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सहमति से संबंध की उम्र घटाने का कड़ा विरोध

बेहूदा प्रस्ताव, समाज का पतन होगा, इसे वापस लें-वि‌हिंप

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 15 March 2013 10:49:14 AM

नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रकाश शर्मा ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाने में महिला की उम्र को 18 साल से 16 साल किए जाने के मंत्रियों के समूह के प्रस्ताव की कड़े शब्दों में निंदा की है। प्रकाश शर्मा ने कहा कि बलात्कार रोके जाने के लिए कड़े कानून बनाए जाने की आड़ में इस प्रकार का बेहूदा प्रस्ताव समाज को पतन की ओर ले जाएगा, स्वतंत्रता की आड़ में उश्रंखलता को बढ़ावा मिलेगा।
अपने ई-मेल में उन्होंने कहा कि कितना हास्यास्पद है कि वोट डालने की प्रारंभिक आयु सीमा 18 वर्ष, वाहन चलाने की प्रारंभिक आयु सीमा 18 वर्ष, कानून बनाने की क्षमता प्राप्त करने के लिए संसद और विधान सभाओं में पहुंचने की प्रारंभिक उम्र 25 वर्ष और जीवन के सबसे महत्वपूर्ण निर्णय आपसी संबंध बनाए जाने की उर्म उम्र सिर्फ 16 वर्ष? यह करना ऐसे लोगों का कृत्य है, जो पूरी तरह से पाश्चात्य सभ्यता में ही पले बढ़े रचे बसे हैं, जिन्होंने सिर्फ इंडिया को देखा है, जो जानते भी नहीं कि भारत क्या है, मुगल काल में हिंदू समाज ने अपनी मातृ-शक्ति को मुगल-आक्रांताओं की हवस का शिकार होने से बचाने के लिए बाल-विवाह जैसे तरीके अपनाए थे, लेकिन उस परिस्थिति के समाप्त हो जाने के पश्चात समाज ने विवाह की एक निश्चित आयु-सीमा स्वीकार की, क्या कथित प्रगतिशील लोग आपसी शारीरिक संबंधों की आयु सीमा को 16 वर्ष करके भारत को फिर से बाल-विवाह की ओर ढकेलना चाहते हैं?
विहिंप नेता ने कहा कि आश्चर्य होता है कि अनेक प्रगतिवादी संस्थाएं और प्रगतिशील माने जाने वाले कार्यकर्ता इस संबंध में चुप हैं। विश्व हिंदू परिषद इस प्रकार के किसी भी कानून को स्वीकार नहीं करेगी, पिछले दरवाजे से लिव-इन रिलेसन शिप को थोपे जाने के किसी भी कृत्य का डट कर विरोध किया जाएगा। विश्व हिंदू परिषद ने केंद्र सरकार को आगाह किया है कि वह बलात्कार को रोकने के लिए बनाए जाने वाले कानून में से उम्र घटाने के प्रस्ताव को वापिस ले और वह सभी राष्ट्र भक्त और भारतीय संस्कृति एवं जीवन मूल्यों को मानने वाले सांसदों से अनुरोध करती है कि वे ऐसे समाज विरोधी कानून का संसद में डट कर विरोध करें और उसे पारित न होने दें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो विश्व हिंदू परिषद समाज के सहयोग से जनांदोलन चलाने के लिए बाध्य होगी। परिषद भारतीय समाज का भी आह्वान करती है कि वह भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को पूरी तरह से मटियामेट करने की इस साजिश को समझे और इसके विरूद्ध उठ खड़ा हो और इसका जमकर विरोध करे।

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