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अशक्त भी देखने जाएं राष्ट्रीय संग्रहालय!

वीथिकाओं में बहुविषयी पहल और बहुइंद्रीय ज्ञान

शोध और इंटर्नशिप के लिए भी खास अवसर

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Friday 18 December 2015 06:27:00 PM

national museum delhi

नई दिल्ली। राष्ट्रीय संग्रहालय की स्थापना के 55 वर्ष पूरे होने पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय की दो नई वीथिकाओं को जनता के लिए खोल दिया गया है। वीथिकाओं का उद्घाटन करते हुए संस्कृति सचिव नरेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि भारत में संग्रहालय देखने का अनुभव केवल उन्हीं व्यक्तियों को प्राप्त हो पाता है, जो शारीरिक रूप से सक्षम होते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संग्रहालय ने एक अनोखी और शानदार पहल की है, जिसके तहत एक विशेष वीथिका स्थापित की गई है, इसका नाम ‘अनुभवः स्पर्श से अनुभूति’ है, जिससे सभी प्रकार के आगंतुक और खासतौर से निशक्तजन लाभ उठा सकते हैं। नरेंद्र कुमार ने कहा कि अभी तक कला और संग्रहालय में बहुइंद्रीय ज्ञान और बहुविषयी पहलों के महत्व पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया है और मेरा विश्वास है कि राष्ट्रीय संग्रहालय की अनुभव वीथिका इस दिशा में एक बड़ा और सराहनीय कदम है।
राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक संजीव मित्तल ने कहा कि हम अपने संग्रहालय में सभी आगुंतकों का प्रवेश बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, यह सीखने का स्थान है, इसलिए हम लगातार यह प्रयास करते रहेंगे कि संग्रहालय तक सबकी पहुंच हो सके और यहां सबका स्वागत हो। राष्ट्रीय संग्रहालय 18 दिसंबर 1960 में जनता के लिए खोला गया था, प्रत्येक वर्ष इसी दिन संग्रहालय अपना स्थापना दिवस मनाता है। इस वर्ष भी चार कार्यक्रमों को शुरू करके यह स्थापना दिवस मनाया गया। दो नई वीथिकाएं खोली गईं और दो नए कार्यक्रम शुरू किए गए। निशक्तजनों के लिए पहली बार राष्ट्रीय संग्रहालय में यह विशेष स्पर्श आधारित वीथिका खोली गई है। इस वीथिका में संग्रहालय की 22 ऐसी प्रतिकृतियां रखी गई हैं, जिन्हें छूकर उनको समझा जा सकता है। विशेषज्ञों ने इन्हें राष्ट्रीय संग्रहालय के विशाल संग्रह से सावधानी के साथ चुना है। यह प्रतिकृतियां 5,000 वर्ष पुरानी भारतीय कला का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनके पीछे यह विचार है कि दर्शकों को सौंदर्यबोध संबंधी, ऐतिहासिक और मानसिक रूप से एक समृद्ध अनुभव प्राप्त हो। संग्रहालय प्रदर्शनी में रखी गई वस्तुएं पुरातात्विक खोजों, मूर्ति कला, चित्रकारी को स्पर्श करके उसकी अनुभूति प्राप्त करने और सजावटी कलाओं से संबंधित हैं।
संग्रहालय वीथिका को यूनेस्को, नेत्रहीनों के लिए काम करने वाला गैरसरकारी संगठन सक्षम, ओपन नॉलेज कम्युनिटी (ओकेसी), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (आईआईटी) और नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर राइट्स ऑफ दी डिसेबल्ड (एनपीआरडी) के सहयोग से विकसित किया गया है। वीथिका में ऑडियो निर्देश और ब्रेल लिपि की मदद से जानकारी उपलब्ध रहेगी। राष्ट्रीय संग्रहालय की विशिष्ट कांस्य प्रतिमाएं भारत में महत्वपूर्ण संग्रहों का प्रतिनिधित्व करती हैं। एक नई कांस्य वीथिका का भी उद्घाटन किया गया, जिसमें 9 वर्ग शामिल हैं। सभी वर्ग उत्तर भारत, मध्य भारत, पश्चिम भारत, पूर्वी भारत और दक्षिण भारत की कलाकृतियों को प्रदर्शित करेंगे। प्रदर्शनी में संतों और कवियों, देवियों तथा नेपाल और तिब्बत की बौद्ध एवं जैन छवियों को प्रदर्शित किया गया है। इसके अलावा फोफनार (मध्य प्रदेश), नालंदा (बिहार), राजस्थान, गुजरात, नेपाल, कश्मीर, तमिलनाडु और केरल की शानदार कृतियां भी रखी गई हैं। इन कृतियों से भारत में कांस्य कला के विकास का पूरा परिचय प्राप्त होता है। भारतीय देवी-देवताओं की बारीक कृतियों के साथ ऐसी वस्तुएं भी रखी गई हैं, जिनकी उत्कृष्टता कांस्य और अन्य धातुओं में नज़र आती है, यह सभी कृतियां 5वीं से 17वीं शताब्दियों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
राष्ट्रीय संग्रहालय में एक नए ऑडियो गाइड टूर का भी उद्घाटन किया गया। इस नए एनएम ऑडियो टूर में राष्ट्रीय संग्रहालय की 64 अत्यंत विशिष्ट वस्तुएं शामिल हैं, जो 20 वीथिकाओं में प्रदर्शित की गई हैं, इसके तहत सिंधु घाटी की सभ्यता की ‘डांसिंग गर्ल’ जैसी प्रागैतिहासिक मूर्ति के साथ हाथी दांत में बनी बुद्ध की उनके जीवन संबंधी आधुनिक कृति भी शामिल है। इस टूर के तहत दर्शकों को भारतीय उप महाद्वीप के इतिहास, परंपरा और कला का आमूल अनुभव प्राप्त होता है। दर्शकों को आकर्षित करने के लिए अंग्रेजी, हिंदी, जापानी, जर्मन और फ्रेंच भाषाओं में ऑडियो टूर भी विकसित किए गए है। राष्ट्रीय संग्रहालय ने अनुसंधान आधारित इंटर्नशिप कार्यक्रम भी शुरू किया है, इसका उद्देश्य ऐसा मंच उपलब्ध कराना है, जहां कला और संस्कृति के संबंध में विशेषज्ञों के साथ बातचीत की जा सके। यह इंटर्नशिप उन स्नातक और परास्नातक छात्रों को दी जाएगी, जो संग्रहालय की गतिविधियों को जानने और व्यावसायिक कौशल प्राप्त करने के इच्छुक हों। इंटर्नशिप के लिए कोई मानदेय नहीं दिया जाएगा और इसकी अवधि न्यूनतम 6 सप्ताह से लेकर अधिकतम 12 सप्ताहों की होगी। कार्यक्रम के दो भाग होंगे-ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन इंटर्नशिप। ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप हर वर्ष मई से जुलाई तक और शीतकालीन इंटर्नशिप हर वर्ष दिसंबर से फरवरी तक होगी। बहरहाल 2016 में शीतकालीन इंटर्नशिप शुरू की जाएगी, जो फरवरी से अप्रैल 2016 तक चलेगी।

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