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देश में पेयजल का संकट और ज्यादा गहराया

पेयजल योजनाओं को राज्य घरेलू दर पर बिजली दें-सोलंकी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 20 February 2013 07:51:10 AM

नई दिल्ली। केंद्रीय पेयजल और स्‍वच्‍छता राज्‍य मंत्री भरत सिंह माधव सिं‍ह सोलंकी ने कहा है कि‍ 12वीं पंचवर्षीय योजना में ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम को और सुचारू बनाने पर जोर दि‍या गया है। नई दि‍ल्‍ली में राज्‍यों के ग्रामीण पेयजल मंत्रि‍यों के सम्‍मेलन में उन्‍होंने कहा कि‍ योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति‍ व्‍यक्‍ति‍ पेयजल आपूर्ति‍ 40 लीटर से बढ़ाकर 55 लीटर करने का भी प्रस्‍ताव है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 85 प्रतिशत आबादी हैंडपंप, नलों का पानी और ढंके हुए कुएं जैसे सुरक्षित साधनों का इस्‍तेमाल करती है, लेकिन 15 प्रतिशत आबादी अभी भी नदियों, झरनों और तालाबों आदि का पानी इस्‍तेमाल करती है, इसके अलावा 22 प्रतिशत ग्रामीण परिवार ऐसे हैं, जिन्‍हें 500 मीटर से भी अधिक दूरी से पीने का पानी लाना पड़ता है।
सरकार के लिए यह चिंता की बात है कि केवल 30-80 प्रतिशत ग्रामीण आबादी के लिए ही नलों का पानी उपलब्‍ध है। बिहार, झारखंड, असम, उड़ीसा और मध्‍यप्रदेश जैसे बड़े राज्‍यों में भी नलों से पानी की सप्‍लाई पूरी आबादी के लिए नहीं है। यह भी सच्‍चाई है कि ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी के संसाधन भूमिगत जल पर आधारित हैं। कई क्षेत्रों में आरसेनिक, फ्लोराइड आदि जैसे रसायनों के कारण प्रदूषित पानी मिलता है, इसलिए यह जरूरी होता जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पाइपों से पीने के साफ पानी की योजना पर ध्‍यान दिया जाए। बारहवीं योजना में पेयजल की संतोषजनक आपूर्ति सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। इस क्षेत्र में हालांकि काफी ज्‍यादा निवेश किया गया है और जल-आपूर्ति की कई योजनाएं शुरू की गई हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि ये योजनाएं कारगर ढंग से चलती रहें। भरत सिंह सोलंकी ने राज्‍यों से अनुरोध किया कि ग्राम पंचायतों की पेयजल आपूर्ति योजनाओं के लिए यदि कृषि दरों पर संभव न हो, तो कम से कम घरेलू दरों पर बिजली दी जाए।
भारत में पानी की उपलब्‍धता की स्थिति दिनों-दिन विषम होती जा रही है, इसलिए पीने के पानी सहित सभी क्षेत्रों में पानी के कुशल उपयोग पर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है, भवन भी इसी के अनुरूप बनाये जाने चाहिएं और पानी की कम आवश्‍यकता वाली प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए, पानी को बेकार जाने से रोकने के लिए पुश बटन वाली टूटियां इस्‍तेमाल की जाएं, वर्षा के पानी का संग्रहण किया जाए और पानी को साफ करके फिर से इस्‍तेमाल करने की योजनाएं शुरू की जाएं। सोलंकी ने कहा कि पेयजल क्षेत्र के लिए निवेश में काफी बढ़ोतरी की गई है-2002-03 के लगभग 2000 करोड़ रूपये के निवेश के स्‍थान पर 2012-13 में 10,500 करोड़ रूपये के निवेश की व्‍यवस्‍था की गई है।
बारहवीं पंचवर्षीय योजना में पेयजल के बारे में ग्रामीण क्षेत्रों की बढ़ती मांग को ध्‍यान में रखते हुए प्रतिव्‍यक्ति पानी की उपलब्‍धता बढ़ाने के साथ-साथ कई और उपाय भी किये गए हैं। भूमिगत जल पर निर्भरता कम करने के लिए नदियों और सरोवरों के जल के अलावा वर्षा जल के उपयोग पर जोर दिया गया है, जिन इलाकों में पानी की गुणवत्‍ता ठीक नहीं है, वहां राज्‍यों को नलों से पानी उपलब्‍ध कराने पर ध्‍यान देना चाहिए। राष्‍ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की राशि में से 5 प्रतिशत राशि पानी की गुणवत्‍ता सुधारने के लिए रखी गई है। राज्‍यों को इसका जल्‍द से जल्‍द उपयोग करके दूसरी किस्‍त के लिए प्रस्‍ताव भेजने चाहिएं।
सोलंकी ने पीने के पानी के संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने पर भी जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि पेयजल के संसाधनों को प्रदूषण से बचाने, पानी की नियमित जांच कराने, जलाशयों और तालाबों में वर्षा जल का संग्रहण करने और पानी बचाने पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए उन्‍होंने पंचायतों के प्रतिनिधियों, इंजीनियरों और जल-प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों के प्रशिक्षण की आवश्‍यकता पर भी जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्‍यों को अनुमति दी है कि वे पीने के पानी के कनेक्‍शन लगवाने के लिए लोगों को प्रोत्‍साहित करने के वास्‍ते आशा कार्यकर्ताओं को प्रति कनेक्‍शन 75 रूपये की प्रोत्‍साहन राशि दे सकते हैं। सोलंकी ने कहा कि विश्‍व बैंक की सहायता से सरकार असम, बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में नलों के जरिये पानी की आपूर्ति करने के लिए और पानी आपूर्ति की व्‍यवस्‍था सुधारने के लिए 5 हजार करोड़ रूपये से भी अधिक राशि की ग्रामीण पेयजल आपूर्ति और स्‍वच्‍छता परियोजना तैयार कर रही है।
सरकार की एक और पहल 9 राज्‍यों में 82 एकीकृत कार्य योजना जिलों में दस हजार बस्तियों में सौर ऊर्जा पर आधारित पंपो से जल-आपूर्ति की योजना शुरू करने की है। इससे उन बस्तियों तक पानी पहुंचाया जा सकेगा, जहां फिलहाल बिजली नहीं है। राज्‍यों को इस बारे में अपने प्रस्‍ताव भेजने चाहिएं। उन्‍होंने कहा कि सरकार ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के लिए अधिक धन जुटाने की कोशिश कर रही है, राज्‍यों को चाहिए कि वे उपलब्‍ध धन को जल्‍दी खर्च करें और इस बारे में अपने लेखा प्रमाण पत्र और दस्‍तावेज भेजें, ताकि धन राशि जल्‍दी जारी की जा सके। सोलंकी ने ग्रामीण क्षेत्र में जल-आपूर्ति के लिए बुनियादी ढांचा मजबूत करने पर विशेष जोर दिया। पेयजल और स्‍वच्‍छता मंत्रालय के सचिव पंकज जैन ने सम्‍मेलन में राज्‍यों से आग्रह किया कि वे स्‍कूलों के लिए पानी की आपूर्ति के बारे में उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेशों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 1 मार्च, 15 मार्च और 31 मार्च 2013 तक अवश्‍य भेज दें।

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