शामिल विभिन्न संगठनों और उद्योग के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों के प्रयासों की सराहना की है।

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