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'निर्णायक नेता व कुशल प्रशासक थीं राजमाता'

प्रधानमंत्री ने राजमाता के सम्मान में जारी किया स्मारक सिक्का

राजमाता विजया राजे सिंधिया का जन्मशती समारोह सम्पन्न

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 12 October 2020 06:14:25 PM

narendra modi releases the special commemorative coin of celebrate the birth centenary of rajmata

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंस के जरिए राजमाता विजया राजे सिंधिया के जन्मशती समारोह के समापन के उपलक्ष्य में 100 रुपये के मूल्य का विशेष स्मारक सिक्का जारी किया। उन्होंने राजमाता को उनकी जयंती पर श्रद्धाजंलि अर्पित और कहा कि वह बहुत सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें राजमाता विजया राजे सिंधिया के सम्मान में विशेष स्मारक सिक्का जारी करने का अवसर मिला है। प्रधानमंत्री ने राजमाता की पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पुस्तक में राजमाता ने उन्हें गुजरात के युवा नेता के रूपमें प्रस्तुत किया था और आज इतने वर्ष के बाद वह देश के प्रधानसेवक के रूपमें देश की सेवा कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राजमाता विजया राजे सिंधिया उन लोगों में से एक थीं, जिन्होंने देश को सही दिशा में आगे बढ़ाया, वे एक निर्णायक नेता और कुशल प्रशासक थीं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्होंने भारतीय राजनीति के सभी महत्वपूर्ण चरण देखे हैं, चाहे वो विदेशी कपड़ों की होली जलाना हो, आपातकाल हो या श्रीराम मंदिर आंदोलन हो। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा पीढ़ी के लिए राजमाता के जीवन के बारे में जानना बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि राजमाता और उनके अनुभवों के बारे में बार-बार उल्लेख किया जाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजमाता ने हमें जनसेवा के बारे में सिखाया है और बताया है कि इसके लिए किसी विशेष परिवार में जन्म लेना जरूरी नहीं है, इसके लिए राष्ट्र प्रेम और लोकतांत्रिक स्वभाव की जरूरत है, इन विचारों और आदर्शों को उनके जीवन में देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राजमाता के पास हजारों कर्मचारी थे, एक शानदार महल था और सभी सुविधाएं उपलब्ध थीं, लेकिन उन्होंने अपना जीवन आम लोगों के लिए और गरीबों की आकांक्षाओं के प्रति समर्पित कर दिया था, वो हमेशा जनसेवा से जुड़ी रहीं और उसके प्रति ही प्रतिबद्ध रहीं। उन्होंने कहा कि राजमाता ने अपने आपको राष्ट्र और उसकी भावी पीढ़ियों के उज्जवल भविष्य के लिए समर्पित कर दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजमाता पद और प्रतिष्ठा के लिए नहीं जीती थीं और न ही उन्होंने कोई राजनीति की। नरेंद्र मोदी ने ऐसे कुछ अवसरों का स्मरण किया जब राजमाता ने कई पदों को बड़ी विनम्रता से ठुकरा दिया था। उन्होंने बताया कि एकबार अटलजी और अडवाणीजी ने राजमाता से जनसंघ का अध्यक्ष बनने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने एक कार्यकर्ता के रूपमें ही जनसंघ की सेवा करना स्वीकार किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राजमाता अपने साथियों को नाम से पहचानना पसंद करती थीं और एक कार्यकर्ता के प्रति ऐसी भावना हर मनुष्य के मन में होनी चाहिए, गर्व के बजाय सम्मान राजनीति का मूल होना चाहिए। उन्होंने राजमाता को एक आध्यात्मिक शख़्सियत बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जनजागरुकता और जन आंदोलनों के कारण पिछले कुछ वर्ष में देश में कई बदलाव हुए हैं और अनेक अभियान व योजनाएं भी सफल हुई हैं। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में आज नारी शक्ति आगे बढ़ रही। उन्होंने सरकार की उन पहलों को सूचीबद्ध किया जिनसे राजमाता के महिला सशक्तिकरण के सपनों को पूरा करने में मदद मिली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भी एक अद्भुत संयोग है कि जिस श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का उन्होंने सपना देखा और जिसके लिए उन्होंने संघर्ष किया था, वह सपना भी उनके जन्म शताब्दी के वर्ष में पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की सफलता एक मजबूत, सुरक्षित और समृद्ध भारत के उनके विजन को साकार करने में हमारी मदद करेगा। 

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