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विद्या अर्जितकर स्वयं के रास्ते बनाओ-नाईक

मेधावी छात्र और समाजसेवी का हुआ राजभवन में सम्मान

बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर महासभा ट्रस्ट की पहल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 11 June 2019 12:03:20 PM

glorious student and social worker honor in raj bhawan

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल परीक्षा 2019 में 97.7 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले कानपुर के छात्र गौतम रघुवंशी वाल्मीकि एवं समाजसेवी भग्गूलाल वाल्मीकि को राजभवन में डॉ आंबेडकर रत्न से सम्मानित किया। कार्यक्रम का आयोजन बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर महासभा ट्रस्ट ने किया था। इस अवसर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल, ट्रस्ट के पदाधिकारी, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव हेमंत राव और अधिकारी भी उपस्थित थे। राज्यपाल ने मेधावी छात्र गौतम रघुवंशी वाल्मीकि की उपलब्धि से प्रसन्न होते हुए शिक्षा के महत्व को परिलक्षित किया और कहा कि शिक्षा से ही मनुष्य का विकास होता है।
राज्यपाल राम नाईक ने अपनी शिक्षा की चर्चा करते हुए बताया कि बचपन में आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्होंने अखबार बेचकर विद्यालय शुल्क की व्यवस्था की थी। उन्होंने कहा कि विद्या अर्जितकर स्वयं के रास्ते बनाओ तथा सहारा लेने वाला न बनकर सहारा देने वाला बनो, चरैवेति! चरैवेति!! को जीवन का आदर्श बनाकर जीवन में सफलता अर्जित करो, मन लगाकर पढ़ाई करनी चाहिए, किताबी कीड़ा नहीं बनना चाहिए, पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद एवं व्यायाम भी जरूर करना चाहिए। उन्होंने अपने बचपन में कक्षा 1 से 11 तक प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने की भी जानकारी दी। इस अवसर पर बताया गया कि मेधावी छात्र गौतम रघुवंशी वाल्मीकि ने कक्षा 1 से कक्षा 10 तक सदैव प्रथम स्थान प्राप्त किया है, वह भविष्य में आईआईटी से पढ़ाई कर प्रशासनिक सेवा में जाने का इच्छुक है।
समाजसेवी भग्गूलाल वाल्मीकि का बुंदेलखंड क्षेत्र में हाथ से मैला उठाने की कुप्रथा की समाप्ति में महत्वपूर्ण योगदान है। हाथ से मैला उठाने की कुप्रथा को समाप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्यस्तरीय स्वच्छकार निगरानी समिति में भग्गूलाल वाल्मीकि को सदस्य नामित किया हुआ है तथा भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने भी मैनुअल स्केवेंजरों के राष्ट्रीय सर्वेक्षण हेतु जालौन जनपद का कोआर्डीनेटर नामित किया है। राज्यपाल ने भग्गूलाल वाल्मीकि एवं छात्र गौतम रघुवंशी वाल्मीकि को अपनी प्रेरक पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! की प्रति भी भेंट की।

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