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जोखिम से डरे बैंकों व एमएसएमई को राहत

विश्व बैंक और भारत सरकार में 750 डॉलर का समझौता

विश्व बैंक का एमएसएमई आपातकालीन उपाय कार्यक्रम

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 7 July 2020 03:31:10 PM

world bank

नई दिल्ली। विश्व बैंक और भारत सरकार में ‘एमएसएमई आपातकालीन उपाय कार्यक्रम’ के लिए 750 मिलियन डॉलर का समझौता हुआ है। सरकार का कहना है कि इसका मुख्‍य उपयोग भारत में कोविड-19 संकट से बुरी तरह प्रभावित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों का वित्त का प्रवाह बढ़ाने में आवश्‍यक सहयोग प्रदान करना है, विश्व बैंक का एमएसएमई आपातकालीन उपाय कार्यक्रम तकरीबन 1.5 मिलियन लाभप्रद एमएसएमई की नकदी और ऋण संबंधी तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करेगा, जिससे उन्‍हें मौजूदा सदमे के प्रभावों को झेलने के साथ-साथ लाखों नौकरियों की रक्षा करने में भी मदद मिलेगी। भारत सरकार का कहना है कि यह एमएसएमई सेक्‍टर को समय के साथ आगे बढ़ाने के लिए आवश्‍यक सुधारों के बीच पहला कदम है। भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग में अपर सचिव समीर कुमार खरे और भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
अपर सचिव समीर कुमार खरे ने इस अवसर पर उल्लेख किया कि कोविड-19 महामारी से एमएसएमई सेक्‍टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे आजीविका और रोज़गार दोनों ही मोर्चों पर व्‍यापक नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करने पर फोकस कर रही है कि वित्तीय सेक्‍टर में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तरलता का प्रवाह एनबीएफसी की ओर हो और जोखिम मोल लेने से कतरा रहे बैंक एनबीएफसी को ऋण देकर अर्थव्यवस्था में निरंतर धनराशि डालते रहें। यह परियोजना लक्षित गारंटी प्रदान करने में सरकार को आवश्‍यक सहयोग देगी, जिससे लाभप्रद एमएसएमई को उधार देने के लिए एनबीएफसी और बैंकों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इससे लाभप्रद एमएसएमई को मौजूदा संकट का डटकर सामना करने में मदद मिलेगी।
विश्व बैंक समूह में उसकी निजी क्षेत्र शाखा अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम भी शामिल हैं, जो एमएसएमई सेक्‍टर की रक्षा के लिए भारत सरकार की पहलों में आवश्‍यक सहयोग देगा। बाज़ार में तरलता या नकदी प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए आरबीआई और भारत सरकार के शुरुआती एवं निर्णायक कदमों से भारत की वित्तीय प्रणाली में मजबूती आई है। मौजूदा अनिश्चितताओं के मद्देनज़र कर्जदारों की ऋण अदायगी क्षमता को लेकर उधारदाता अभी तक काफी चिंतित हैं, जिसके कारण यहां तककि इस सेक्‍टर के लाभप्रद उद्यमों के लिए भी ऋण का प्रवाह काफी सीमित है। यह कार्यक्रम एमएसएमई सेक्‍टर में तरलता लाने में सरकार के प्रयासों में आवश्‍यक सहयोग देगा, इससे बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की ओर से एमएसएमई को दिए जाने वाले ऋणों में अंतर्निहित जोखिम को ऋण गारंटी सहित विभिन्‍न प्रपत्रों की एक श्रृंखला के माध्यम से समाप्‍त करने की कोशिश की गई है।
ऋण के प्रमुख बाज़ारोन्मुख चैनलों जैसेकि एनबीएफसी और स्मॉल फाइनेंस बैंक की वित्त पोषण क्षमता बढ़ाने से उन्हें एमएसएमई की तात्कालिक एवं विवि‍ध आवश्यकताओं का पूरा करने में मदद मिलेगी। इसमें एनबीएफसी के लिए सरकार की पुनर्वित्त सुविधा में आवश्‍यक सहयोग देना भी शामिल होगा। यही नहीं आईएफसी भी ऋणों और इक्विटी के माध्यम से एसएफबी को सीधे तौर पर सहयोग प्रदान कर रहा है। मौजूदा समय में सिर्फ लगभग 8 प्रतिशत एमएसएमई की ही कर्ज संबंधी आवश्‍यकताओं की पूर्ति औपचारिक ऋण चैनलों से हो रही है। यह कार्यक्रम एमएसएमई को ऋण देने और भुगतान में फिनटेक एवं डिजिटल वित्तीय सेवाओं के उपयोग को प्रोत्साहित करेगा तथा इसे मुख्यधारा में लाएगा। डिजिटल प्लेटफॉर्म उधारदाताओं, आपूर्तिकर्ताओं और खरीदारों की पहुंच विभिन्‍न कंपनियों विशेषकर उन छोटे उद्यमों तक बड़ी तेजी से और कम लागत पर सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे जिनकी पहुंच वर्तमान में औपचारिक चैनलों तक नहीं है।
भारत में विश्व बैंक कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा कि एमएसएमई सेक्‍टर भारत के विकास एवं रोज़गार सृजन के केंद्र में है और इसके साथ ही यह कोविड-19 के बाद भारत में आर्थिक विकास की गति तेज करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि तत्काल जरूरत तो यह सुनिश्चित करने की है कि सरकार की वित्तीय प्रणाली में डाली गई तरलता अवश्‍य ही एमएसएमई तक पहुंच जाए, एमएसएमई के लिए वित्तपोषण से जुड़े समग्र परिवेश को मजबूत करना भी उतना ही आवश्‍यक है। यह कार्यक्रम प्रभावकारी वित्तीय मध्यवर्ती संस्‍थाओं के रूपमें एनबीएफसी और एससीबी की भूमिका को और आगे बढ़ाकर तथा एमएसएमई सेक्‍टर में वित्त की पहुंच को व्यापक बनाने के लिए फिनटेक का लाभ उठाकर इन दोनों उद्देश्यों की पूर्ति करना चाहता है।
विश्व बैंक ने एमएसएमई परियोजना सहित भारत के आपातकालीन कोविड-19 उपायों में आवश्‍यक सहयोग देने के लिए अब तक 2.75 अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की है। एक अरब डॉलर की पहली आपातकालीन सहायता की घोषणा भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में तत्काल सहयोग देने के लिए इस साल अप्रैल महीने में की गई थी। एक अरब डॉलर की एक और परियोजना को मई महीने में गरीबों और कमजोर वर्गों को नकद हस्तांतरण एवं खाद्य संबंधी लाभों में वृद्धि करने के लिए मंजूरी दी गई थी, इसमें अपेक्षाकृत अधिक समग्र डिलीवरी प्‍लेटफॉर्म भी शामिल है, जो सभी राज्यों में रहने वाली ग्रामीण और शहरी दोनों ही आबादी के लिए सुलभ है। अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक से मिलने वाले 750 मिलियन डॉलर के ऋण की परिपक्वता अवधि 19 साल है, जिसमें 5 साल की मोहलत अवधि भी शामिल है।

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