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लॉकडाउन में डाक विभाग अंतिम गांव तक पहुंचा

भारतीय डाक विभाग सुदूर के लाखों लोगों की उम्मीद है-संचार मंत्री

केंद्रीय संचार मंत्री ने गिनाए भारतीय डाक सेवाओं के कई सेवा कार्य

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 19 April 2020 11:18:22 AM

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नई दिल्ली। केंद्रीय संचार, विधि एवं न्याय तथा इलेक्ट्रोनिक्स और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है किस भारतीय डाक विभाग एक वास्तविक कोरोना योद्धा की तरह दूरदराज क्षेत्रों में लाखों लोगों को उम्मीद और अनिवार्य वस्तुओं का आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट के इस समय में डाक विभाग ने देशभर में डाकघरों के अपने विशाल नेटवर्क के जरिए देश के लोगों की सहायता करने में खुद को योग्य साबित किया है। रविशंकर प्रसाद ने प्रत्येक राज्य के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मुख्य पोस्ट मास्टर जनरल एवं मुख्य महाप्रबंधकों को देशभर के जरूरतमंद लोगों की सेवा करने के लिए अपने पोस्टल नेटवर्क को तैयार एवं सक्रिय रखने का निर्देश भी दिए। रविशंकर प्रसाद ने विशेष रूपसे निर्बल वर्गों एवं खाद्य वस्तुओं की तत्काल आवश्यकता वाले लोगों पर फोकस करने से संबंधित निर्देश जारी किया।
संचार मंत्री ने कहा कि डाक विभाग के कर्मचारियों ने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले जरुरतमंदों, प्रवासी मजदूरों एवं दिहाड़ी मजदूरों को भोजन, सूखा राशन एवं यहां तक कि मास्क भी वितरित करने के लिए अपनी बचतों को इकट्ठा किया है, पिछले कुछ दिन में लगभग 1 लाख राशन के पैकेट वितरित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि केवल उत्तर प्रदेश में ही नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ, प्रयागराज एवं फैजाबाद में प्रवासी मजदूरों, जरूरतमंदों एवं निर्माण श्रमिकों के बीच 50 हजार से अधिक भोजन/सूखे राशन के पैकेट वितरित किए गए हैं, इसी प्रकार बिहार में स्वेच्छा से लगभग 16,000 फूड पैकेट एवं साबुन, मास्क, सैनिटाइजर एवं ग्लोव्स के 11500 पैकेट वितरित किए गए हैं, लाकडाउन अवधि के दौरान तेलंगाना में पोस्टल मेल वाहनों से लगभग 18000 भोजन पहुंचाए गए, जबकि डाक कर्मचारियों ने हैदराबाद सिटी में लगभग 1750 परिवारों को भोजन एवं सूखा राशन के पैकेट वितरित किए। नागपुर में भी डाक कर्मचारियों ने लगभग 1500 प्रवासी मजदूरों को भोजन व सूखे राशन के पैकेट उपलब्ध कराए हैं। पंजाब पोस्टल सर्किल ने निर्माण मजदूरों, हाकरों, रिक्शा चलाने वालों, पीजीआई के रोगियों के परिचारकों एवं चंडीगढ़ के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए फूड आन व्हील्स आरंभ किया है।
रविशंकर प्रसाद ने बताया कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के समन्वय से चंडीगढ़ के डाक अधिकारी डिपार्टमेंट मेल मोटर वाहन में भोजन पार्सल ले जाते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में दिन में दो बार उनका वितरण करते हैं, सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए फूड आन व्हील्स के जरिए प्रतिदिन दो बार लगभग 2,000 से 3,500 जरुरतमंद लोगों को भोजन वितरित किया जाता है, रेड पोस्टल मेल मोटर इन घर विहीन भूखे लोगों के लिए अब उम्मीद की नई किरण बन गया है और वे व्याकुलता से इनकी प्रतीक्षा करते हैं। उन्होंने बताया कि मुंबई में डाक कर्मचारी न केवल प्रवासी मजदूरों और स्लम में रहने वालों को खाना खिला रहे हैं, बल्कि धारावी जैसे सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में उन्हें मास्क और सैनिटाइजर भी उपलब्ध कर रहे हैं। लाकडाउन के दौरान रूटीन दवाएं तो उपलब्ध थीं, लेकिन कैंसर, किडनी उपचार एवं अन्य प्राणघातक बीमारियों के लिए विशिष्ट दवाएं, जिन्हें आम तौरपर बड़े शहरों में रहने वाले रोगी के बच्चों एवं संबंधियों द्वारा खरीदा जाता था, उपलब्ध नहीं थीं। संचार मंत्री को ट्वीटर एवं अन्य माध्यमों से काफी सुझाव दिए। उन्होंने डाक विभाग को अंतिम गंतव्य तक इन जीवन रक्षक दवाओं की प्रदायगी के लिए डाकघर के जरिए स्पीड पोस्ट एवं डाकिये का उपयोग करने का निर्देश जारी किया है।
संचार मंत्री ने कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए-सुशील जोशी एक पूर्व सैनिक हैं, उनके पिता एमपी जोशी को उत्तराखंड के सुदूर हिस्से गौचर में जीवन रक्षक दवाएं पहुंचाई गईं। इसी प्रकार माईलैब के आग्रह पर एमएमएस पुणे सेकोविड टेस्टिंग किट की खेप ले जाकर गुजरात के अंकलेश्वर में पहुंचाई गई। लगभग 40 डेफिब्रिलेटर्स की प्रदायगी चेन्नई से 36 घंटों के भीतर उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लायज कारपोरेशन लिमिटेड लखनऊ को की गई। पांडीचेरी से ओडिशा एवं गुजरात तक वेंटिलेंटरों की प्रदायगी की गई है, कोलकाता से रांची एवं सिलीगुड़ी तक सड़क परिवहन नेटवर्कों से दवाएं एवं उपकरणों का परिवहन किया गया है। उन्होंने कहा कि पोस्टल नेटवर्क बैंक खाता खोलने एवं इससे भी महत्वपूर्ण यह कि आधार सक्षम भुगतान प्रणाली के उपयोग से गरीबों के दरवाजे तक नकदी की निकासी से संबंधित सुविधाएं भी प्रदान कर रहा है, इससे लोगों की विभिन्न पेंशन योजनाओं, मनरेगा एवं प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकेज के तहत हाल ही में घोषित राहत उपायों के तहत उन्हें भेजी जाने वाली प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण राशि की निकासी में सहायता की है।
उन्होंने कहा कि आम लोगों ने इस सुविधा का इतना अधिक लाभ उठाया है कि 13 अप्रैल को इंडियन पोस्टल पेमेंट बैंक ने सर्वकालिक उच्च कारोबार अर्थात 22.82 करोड़ रुपये के बराबर का 1.09 लाख लेनदेन दर्ज कराया है। शिलांग के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में खाता खोलने के शिविर का आयोजन किया गया, जहां आसपास के गांवों एवं पहाड़ियों से आने वाले सभी प्रवासी मजदूरों को स्थानीय प्रशासन द्वारा रखा गया है। मास्क, सोशल डिस्टैंसिंग एवं हैंड सैनिटाइजिंग जैसी सभी आवश्यक सावधानियों को बरतने के बाद ऐसा किया गया। आईपीपीबी खातों की सहायता से ये प्रवासी मजदूर केंद्रीय एवं राज्य योजनाओं के जरिए राहत प्राप्त करने में सक्षम हो सके। इसी प्रकार बड़े पैमाने पर देशभर में विशेष रूपसे जम्मू, कश्मीर, लेह, गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक के सुदूर हिस्सों, झारखंड के जलजातीय क्षेत्रों, बिहार एवं मध्यप्रदेश आदि में दरवाजों पर पेंशन का भुगतान किया गया है। विधवा, दिव्यांगों एवं बुजुर्ग पेंशनधारकों को विशेष रूपसे उनके दरवाजों पर किए जाने वाले इन भुगतानों का लाभ पहुंचा है।

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