स्वतंत्र आवाज़
word map

विदेश में भारत का मान बढ़ाएं-राष्ट्रपति

भारतीय विदेश सेवा के प्रशिक्षु राष्ट्रपति से मिले

'दुनिया के लिए भारत सार्वभौमिक स्वीकृति'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 3 June 2017 02:19:55 AM

pranab mukherjee with the officer trainees of indian foreign service

नई दिल्ली। भारतीय विदेश सेवा के 2016 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों के एक समूह ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया। राष्ट्रपति ने इस मौके पर प्रशिक्षुओं को सिविल सेवा को कैरियर के रूप में चुनने के लिए बधाई दी और कहा कि उन्होंने एक राजनयिक प्रतिनिधि के रूप में देश की सेवा करने का कार्य चुना है, इसलिए उनके लिए यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि दुनिया के लिए भारत सार्वभौमिक स्वीकृति की सबसे बड़ी अवधारणा का उपहार लाया है और भारत ने मानवता के लिए वसुधैव कुटुम्बकम का नारा दिया है।
भारतीय विदेश सेवा के प्रशिक्षुओं से राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें देश का प्रतिनिधित्व करने और देश की सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करने तथा देश के विकासात्मक लक्ष्यों को अर्जित करने के लिए दुनियाभर में अपने समकक्षों के साथ बातचीत करने का अद्वितीय अवसर और विशेषाधिकार प्रदान करती है, वे विदेश जाकर भारत का मान बढ़ाएं। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि एक राजनयिक से प्रासंगिक विषयों की व्यापकता के बारे में हमेशा अच्छी जानकारी रखने की अपेक्षा होती है, उन्हें अपने देश की आर्थिक और सामाजिक गतिशीलता का संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए और उन क्षेत्रों के बारे में जागरूक और सचेत रहना चाहिए, जिनमें भारत अपने देश के लोगों की लाभ के साथ दूसरे देशों के साथ मिलकर कार्य कर सकता है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उन्हें जिन देशों में तैनात किया जाता है, उन देशों के बारे में गहरी रूचि और समझ विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि उन देशों की सरकार और जनता के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के सभी अवसरों का पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा याद रखना चाहिए कि वे भारत के प्रतिनिधि हैं, जो विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है और उसने लोगों को मिल-जुलकर रहने, मिलकर विकास करने और मिलकर आगे बढ़ने का पाठ पढ़ाया है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]