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किसानों के कंधों से चुनाव का शंखनाद

प्रधानमंत्री की बरेली में पहली किसान कल्याण रैली

उत्तर प्रदेश भाजपा में चेहरे मोहरे पर संशय बरकार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 28 February 2016 06:50:38 PM

bareilly, first farmers welfare rally

बरेली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बरेली में भाजपा की पहली किसान कल्याण रैली से उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का शंखनाद किया। नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश में इस तरह की करीब चौदह और किसान रैलियों को संबोधित करेंगे। गृहमंत्री राजनाथ सिंह इन किसान रैलियों में खासतौर से उनके साथ होंगे। नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव के बाद रुहेलखंड में भाजपा की पहली किसान रैली से भाजपा में दमखम जांचने का मौका मिला है और बाकी अन्य किसान रैलियों से विधानसभा चुनाव पूर्व उत्तर प्रदेश में भाजपा की थाह का आकलन होगा। यूं तो कल्याण सिंह की सिफारिश पर रुहेलखंड में भाजपा के लोध नेता और आंवला के विधायक धर्मपाल सिंह को परखा जा रहा है और उन्हें ही किसान रैली का संयोजक भी बनाया गया है, तथापि इससे अभी यह सिद्ध नहीं हो सका है कि भाजपा हाईकमान के दिल में क्या है और किस चेहरे मोहरे को सामने लाया जाएगा। इस किसान रैली में दो और हस्तियां फोकस में थीं-रुहेलखंड के ताकतवर कुर्मी नेता और केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार और केंद्रीय मंत्री मेनका संजय गांधी। कुल मिलाकर यह रैली सपा या बसपा को चिंता में डालने में नाकाम रही।
किसान कल्याण रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का मुख्य भाषण हुआ, जिसमें दोनों ने किसान खेत-खलिहान पर ज्यादा फोकस रखा। राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की उपलब्धियों को सामने रखा। उन्होंने सपा, बसपा और कांग्रेस पर भी जोरदार प्रहार किए। उन्होंने रुहेलखंड की यह कहकर तारीफ की कि इस क्षेत्र ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की झोली भर दी और मोदीजी को भारत का प्रधानमंत्री बनाने का काम किया है। नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में बरेली के सुरमें और झुमके से की। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने बरेली के सुरमे के बारे में भी सुना है जिसे लगाने से दृष्टि बढ़ती है। उन्होंने पतंग उड़ाने में इस्तेमाल होने वाले मांझे का भी बरेली से रिश्ता होने का जिक्र किया और कहा कि पतंग ऊंची उड़ती है तो इसका मतलब है कि मांझा बरेली का है। नरेंद्र मोदी की जुबान से बरेली की इतनी विशेषताएं निकलीं कि भीड़ खुद को खुशी जाहिर करने से नहीं रोक सकी। प्रधानमंत्री ने किसानों को लेकर सौ की एक बात कही कि उनका 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्‍य है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे होंगे, राज्य सरकारें और किसान यह संकल्प कर सकते हैं कि आजादी के 75 साल पूरे होने तक हम किसान की आय को दोगुना कर देंगे, एक बार तय कर लें तो ऐसा हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि छोटे-छोटे कदम उठाकर कृषि क्षेत्र के सामने खड़ी चुनौतियों को अवसरों में बदला जा सकता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज किसान के सामने अनेक तरह की चुनौतियां हैं, अगर किसान और राज्य सरकारें सहयोग करें तो क्रांतिकारी बदलाव आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारें उदासीन रवैया अपनाती हैं, वे सभी राज्य सरकारों से अनुरोध करते हैं कि वे अपने राज्य के कार्यों में कृषि, किसानों और खेती के विषयों को सबसे बड़ी प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि देश के आर्थिक विकास की संरचना के तीन पिलर हैं, जिनमें एक तिहाई खेती, एक तिहाई उद्योग और एक तिहाई सर्विस क्षेत्र। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान अगर फर्नीचर इत्यादि के लिए लकड़ी की खेती करे, पशुपालन, मधुमक्खी पालन और अंडा उत्पादन के लिए कुक्कुट पालन करे तो उसकी आय दोगुनी हो सकती है। उन्होंने नदियों को जोड़ने की अटल बिहारी वाजपेयी की परिकल्पना का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार इसे आगे बढ़ा रही है, इसी कोशिश के तहत ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ बनाई गई है और पचास हजार करोड़ रुपये की लागत से यह योजना लागू करने का बीड़ा उठाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने अपनी गलतियों की वजह से अपनी धरती को बरबाद कर दिया है, आवश्यकता से अधिक उर्वरक डाल दिया, बेतरतीब दवाइयां डालीं, यह धरती चुपचाप सहती रही, जब अन्न के भंडार खाली होने लगे तो तब पता लगा कि हमने धरती के साथ कितना अत्याचार किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का किसान देश की शान है, परिवार बढ़ता जा रहा है, जमीन के टुकड़े होते जा रहे हैं, आने वाले पीढ़ियों के लिए संकट खड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों के सामने आज यह बड़ी चुनौती है। उन्होंने उल्लेख किया कि मध्य प्रदेश कृषि क्षेत्र में काफी काम कर रहा है, बीजेपी की सरकार में मध्य प्रदेश में विकास हुआ, वहां कृषि से लेकर तमाम योजनाओं पर काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड की हालत देखकर मुझे चिंता होती है, जिस क्षेत्र में पांच नदियां हों वहां के लोगों के पास पीने के लिए पानी नहीं है, किसान को समय पर पानी मिल जाए तो वो मिट्टी से सोना निकाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि खेती के लिए सिंचाई की व्यवस्था होनी चाहिए, पानी से किसान की व्यवस्था से तरक्की संभव है, पानी की व्यवस्था से आधी समस्या हल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि आज बारिश के भरोसे खेती नहीं हो सकती है, इसलिए केंद्र सरकार नदियों को जोड़ने का काम कर रही है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के किसानों की मदद केंद्र सरकार ने की है, किसानों के लिए 2860 करोड़ रुपये केंद्र ने दिये, इस बार खाद की कोई मारामारी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों की मदद को हाथ उठाया है, किसानों के लिए बीमा व्यवस्था लागू हुई, प्रधानमंत्री ने किसानों को दुनिया की सबसे बड़ी बीमा योजना दी है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदीजी ने इंटरनेशनल लेवल पर भारत का मान बढ़ाया है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार ने ‘सोइल हेल्थकार्ड योजना’ चलाई है, इसी तरह सरकार ने गुणवत्तापूर्ण बीज भी उपलब्ध कराने के लिए कठोरता बरती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह 14 अप्रैल को बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जयंती पर किसानों के लिए नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट ‘ई-प्लेटफार्म’ लागू करेंगे, इससे किसान अपने मोबाइल फोन पर देश की विभिन्न मंडियों के भाव जानकर अपने उत्पाद बेच सकेंगे। किसान रैली को केंद्रीय कृषिमंत्री राधामोहन सिंह, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी, रैली के संयोजक धर्मपाल सिंह ने भी संबोधित किया। किसान रैली में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुरेश खन्ना, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री संजीव बालियान, विजय पाल तोमर भाजपा के अनेक नेता, सांसद, विधायक और पदाधिकारी शामिल हुए। राजनीतिक विश्लेषणकर्ताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश में किसान रैलियों से भले ही भाजपा में निराशा को तोड़ने या थाह लेने का तरीका अपनाया गया हो, किंतु यूपी में भाजपा का नरेंद्र मोदी जैसे चमत्कारिक चेहरे के बिना काम नहीं चलने वाला। यह रैली सपा या बसपा में कोई भी चिंता पैदा करने नाकाम दिखी। रैली में आंतरिक गुटबाजी भी देखने को मिली, जिससे पार्टी में भितरघात से इंकार नहीं किया जा सकता।

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