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जीवजंतु कल्याण एवं संरक्षण पुरस्कार प्रदान

जीवजंतु कल्याण के लिए प्राणी मित्र व जीव दया पुरस्कार

पशुपालन मंत्री ने गिरिराज सिंह ने प्रदान किए ये पुरस्कार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 17 February 2021 04:03:41 PM

awarded for animal welfare and conservation

नई दिल्ली। भारत में जीवजंतु कल्याण एवं संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था भारतीय जंतु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) ने जीवजंतु कल्याण के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों, संगठनों और कॉरपोरेट्स को वर्ष 2021 के लिए 14 प्राणी मित्र और जीव दया पुरस्कार प्रदान किए हैं। भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम में ये पुरस्कार प्रदान किए। गिरिराज सिंह ने पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को जीव-जंतु कल्याण के क्षेत्र में निस्वार्थ सेवा करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के पुरस्कार दिए जाने से ज्यादा से ज्यादा आम लोगों को जीव-जंतुओं का संरक्षण करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि हमारी मातृभूमि के महान दर्शन का तात्पर्य यह है कि इस भूमि पर रहने वाले एक साथ रहें, खुश रहें, स्वस्थ और समृद्ध रहें।
पशुपालन मंत्री ने कहा कि एडब्ल्यूबीआई, जीव-जंतु कल्याण संगठन और देश के पशुप्रेमी चींटी से लेकर हाथी तक सभी जीव-जंतुओं के कल्याण के प्रति चिंतित हैं और जीव-जंतुओं के खिलाफ होने वाली क्रूरता की रोकथाम के लिए काम कर रहे हैं। गिरिराज सिंह ने उन गौशालाओं की भी प्रशंसा की जो हजारों गायों की सेवाभाव से देखभाल करती हैं। उन्होंने जोर दिया कि इन गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए नवोन्मेषी विचारों और प्रौद्योगिकियों को आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय की जरूरत है कि आम जनता में जीव-जंतुओं के प्रति सहानुभूति, दयालुता और उनके कल्याण के प्रति जागरुकता फैलाने के साथ-साथ मौजूदा कानूनों और नियमों के अनुरूप पशुओं के खिलाफ क्रूरता पर रोक लगाने के कदम उठाए जाएं।
प्राणी मित्र पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं में हैं-योगेंद्र कुमार नई दिल्ली, मनीष सक्सेना जयपुर राजस्थान और श्यामलाल चौबीसा उदयपुर राजस्थान, ताउम्र पशु सेवा करने वाले मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ आरएम खरब एवीएसएम गुरुग्राम हरियाणा, डॉ एस चिन्नी कृष्णा, चेन्नई तमिलनाडु और डॉ एसआर सुंदरम चेन्नई तमिलनाडु। प्राणी मित्र पुरस्कार शौर्य प्राप्तकर्ताओं में हैं-अनिल गणदास गुरुग्राम और कल्पना वासुदेवन कोयम्बटूर तमिलनाडु। जीवजंतु कल्याण संगठन-वर्ल्ड संकीर्तन टूर ट्रस्ट होडल हरियाणा, करुणा फाउंडेशन ट्रस्ट राजकोट गुजरात और पीपल फॉर एनीमल्स अहमदाबाद गुजरात और कॉरपोरेट-टाटा ट्रस्ट फाउडेशन मुंबई प्राणी मित्र पुरस्कार से सम्मानित हुए। जीव दया पुरस्कार से जीवजंतु कल्याण संगठन-ध्यान फाउंडेशन नई दिल्ली और एनीमल एड चेरीटेबल ट्रस्ट उदयपुर राजस्थान सम्मानित किए गए।
भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशु पालन और डेरी विकास मंत्रालय में सचिव अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि जीव-जंतु कल्याण का विषय बहुत महत्वपूर्ण है और मानव-पशु संघर्ष के संदर्भ में यह और भी प्रासंगिक हो गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इन पुरस्कारों से लोगों और संगठनों को जीव-जंतु कल्याण के क्षेत्र में और अधिक काम करने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 51ए(जी) का उद्धारण देते हुए कहा कि यह भारत के नागरिकों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे प्राकृतिक वातावरण का संरक्षण करें और उसमें सुधार लाने के साथ-साथ सभी जीव-जंतुओं के प्रति सहानुभूति का भाव रखें। मंत्रालय के एनएलएम और एडब्ल्यू के संयुक्त सचिव और एडब्ल्यूबीआई के अध्यक्ष डॉ ओपी चौधरी ने कहा कि बहुत से लोग और जीव-जंतु कल्याण संगठन पशु कल्याण के कार्य में सराहनीय योगदान दे रहे हैं और हमारे पशु मित्रों को अनावश्यक कष्ट और अत्याचार से बचाने का काम कर उनका जीवन बचा रहे हैं।
ओपी चौधरी ने कहा कि देशभर में जीव-जंतुओं के कल्याण के उपायों में वृद्धि के लिए नए विचारों और नई पहलों को भी लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर जीवदया और पशुओं के प्रति दयालुता के बहुत बड़े हिमायती थे। उन्होंने एडब्ल्यूबीआई की गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया और मानव पशु संघर्षों की घटनाओं में कमी लाने, आवारा पशुओं की सेवा करने, आवारा कुत्तों की आबादी कम करने और रेबीज जैसी बीमारियों को दूर करने के लिए मानद पशु कल्याण अधिकारियों, विभिन्न कॉलोनियों में पशुओं की देखभाल करने वाले लोगों और प्रमुख व्यक्तियों के योगदान की प्रशंसा की। एडब्ल्यूबीआई के सदस्य गिरीश जे शाह और रामकृष्ण रघुवंशी ने जीवजंतु कल्याण के क्षेत्र में अपने अनुभवों और विचारों को साझा किया। एडब्ल्यूबीआई के सदस्य प्रोफेसर आरएस चौहान और केंसर विशेषज्ञ डॉ अशोक कंवर ने कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लिया और गोबर व गौमूत्र के चिकित्सकीय इस्तेमाल को लेकर अपने शोध के बारे में बताया। पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने भी अपने-अपने क्षेत्र में पशु कल्याण की गतिविधियों की जानकारी दी।

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