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'सुकृति' का स्थापना दिवस प्रेमचंद को समर्पित

साहित्य, कला, संगीत पर परिचर्चाएं और विविध कार्यक्रम

मोहक प्रस्तुतियां देने वाले कलाकारों का अभिनंदन हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 4 August 2018 01:46:31 PM

sukrti establishment day, devoted to premchand

लखनऊ। भारत के कहानी कथासम्राट और हिंदी के पुरोधा मुंशी प्रेमचंद की 118वीं जयंती स्वैच्छिक संगठन 'सुकृति' ने अपने चतुर्थ स्थापना दिवस समारोह के रूप में मनाई। केसरबाग़ लखनऊ के राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में समारोह के दो सत्र हुए, जिनमें 'आज के दौर में प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता', 'मानव सभ्यता के विकास में संगीत विधा की भूमिका' और 'मानव समाज की दशा-दिशा निर्धारित करने में कला और विज्ञान की संयुक्त भूमिका' विषयों पर जोरदार चर्चा हुई। समारोह में वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ नित्यानंद, वायलिन वादक और गुरु पंडित अशोक गोस्वामी और मशहूर बांसुरी वादक संगीत निर्देशक एवं गुरु पंडित रविराज शंकर को सम्मानित भी किया गया।
विषय वक्ताओं में इलाहाबाद डिग्री कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्रवक्ता डॉ सुधांशु कुमार मालवीय, संगीतकार एवं लखनऊ में संगीत शिक्षक असीम सरकार और बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान लखनऊ के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ चंद्रमोहन नौटियाल प्रमुख थे। स्थापना दिवस समारोह में संगीतकार और भातखंडे संगीत समविश्वविद्यालय लखनऊ के तबला विभाग के विभागाध्यक्ष रहे पंडित शीतल प्रसाद मिश्र ने 'संगीत व विज्ञान' विषय पर एक संक्षिप्त और बहुत ही हृदयस्पर्शी वक्तव्य दिया। परिचर्चा के इस सत्र की अध्यक्षता डॉ चंद्रमोहन नौटियाल ने की। ग़ौरतलब है कि सुकृति संस्‍था मानवता, कला, साहित्य एवं संस्कृति के उन्नयन के लिए चार साल से ऐसे उत्कृष्ट आयोजन करती आ रही है।
सुकृति समारोह के दूसरे सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। इस सत्र में बांसुरी वादन, गिटार वादन, लोक नृत्य, मणिपुरी नृत्य, लोक गायन और शास्त्रीय गायन प्रस्तुत किए गए, जिनकी प्रस्तुतियां आशूकांति सिन्हा, रसराज मुखर्जी और असीम सरकार के नेतृत्व में दी गईं। समारोह में एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया, जिसे पांच बहुमूल्य लेखों से समृद्ध किया गया है। सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुति देने वाले कलाकारों को अभिनंदनपत्र प्रदान किए गए। समारोह के दोनों सत्रों में साहित्य संगीत और कलाप्रेमियों की अच्छी भागीदारी रही। कार्यक्रम में सुकृति के संगठन सदस्य यादवेंद्र, सुकृति के संगठक वीरेंद्र त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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