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वाराणसी का चावल कतर को निर्यात

एपीडा की वाराणसी से चावल निर्यात वृ‌द्धि की कार्ययोजना

चंदौली क्षेत्र गैर बासमती चावल का बड़ी मात्रा में उत्‍पादन क्षेत्र

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 18 December 2020 01:19:16 PM

regional rice consignment gets green signal

वाराणसी। उत्तर प्रदेश का चंदौली क्षेत्र 'धान का कटोरा' के रूपमें प्रसिद्ध है। गंगा नदी के मैदानी इलाकों की उपजाऊ भूमि के कारण यहां गैर बासमती चावल का बड़ी मात्रा में उत्‍पादन होता है। वाराणसी क्षेत्र से चावल के निर्यात की संभावनाओं को देखते हुए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने भारत के प्रमुख निर्यातकों के साथ तालमेल स्‍थापित कर उन्‍हें वाराणसी क्षेत्र से चावल की खेप का जहाज में लदान करने के लिए मंच उपलब्ध कराया है। क्षेत्रीय चावल की खेप को रवाना करने का कार्यक्रम सिंधाहरुआ रिंग रोड चौराहे के पास सिंधोरा रोड अंडर पास वाराणसी में हुआ। करीब 520 मीट्रिक टन क्षेत्रीय चावल की खेप को एपीडा के अध्‍यक्ष डॉ एम अंगामुथु और संभागीय आयुक्त वाराणसी दीपक अग्रवाल ने हरी झंडी दिखाई।
एपीडा के अध्‍यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि एपीडा वाराणसी क्षेत्र से चावल का निर्यात बढ़ाने की संभावनाओं पर विचार करते हुए वाराणसी क्षेत्र से चावल के निर्यात में बढ़ोतरी करने के उद्देश्‍य से एक परिप्रेक्ष्य कार्ययोजना तैयार करेगा, ताकि सभी संबंधित हितधारकों को लक्ष्य अर्जित करने के लिए समयबद्ध तरीके से आवश्यक कार्रवाई करने में सक्षम बनाया जा सके। संभागीय आयुक्त वाराणसी ने कहा कि वाराणसी संभाग से क्षेत्रीय चावल को बढ़ावा देने के लिए चावल के उत्पादन क्षेत्र की पहचान करने तथा किसानों, एफपीओ, निर्यातकों, संघों और अन्य हितधारकों को मजबूती प्रदान करने के लिए एक मंच का सृजन करने हेतु राज्य सरकार के सहयोग से प्रयास किए जाएंगे। चावल की इस खेप का निर्यात मेसर्स सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड ने किया है। बताया गया है कि कंपनी पहली बार वाराणसी से कतर को 520 मीट्रिक टन चावल का लदान कर रही है।
वाराणसी के आयुक्‍त और एपीडा के अध्यक्ष ने समीक्षा बैठक भी की, जिसमें सभी संबंधित एजेंसियों ने भाग लिया। बैठक में परियोजना की प्रगति की समीक्षा की गई और संबंधित एजेंसियों को समयबद्ध रूपसे कार्ययोजना के अनुसार निर्देश दिए गए। एपीडा के अध्‍यक्ष ने राजा का तालाब में जल्‍दी खराब होने वाली वस्‍तुओं के लिए बनाए गए परिसर केंद्र का भी दौरा किया। उन्‍होंने एपीडा की मान्यता के लिए पैकहाउस के रूपमें सुविधाओं के उन्नयन की योजना के बारे में भी विचार-विमर्श किया। अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान वाराणसी की यात्रा का आयोजन किया गया। एपीडा के अध्यक्ष ने गैर-बासमती चावल की किस्मों की रूपरेखा और चावल के मूल्य संवर्धित उत्पादों के विकास के लिए आवश्यक पहलों के बारे में चर्चा की। उन्होंने आईआरआरआई को एपीडा से मान्यता के लिए खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला को जल्द से जल्द एनएबीएल की मान्यता प्राप्त करने की सलाह दी, ताकि निर्यात के लिए नमूना खाद्य उत्पादों को जांच के लिए अन्य स्थानों पर भेजने की बजाय उनका वाराणसी में ही परीक्षण किया जा सके।
वाराणसी के आयुक्‍त और एपीडा के अध्‍यक्ष ने बांग्लादेश और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को लदान के लिए बंदरगाह से कोलकाता तक लदानों की योजना की स्थिति की समीक्षा की। एपीडा के अध्यक्ष ने बताया कि नदी बंदरगाह प्राधिकरण लदान भेजने की अंतिम तकनीकी व्यवहार्यता का पता लगाने के बाद नदी बंदरगाह से कुछ लदानों की शुरुआत करके सभी प्रयास किए जाएंगे। कार्यक्रम में एपीडा के सचिव डॉ सुधांशु, एपीडा के एजीएम डॉ सीबी सिंह, संयुक्त निदेशक कृषि वाराणसी और राज्य बागवानी तथा कृषि विभाग, कृषि विपणन और कृषि विदेश व्यापार विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए।

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