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ब्रिक्स आपदा प्रबंधन पर ध्यान दें-किरेन

मानव जीवन और संपत्ति को हो रहा बड़ा नुकसान

उदयपुर में ब्रिक्स देशों के मंत्रियों का सम्मेलन

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Tuesday 23 August 2016 06:48:24 AM

kiren rijiju at the inauguration of the 2nd meeting of brics

उदयपुर। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को उदयपुर के उदयविलास में आपदा प्रबंधन विषय पर ब्रिक्स मंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा है कि कुछ दशक में राष्ट्रीय आपदाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, आपदाओं से मानव जीवन और संपत्ति को बड़ा नुकसान होता है, वहीं ये देश के विकास को भी प्रभावित करती हैं, ऐसे में आपदा प्रबंधन को मजबूती प्रदान करने के लिए ब्रिक्स देशों को आपस में मिलकर एक ऐसी समग्र रणनीति तैयार करनी चाहिए, जिससे कि सतत विकास के मार्ग में प्राकृतिक आपदाएं बाधक नहीं बनें एवं जन-धन और संपत्ति के नुकसान से बचा जा सके।
किरेन रिजिजू ने कहा कि ब्रिक्स देशों में सबसे कम शहरी आबादी भारत में 35 प्रतिशत है, जबकि ब्राजील में 86 प्रतिशत, रूस में 74, चीन में 56, दक्षिण अफ्रीका में 65 प्रतिशत लोग शहरों में रहते हैं। उन्होंने कहा कि बढ़ते शहरीकरण, औद्योगिक गतिविधियों के कारण अब आपदाओं का प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरों पर ज्यादा दिखता है, अब आपदाओं के प्रभावों को रोकने के लिए गंभीर चिंतन की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि भारत में विगत वर्षों में आपदा प्रबंधन कृषि विभाग ही करता रहा है और अब इसके लिए अलग से विभाग बनाया गया है, ऐसे में आपदा प्रबंधन अब ‘गुड गवर्नेंस’ का भाग बन गया है। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व नित नई आपदाओं की मार से जूझ रहा है, लगातार शहरीकरण, अनियंत्रित विस्तार, बढ़ती जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधनों का मनमाना दोहन इसके प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि हमें उनसे जूझने का दृष्टिकोण अपनाकर आगे की नीतियां बनानी होंगी।
गृह राज्यमंत्री ने बताया कि 1970 से ही जलवायु परिवर्तन पर विश्वभर में चिंता जाहिर की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सोच में ही आपदा प्रबंधन होना चाहिए, हम मकानों, शहर की सड़कों, शॉपिंग मॉल, स्कूलों, कॉलेजों और यहां तक कि स्ट्रीट पोल तक को इसी के अनुरूप बनाएं। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए प्राकृतिक आपदारोधी भवनों के निर्माण का प्रयास करने की आवश्यकता भी जताई। उन्होंने ब्रिक्स देशों से आह्वान किया कि वे आपदा प्रबंधन की दृष्टि से चुनौतियों को समझें और अपने प्रयासों एवं विशिष्टताओं को साझा करते हुए ऐसी सामूहिक कार्ययोजना बनाएं, जिससे आपदा परिस्थितियों में कम से कम जन-धन का नुकसान हो तथा प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित राहत पहुंचाई जा सके। उन्होंने कहा कि इस कार्य में भारत ब्रिक्स देशों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़ा है। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए हमें जापान जैसे देशों के आपदा प्रबंधन से सीख लेनी होगी।
किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने आपदा को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है और इससे निपटने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने भारत में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए स्थानीय स्तर पर विकसित किए गए अग्रिम चेतावनी तंत्र के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इससे हाल के वर्षों में आई सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं में बड़ी राहत प्राप्त हुई है। ब्रिक्स को संबोधित करते हुए राजस्थान के गृह आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि आपदा देश-काल की सीमाओं में बंधी नहीं है, यह एक चुनौती है, जिसका मुकाबला करते हुए अधिकाधिक लोगों को राहत देने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से राजस्थान ने आपदाओं से निपटने के प्रयास किए हैं और प्रदेश की 24 लाख हेक्टेयर फसल पर प्राकृतिक आपदा ओलावृष्टि से हुए नुकसान पर 29 लाख किसानों को 2,467 करोड़ रुपए का मुआवजा सीधे बैंक खातों में वितरित करते हुए राज्य के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी राहत दी गई है।
गुलाबचंद कटारिया ने ब्रिक्स देशों के प्रतिनिधियों को विश्व के सुंदरतम शहरों में शुमार झीलों की नगरी उदयपुर के आतिथ्य को स्वीकार करने और यहां के नैसर्गिक सौंदर्य का अवलोकन करने का आग्रह भी किया। प्रधानमंत्री कार्यालय के अपर प्रमुख सचिव डॉ पीके मिश्रा ने आपदाओं की भयावहता का उल्‍लेख करते हुए तीन तथ्य प्रस्तुत किए और कहा कि समूचे विश्व में पिछले 20 वर्ष में 1.3 मिलियन लोग प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए हैं और इस दृष्टि से प्रतिवर्ष 65 हजार लोग आपदाओं के शिकार होते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 30 वर्ष में आपदाओं के कारण विश्व को 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है, जो कि आर्थिक दृष्टि से बहुत ज्यादा है। उन्होंने तीसरे तथ्य के रूप में बताया कि जापान, अमेरिका और न्यूजीलैंड में गत वर्षों में आई प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए यह स्पष्ट है कि विकसित देश भी आपदाओं से अछूते नहीं हैं। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पर प्रकाश डाला और भारत में आईं प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए विकसित किए गए अग्रिम चेतावनी तंत्र के साथ-साथ राष्ट्रीय नीति में किए गए परिवर्तन का उल्‍लेख किया तथा ब्रिक्स देशों को भी साझा प्रयासों के माध्यम से इस प्रकार के तंत्र को विकसित करने की दृष्टि से कार्ययोजना बनाने व सशक्त विश्व के निर्माण का आह्वान किया।
दक्षिण अफ्रीका के सहकारी शासन एवं परंपरागत मामले विभाग के मंत्री डेस वेन रोयीन ने आपदा प्रबंधन के लिए तकनीकी सहयोग करने के साथ ही ब्रिक्स देशों के साथ संयुक्त कार्ययोजना बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई और कहा कि यह सम्मेलन इसके उद्देश्यों को हासिल करने के लिए प्रभावी व सार्थक माध्यम बनेगा। चीन के नागरिक मामले मंत्रालय के आपदा राहत प्रभाग के महानिदेशक पेंग चेनमिन ने सातवें ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स देशों के हस्ताक्षरित ‘ऊफा घोषणापत्र’ और सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स देशों के मंत्रियों के प्रथम सम्मेलन के अनुसरण में संयुक्त कार्ययोजना की आवश्यकता जताई और आपदा प्रबंधन की दृष्टि से हर देश का सहयोग के लिए आह्वान किया। रूस के नागरिक सुरक्षा एवं जनसंख्या सुरक्षा विभाग के निदेशक ओलेग मान्यूलो तथा ब्राजील के नागरिक सुरक्षा विभाग के राष्ट्रीय सचिव वेस्ले डी अल्मीडा फ्लिंटो ने आपदा प्रबंधन के लिए संबंधित देशों को अपने अनुभवों को साझा करने तथा बेहतर प्रबंधन प्रणाली विकसित करने को कहा। इस मौके पर केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि भी उपस्थित थे। स्वागत उद्बोधन केंद्रीय गृह मंत्रालय के अपर सचिव विपिन मलिक ने दिया, जबकि आभार प्रदर्शन की रस्म राजस्थान के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रोहित कुमार ने अदा की। उद्घाटन अवसर पर एनडीआरएफ के महानिदेशक ओपी सिंह, एनडीएमएम के सदस्य कमल किशोर, आरके जैन एवं लेफ्टिनेंट जनरल एनसी मारवाह आदि उपस्थित थे।

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