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वित्त आयोग के साथ आरबीआई गवर्नर की बैठक

राज्यों में वित्तीय प्रबंधन हेतु वित्त आयोग की निरंतरता जरूरी

अर्थव्यवस्था में राज्यों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हुई

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 9 May 2019 01:58:00 PM

meeting with the rbi governor's finance commission

मुंबई। भारत सरकार में पंद्रहवें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने मुम्बई में भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों के साथ विस्तृत बैठक की। बैठक में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास और वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने संबंधित राज्य सरकारों के लिए राज्य वित्त आयोगों के गठन और सार्वजनिक क्षेत्र वित्तीय ऋण की आवश्यकता को जरूरी बताया। उनका कहना था कि वित्त आयोग की निरंतरता राज्यों की वित्तीय प्रबंधन जरूरतों के लिए आवश्यक है, विशेषकर वर्तमान स्थिति में जब मध्यावधि समीक्षा नहीं हुई है, क्योंकि पहले यह योजना आयोग की थी। उन्होंने कहा कि परिव्यय संहिता भी जरूरी है, क्योंकि परिव्यय कानूनों में राज्य के अनुसार अंतर होता है। बैठक में विकास और महंगाई दर में राज्यों की भूमिका, उदाहरण के लिए व्यापार में आसानी के संबंध में राज्यों की भूमिका जैसे प्रमुख मसलों पर गहन विचार-विमर्श किया।
आरबीआई ने वित्त आयोग के समक्ष 2019-20 के लिए राज्य सरकार वित्त विषय पर विस्तृत प्रस्तुति देते हुए बताया कि सरकारी वित्त की संरचना में हुए बदलाव के कारण अर्थव्यवस्था में राज्यों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हुई है। वर्ष 2019-20 के बजट अनुमानों में राज्यों के वित्तीय घाटे को निम्नस्तर पर रहने की बात कही गई थी, परंतु संशोधित अनुमान और वास्तविक स्थिति पृथक है। कुछ विशिष्ट कारकों से वित्तीय असंतुलन होता है, ऐसे कारकों में ‘उदय’ (यूडीएवाई) और कृषि कर्ज माफी तथा आय समर्थन योजना आदि शामिल हैं। वर्ष 2018-19 जीडीपी की तुलना में ऋण प्रतिशत बढ़ रहा है, जबकि ब्याज अदायगी को उदार बनाया गया है।
आरबीआई ने राज्य सरकारों द्वारा बाजार से ऋण प्राप्त करने की चुनौतियों के मामले में भी प्रस्तुति दी। प्रस्तुति में प्रमुख मुद्दे थे-राज्य सरकारों द्वारा बाजार से ऋण प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना। द्वितीयक बाजार नकदी को बेहतर बनाना। ऋण संतुलन-एडीएम को समाप्त करना, एसडीएल का मूल्यांकन। सीएसएफ/ जीआरएफ कोष को मजबूत करना-कोष को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन। नकद प्रबंधन-राज्यों द्वारा नकद क्षमता को बेहतर बनाना, राज्यों द्वारा अल्पावधि के ऋणों के लिए बेहतर अवसरों के निर्माण का अनुरोध। प्रकटीकरण-महत्वपूर्ण आंकड़ों, बजट तथा वित्तीय आंकड़ों को सामने रखना। वित्त आयोग मुम्बई में बैंकों, वित्तीय संस्थानों और अर्थशास्त्रियों के साथ भी बैठकें आयोजित करेगा।

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