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महाराजा सुहेलदेव की अनदेखी की गई-मोदी

'कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ भ्रामक सूचनाएं फैलाई गई हैं'

सुहेलदेव स्मारक और चित्तौरा झील के विकास की नींव रखी

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Tuesday 16 February 2021 06:18:00 PM

narendra modi lays the foundation stone of the suheldev memorial at bahraich

बहराइच/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंस के माध्यम से आज उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में महाराजा सुहेलदेव स्मारक और चित्तौरा झील के विकास कार्यों की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने महाराजा सुहेलदेव के नाम पर एक मेडिकल कॉलेज भवन का भी उद्घाटन किया। सुहेलदेव श्रावस्ती से अर्ध-पौराणिक भारतीय राजा हैं। कहा जाता है कि इन्होंने 11वीं शताब्दी की शुरुआत में बहराइच में ग़ज़नवी सेनापति सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी को पराजित कर मार डाला था। सत्रहवीं शताब्दी के फारसी भाषा के ऐतिहासिक कल्पित कथा मिरात-ए-मसूदी में उनका उल्लेख है। बीसवीं शताब्दी के बाद से विभिन्न हिंदू राष्ट्रवादी समूहों ने उन्हें एक हिंदू राजा के रूपमें चिह्नित किया है, जिसने मुस्लिम आक्रमणकारियों को बुरी तरह से पराजित किया। देश के विभिन्न जाति समूहों ने सुहेलदेव को अपने आप में से एक के रूप में दर्शाने का प्रयास किया है। मिरात-ए-मसूदी के मुताबिक तो सुहेलदेव भर थारू समुदाय से संबंधित थे, लेकिन बाद के लेखकों ने उनकी जाति को भर राजपूत, राजभर, थारू और जैन राजपूत के रूपमें वर्णित किया है। सालार मसूद और सुहेलदेव की कथा फारसी भाषा के मिरात-ए-मसूदी में पाई जाती है, जो मुगल सम्राट जहांगीर (1605-1627) के शासनकाल के दौरान अब्द-उर-रहमान चिश्ती ने लिखी थी। पौराणिक कथा के अनुसार सुहेलदेव श्रावस्ती के राजा के सबसे बड़े पुत्र थे। उन्हें सकरदेव, सुहीरध्वज, सुहरीदिल, सुहरीदलध्वज, राय सुह्रिद देव, सुसज और सुहारदल जैसे विभिन्न नामों से सादर जाना जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि भारत का इतिहास केवल औपनिवेशिक शक्तियों या औपनिवेशिक मानसिकता वाले लोगों का लिखा इतिहास ही नहीं है, अपितु भारत के इतिहास को आम लोगों ने अपनी लोककथाओं में भी पोषित किया है और इसे पीढ़ियों ने आगे बढ़ाया है। उन्होंने इस तथ्य पर अफसोस जताया कि जिन लोगों ने भारत और भारतीयता के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, उन्हें उचित महत्व नहीं दिया गया है, भारतीयता में महाराजा सुहेलदेव का योगदान ऐतिहासिक और अनुकरणीय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश करने के साथ भारतीय इतिहास लेखकों की भारतीय इतिहास निर्माताओं के विरुद्ध की गई अनियमितताओं और अन्याय को अब ठीक किया जा रहा है, इस दिशा में उनके योगदान को स्मरण करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने लालकिले से लेकर अंडमान निकोबार तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में सरदार वल्लभभाई पटेल और पंच तीर्थ के माध्यम से बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के योगदान को स्मरण करने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ऐसे अनेक व्यक्तित्व हैं, जिन्हें विभिन्न कारणों से मान्यता नहीं मिली। प्रधानमंत्री ने पूछा कि चौरी-चौरा के बहादुरों के साथ क्या हुआ था, क्या हम इसे भूल सकते हैं? प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयता की रक्षा के लिए महाराजा सुहेलदेव के योगदान की भी अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि महाराजा सुहेलदेव की पाठ्यपुस्तकों में भी अनदेखी के बावजूद उन्हें अवध, तराई और पूर्वांचल के लोकगीतों में लोगों के दिलों में जीवित रखा गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक संवेदनशील और विकासोन्मुख शासक के रूपमें महाराजा सुहेलदेव के योगदान को याद किया। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि महाराजा सुहेलदेव के लिए यह स्मारक आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि मेडिकल कॉलेज की स्थापना और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के साथ इस आकांक्षी जिले और आस-पास के क्षेत्रों में लोगों के लिए जीवन को बेहतर बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने दो वर्ष पहले महाराजा सुहेलदेव की स्मृति में एक डाक टिकट भी जारी किया था। नरेंद्र मोदी ने बसंत पंचमी पर सभी को शुभकामनाएं दीं और कहा कि इस बसंत ने भारत के लिए महामारी की निराशा को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कामना कीकि मां सरस्वती भारत और हर उस देशवासी के ज्ञान और विज्ञान को अपना आशीर्वाद प्रदान करें, जो अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से राष्ट्र के निर्माण में शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्ष में निर्मित इतिहास, आस्था और आध्यात्मिकता से संबंधित स्मारकों का सबसे बड़ा लक्ष्य पर्यटन को बढ़ावा देना है और उत्तर प्रदेश पर्यटन और तीर्थयात्रा दोनों क्षेत्रों में समृद्ध है एवं उत्तर प्रदेश में पर्यटन के विकास के लिए अयोध्या, चित्रकूट, मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, कुशीनगर, श्रावस्ती जैसे भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण और भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित स्थलों पर रामायण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, बौद्ध सर्किट विकसित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं और अब उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों से पर्यटकों की अधिकतम संख्या को आकर्षित करता है, विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के मामले में भी उत्तर प्रदेश देश के शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या हवाई अड्डा और कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भविष्य में घरेलू और विदेशी दोनों ही तरह के पर्यटकों के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे, उत्तर प्रदेश में एक दर्जन छोटे और बड़े हवाई अड्डों पर काम चल रहा है, जिनमें से कई पूर्वांचल में ही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश दो बड़े समर्पित फ्रेट कॉरिडोर का जंक्शन है। प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश सरकार की कोरोना महामारी की रोकथाम की रणनीति की सराहना की। प्रधानमंत्री ने घर लौटे श्रमिकों को रोज़गार देने के लिए राज्य सरकार की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों के कारण पूर्वांचल में मेनिंजाइटिस की समस्या काफी हद तक कम हो गई है, पिछले छह वर्ष में उत्तर प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 14 से बढ़कर 24 हो गई है, साथ ही गोरखपुर और बरेली में एम्स का काम चल रहा है, इनके अलावा 22 नए मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं, वाराणसी में आधुनिक कैंसर अस्पतालों की सुविधा भी पूर्वांचल को दी जा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का जल जीवन मिशन यानी हर घर में पानी पहुंचाना भी प्रशंसनीय कार्य है। प्रधानमंत्री ने कहा कि शुद्ध पेयजल के घर पहुंचने पर कई तरह की बीमारियों को कम किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में गांव, ग़रीब और किसान बेहतर बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं से सीधे लाभांवित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से उत्तर प्रदेश के लगभग 2.5 करोड़ किसान परिवारों के बैंक खातों में सीधे धनराशि जमा कर दी गई है, ये किसान कभी खाद की एक बोरी खरीदने के लिए भी दूसरों से कर्ज लेने के लिए मजबूर थे।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले किसानों को सिंचाई के लिए बिजली का उपयोग करने के लिए रातभर जागना पड़ता था और अब उनकी सरकार ने बिजली की आपूर्ति में सुधार करके ऐसी समस्याओं को दूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक संगठनों का गठन कृषि भूमि को मजबूत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इस तरह यह प्रति किसान के स्तर पर कम होती कृषि भूमि के मुद्दे का समाधान करता है। उन्होंने कहा कि जब 1-2 बीघा वाले 500 किसान परिवार संगठित होंगे तो वे 500-1000 बीघा किसानों से अधिक शक्तिशाली होंगे, इसी तरह सब्जी, फल, दूध, मछली और ऐसे कई व्यवसायों से जुड़े छोटे किसान अब किसान रेल के माध्यम से बड़े बाजारों से जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में शुरू किए गए नए कृषि सुधारों से छोटे और सीमांत किसानों को भी फायदा होगा और इन कृषि कानूनों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देशभर से मिल रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ भ्रामक सूचनाएं फैलाई गई हैं, जिन लोगों ने देश में विदेशी कंपनियों को बुलाने के लिए कानून बनाए हैं, वे अब किसानों को भारतीय कंपनियों से डरा रहे हैं, उनके झूंठ और दुष्प्रचार उजागर हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी किसान की भूमि को कृषि सुधार कानूनों के माध्यम से हड़पा नहीं जा सकता है, इस बारे में दुष्प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश में धान खरीद पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि योगी सरकार पहले ही गन्ना किसानों को 1 लाख करोड़ रुपये जारी कर चुकी है, किसानों को भुगतान करने के लिए चीनी मिलों को सक्षम बनाने के लिए केंद्र ने राज्य सरकारों को हजारों करोड़ रुपये भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित करने के प्रयास जारी रखेगी कि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान किया जाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी प्रतिज्ञा है कि देश को आत्मनिर्भर बनाना है और हम इस कार्य के लिए समर्पित हैं।

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